#AyodhyaRamMandir : सनातन व हिंदुत्व के विरोध में बयानबाजी के बाद अब "INDIA" का सॉफ्ट हिंदुत्व से भी किनारा, BJP ने पोस्टर जारी कर कहा-

पहचानिए, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के न्योते को ठुकराने वाले सनातन विरोधियों के चेहरे...

BJP द्वारा जारी पोस्टर   
शंकराचार्य के बहाने कांग्रेस किनारा करने में जुटी 
- कांग्रेस ने अयोध्या न जाने के तीन कारण बताए !
- पहले भी विपक्ष करते रहे हैं सनातन व हिन्दुओं को अपमानित  

(धर्म नगरी / DN News)  
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-  राजेश पाठक अवै.संपादक 6261868110  

बीते तीन दिसंबर को जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव परिणाम आए, वहां कांग्रेस ने "सॉफ्ट हिंदुत्व" का खेला कार्ड, उस दांव में सफलता नहीं मिली और मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में हार गई। वहीं, दक्षिण के राज्यों में पहले कर्नाटक, फिर तेलंगाना में अप्रत्याशित जीत मिली। इन दोनों राज्यों में सनातन विरोधी एवं बिहार विरोधी मुद्दा छाया रहा। इतना सब कुछ करने (सनातन का खुलेआम लगातार विरोध करने) के बाद अब अब कांग्रेस ने हिंदुत्व से भी किनारा कर लिया और अयोध्या राम मंदिर निर्माण एवं प्राण-प्रतिष्ठा के आमंत्रण को ठुकराते अयोध्या जाने से मना कर दिया। इसके उत्तर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल "X" से एक पोस्टर जारी करते हुए लिखा है- पहचानिए, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के न्योते को ठुकराने वाले सनातन विरोधियों के चेहरे...

भाजपा ने ट्विटर हैंडल "X" से कैप्शन के साथ पोस्टर भी शेयर किया है, जिसमें ममता बनर्जी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सीताराम येचुरी, अखिलेश यादव और अधीर रंजन चौधरी हैं। कांग्रेस और वाम दलों के नेताओं के अलावा, पोस्टर में उन चेहरों को शामिल किया गया है, जिन्होंने भव्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए स्पष्ट रूप से अनिच्छा दिखाई है। 

उल्लेखनीय है, 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री और यूपी के CM योगी आदित्यनाथ समेत 7000 अति विशिष्ट एवं विशिष्ठ (VVIP & VPP) लोगों के सम्मिलित होने की आशा है। अब कांग्रेस द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकराने के बाद भाजपा ने विपक्ष पर निशाना साधा और उसे ‘सनातन विरोधी’ (हिंदू विरोधी) करार दिया।

हिंदू धर्म की विरोधी है कांग्रेस
रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का कांग्रेस के तीन नेताओं की तरफ से निमंत्रण ठुकराये जाने के बाद 
भाजपा ने दावा किया, कि इस कदम से भारत की संस्कृति और हिंदू धर्म के प्रति मुख्य विपक्षी पार्टी का स्वाभाविक विरोध उजागर हो गया है। राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा-  प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपनी ‘ईर्ष्या, द्वेष और हीन भावना’ के कारण कांग्रेस देश का विरोध करने की हद तक चली गई है और अब भगवान का भी विरोध कर रही है। अयोध्या में राम मंदिर भारतीय परंपराओं और संस्कृति के उच्चतम मूल्यों का प्रतीक है, लेकिन कांग्रेस और समान मानसिकता वाले अन्य विपक्षी दलों के लिए कट्टरपंथी राजनीति अधिक महत्वपूर्ण है। 

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"धर्म नगरी" सूचना केंद्र एवं हेल्प-लाइन सेवा शिविर
प्रयागराज माघ मेले में विगत वर्षों की भाँति "सूचना केंद्र हेल्प-लाइन सेवा" माघ मेला-2024 लगाया जाएगा। श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु शिविर की सेवा में आप भी "धर्म नगरी" का या शिविर के आयोजन में स्वेच्छापूर्वक किसी प्रकार का सहयोग कर सकते हैं। अपना सहयोग देकर हमसे निःसंकोच पूंछे- मेरा सहयोग कहाँ लगा ? कृपया सम्पर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110, मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।
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सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- भारत का इतिहास जब-जब करवट ले रहा होता है, तब-तब कांग्रेस उस अवसर के साथ खड़े न होकर उसका बहिष्कार करती है। कांग्रेस ने
- नये संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार किया,
- जब GST लागू हुआ तो उसका भी बहिष्कार किया,
- G20 के समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आए थे, भोज का भी कांग्रेस ने बहिष्कार किया,
- पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और अब द्रौपदी मुर्मू जी के अभिभाषण का बहिष्कार किया,
- कांग्रेस ने कारगिल विजय दिवस का बहिष्कार किया,
- पोकरण परमाणु परीक्षण के बाद 10 दिन तक कांग्रेस ने कोई बयान नहीं दिया था।
- पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जी, जो इन्हीं की पार्टी के थे उनके भारत रत्न समारोह का भी कांग्रेस ने बहिष्कार किया,
- अब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का भी बहिष्कार, इसी बहिष्कार बहिष्कार के चलते जनता उन्हें जन मन और सत्ता से बहिष्कृत करती चली जा रही है,
कांग्रेस की हिंदू धर्म व भारतीय संस्कृति के उत्थान का विरोध करने की यह प्रवृत्ति ख़ानदानी है,
नेहरू जी ने सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से केवल इंकार नहीं किया था बल्कि उसे कष्टकारी कहा था। यह कष्ट आज भी कांग्रेस व कांग्रेस गोत्र के सारे दलों को श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से हो रही है। 
सुनें- 

नेहरू ने सोमनाथ मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का किया बहिष्कार 
72 वर्ष पहले नेहरू ने सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का बहिष्कार किया था। उनके वंशजों ने आज राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का बहिष्कार किया है। ये बात असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वा सरमा ने आज (11 जनवरी) प्रेसवार्ता में कहते हुए कहा, विश्व हिंदू परिषद ने कांग्रेसियों को पश्चाताप करने के लिए एक सुनहरा अवसर दिया, परंतु…
सुनें-

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'करोड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं का दिल टूटा'
कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम कहते हैं- राम मंदिर और भगवान राम सबके हैं। राम मंदिर को बीजेपी, आरएसएस, वीएचपी या बजरंग दल का मान लेना दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे पूरा भरोसा है, कि कांग्रेस हिंदू विरोध पार्टी नहीं है, ना राम विरोधी है। कुछ लोग हैं, जिन्होंने इस तरह का फैसला करवाने में भूमिका अदा की है। आज मेरा दिल टूट गया है। इस फैसले (कांग्रेस के प्राण-प्रतिष्ठा में जाने से इंकार करने) से करोड़ों कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का दिल टूटा है। उन कार्यकर्ताओं और नेताओं का... जिनकी आस्था भगवान राम में है।

गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पोरबंदर से विधायक अर्जुन मोढवाडिया अपनी ही पार्टी को नसीहत देते हैं और कहते हैं कि भगवान श्री राम आराध्य देव हैं. यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है. कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था. इसी तरह, कांग्रेस नेता अंबरीश डेर कहते हैं कि देशभर में अनगिनत लोगों की आस्था इस नवनिर्मित मंदिर से वर्षों से जुड़ी हुई है. कांग्रेस के कुछ लोगों को उस खास तरह के बयान से दूरी बनाए रखनी चाहिए और जनभावना का दिल से सम्मान करना चाहिए. इस तरह के बयान से मेरे जैसे गुजरात कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक हैं। 

'मध्य प्रदेश में कमलनाथ भी सॉफ्ट हिंदुत्व के भरोसे!'

बीते चुनावी साल मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता कमलनाथ राम मय दिखे। चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत उन्होंने धार्मिक आयोजन से किया और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को बुलाया। नर्मदा तट पर पूजा-अर्चना और आरती का कार्यक्रम रखा। उससे पहले सनातन के बड़े चेहरे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को छिंदवाड़ा बुलाकर कथा का आयोजन करवाया। एक दिन पहले ही उनके बेटे और छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ ने एक्स पर एक वीडियो शेयर किया और लिखा- 4 करोड़ 31 लाख राम नाम लिखकर छिंदवाड़ा इतिहास रचने जा रहा है। आज उसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी के साथ सिमरिया हनुमान मंदिर पहुंचकर पत्रक में राम नाम लिखा। आप सभी से अपील करता हूं कि इस ऐतिहासिक कार्य में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करें। राम राम !

'हाईकमान की NO, पर UP कांग्रेस टीम अयोध्या जाएगी'
यूपी में प्रदेश अध्यक्ष अजय राय कहते हैं कि वो मकर संक्राति पर अयोध्या जाएंगे और रामलला के दर्शन करेंगे. उनके साथ यूपी कांग्रेस के नेता भी अयोध्या पहुंचेंगे। उन्होने नया नारा भी दिया- 'सबके राम, चलो अयोध्या धाम' पोस्टर में उन्होंने सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की फोटो लगाई है। जय राय कहते हैं, कि वे सबसे पहले सरयू में स्नान करके विधि विधान से पूजा करेंगे. अन्य नेता भी दर्शन पूजन में शामिल होंगे। 

शंकराचार्य के बहाने कांग्रेस किनारा करने में जुटी 
राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर कांग्रेस के रवैये पर गुजरात कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल कहते हैं- हमारे कुछ सहयोगियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। हमारे पास आंतरिक लोकतंत्र है लेकिन ऊपर से कोई अन्य आवाज नहीं है। हाईकमान का निर्णय उचित है। यह स्पष्ट है कि हिंदू धर्म में अगर कोई सबसे बड़ा निर्णय ले सकता है तो जिसका उल्लेख हमारे ग्रंथों और हमारी परंपराओं में है, वो शंकराचार्य जी महाराज हैं। जब शंकराचार्य जी महाराज कह रहे हैं कि मंदिर अभी पूरा नहीं हुआ है, अभी प्राण-प्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए और बीजेपी चुनाव को देखते हुए सरकारी आयोजन करती है तो यह स्पष्ट है कि इसमें कौन शामिल होगा। 
वह आगे कहते हैं- मंदिर में दर्शन के लिए किसी आमंत्रण की जरूरत नहीं है. भगवान के घर बिना बुलाए हर कोई जा सकता है. जब मंदिर पूरा बन जाएगा तो आस्था रखने वाला हर कांग्रेसी जाएगा. सिर्फ भव्यता ही भगवान का आशीर्वाद नहीं लाती. रावण के पास बहुत वैभव था लेकिन उसे आशीर्वाद नहीं मिला. लेकिन शबरी मां के पास कुछ भी नहीं था, उसके दिल में भावनाएं थीं, इसलिए उसे भगवान का आशीर्वाद मिला. अब जब काम के नाम पर वोट नहीं मिल रहा तो राम के नाम पर रोटी पकाकर वोट बैंक करने निकले हैं. मैं वोटों की राजनीति में अपने भगवान का उपयोग नहीं करता हूं। 

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"श्रीराम मंदिर निर्माण विशेषांक"  
अयोध्या में 493 वर्षों तक संघर्षों एवं युद्धों के पश्चात नवनिर्मित भव्य मंदिर में "रामलला" की प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर "धर्म नगरी" का विशेषांक प्रकाशित हो रहा है। इसमें आप भी अपनी फोटो सहित शुभकामना या प्रतिक्रिया देते हुए अपने नाम/ संस्था/ आश्रम / पार्टी आदि के नाम से देशभर में जहाँ चाहें,  प्रतियाँ भिजवा सकते हैं।

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'चुनावी लाभ के लिए अधूरे मंदिर का हो रहा उद्घाटन'
कांग्रेस ने (10 जनवरी को) एक बयान जारी करके बताया था, कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन को 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता मिला था। चूंकि, यह बीजेपी और आरएसएस का इवेंट है और चुनावी लाभ के लिए अधूरे मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है, इसलिए कांग्रेस पार्टी न्योते को सम्मान अस्वीकार करती है।  कांग्रेस पार्टी से कोई नेता अयोध्या के कार्यक्रम में नहीं जाएगा. इसके साथ ही कांग्रेस ने कहा कि धर्म एक निजी मसला है. लेकिन आरएसएस / बीजेपी ने लंबे समय से अयोध्या में मंदिर को राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है. बीजेपी और आरएसएस के नेताओं द्वारा अधूरे मंदिर का उद्घाटन स्पष्ट रूप से चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है। 

कांग्रेस ने अयोध्या न जाने के तीन कारण बताए !
इंडिया अलायंस में ज्यादातर पार्टियां खुद को धर्म निरपेक्ष कहती हैं. उनका अपना बड़ा वोट बैंक है. अंदरखाने यह भी डर है कि अगर वो अयोध्या जाएंगे, तब भी बीजेपी घेरेगी और ना जाने पर भी सवाल उठाएगी. ऐसे में बीजेपी के किसी एजेंडे में फंसने से बेहतर अयोध्या मसले पर किनारा कर लिया जाए. इसका काउंटर करने की भी स्क्रिप्ट तैयार कर ली है. कांग्रेस ने अयोध्या जाने से दूरी बनाने की तीन बड़ी वजह बताई हैं. पहला- चुनाव को देखते हुए अधूरे मंदिर का उद्घाटन करना. दूसरा- चारों शंकराचार्य का ना जाना और तीसरा- BJP, RSS, बजरंग दल और VHP की इस पूरे कार्यक्रम में भूमिका ? कांग्रेस का कहना है कि ये 
BJP-RSS का कार्यक्रम है। 

अब क्या है 'काउंटर अटैक' की तैयारी ! 
अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या अयोध्या से दूरी बनाने से इंडिया गठबंधन और उसके भविष्य पर असर पड़ेगा. चूंकि, तीन महीने से भी कम समय में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी ने यह साफ कर दिया है कि वो राम मंदिर के मुद्दे को भुनाएगी और कांग्रेस समेत इंडिया अलायंस को घेरने के लिए 'हिंदू विरोधी' के रूप में प्रचारित करने में कसर नहीं छोड़ेगी. बीजेपी का जब यह एजेंडा साफ हो गया है तब विपक्ष के सामने बड़ी चुनौती यही है कि वो अयोध्या मुद्दे का काउंटर अटैक कैसे करेगा ?

कांग्रेस की तरह ही अयोध्या को लेकर उसके सहयोगी गठबंधन दलों का रुख भी देखने को मिला है. यानी कांग्रेस भी विपक्ष से अलग राय नहीं रखती है. इससे पहले अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव, ममता बनर्जी, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी भी अयोध्या ना जाने का ऐलान कर चुके हैं। शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे को अब तक निमंत्रण नहीं मिला है. इसलिए उन्होंने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। बीजेपी को सत्ता से हटाने की कामना को लेकर 28 विपक्षी दलों ने इंडियन नेशनल डेवेलपमेंट इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया) नाम से गठबंधन बनाया है। 

सनातन के विरोध में दिए कुछ चर्चित बयान- 
- पांच राज्यों में चुनाव से पहले तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन के बेटे और DMK नेता उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया, डेंगू और कोरोना वायरस से की थी। उदयनिधि ने कहा था- कुछ चीजों को खत्म करना ही होगा जैसे- मच्छर, डेंगू, मलेरिया और कोरोना. इनका विरोध नहीं किया जा सकता. सनातन धर्म भी ऐसा ही है. उल्लेखने है, उदयनिधि के दादा और तमिलनाडु के पूर्व CM एम.करुणानिधि भी हिंदू देवी-देवताओं के अस्तित्व पर सवाल उठाते रहे हैं। 

- कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम (पी. चिदंबरम के बेटे) ने कहा, सनातन धर्म एक कास्ट हायरार्कियल सोसायटी के लिए कोड के अलावा और कुछ नहीं है. इसके लिए बैटिंग करने वाले सभी अच्छे पुराने दिनों के लिए उत्सुक हैं. जाति भारत का अभिशाप है। तमिलनाडु में आम बोलचाल की भाषा में 'सनातन धर्म' का अर्थ पदानुक्रमित समाज है। ऐसा क्यों है, कि हर कोई जो सनातन धर्म के लिए बल्लेबाजी कर रहा है, वह विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग से आता है, जो 'पदानुक्रम' के लाभार्थी हैं। 

- कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे (कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे) ने कहा, कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता, मानव की गरिमा सुनिश्चित नहीं करता वह धर्म नहीं है. जो धर्म समान अधिकार नहीं देता या इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करता, वह बीमारी के समान है। 

पहले भी विपक्ष करता रहा है सनातन का अपमान 
कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के कारण राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के विरोध से पहले भी विवादों में आई है। दक्षिण में सनतान-विरोध का मुद्दा गूंजा, तो यूपी-बिहार-दिल्ली में राम चरित मानस और हिंदू देवी-देवताओं पर विवादित बयानों ने लोगों में नाराजगी बढ़ाने का काम किया। 

दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और AAP नेता राजेंद्र पाल गौतम ने अक्टूबर 2022 में हिंदू देवी-देवताओं पर सवाल उठाए। गौतम ने लोगों को भगवान राम और श्रीकृष्ण की पूजा ना करने की शपथ दिलाई थी। उसके बाद राजद नेता और बिहार में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने राम चरित मानस पर विवादित बयान देकर माहौल गरमा दिया। 
इन सबसे दो कदम आगे बढ़कर समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने सनातन एवं हिन्दुओं को अपमानित करने में कसर नहीं छोड़ी। दोनों नेता अभी भी अपने बयानों से पार्टियों की मुश्किलें बढ़ाते आ रहे हैं। 
वहीं, तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सनातन विरोधी बयानों ने कांग्रेस को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया। पहले डीएमके नेता उदयनिधि ने सनातन को लेकर विवादित बयान दिया।  उसके बाद डीएमके से ही सांसद दयानिधि मारन ने यूपी और बिहार के लोगों के लिए अमर्यादित टिप्पणी की थी।  कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे और कार्ति चिंदबरम भी सनातन के विरोध में बयान दे चुके हैं। 
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#सोशल_मीडिया से कुछ तत्कालिक प्रतिक्रिया... 
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प्राणप्रतिष्ठा का कार्य संतो का है राजनेता का नही ,देश में बहुत सारे मूल समस्या है जिनके लिए राजनेता को जनमत के माध्यम से चुना जाता है -@reborn_rahul
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उनको सिर्फ ये पसंद है ना -@Siddhi_Shaurya

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अयोध्या में 493 वर्षों तक संघर्षों एवं युद्धों के पश्चात नवनिर्मित भव्य मंदिर में "रामलला" की प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर "धर्म नगरी" का विशेषांक प्रकाशित हो रहा है। इसमें आप भी अपनी फोटो सहित शुभकामना या प्रतिक्रिया देते हुए अपने नाम/ संस्था/ आश्रम / पार्टी आदि के नाम से देशभर में जहाँ चाहें,  प्रतियाँ भिजवा सकते हैं।

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कथा हेतु सम्पर्क करें- व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना (मीडिया आदि) में पूर्ण सहयोग रहेगा। 
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