#RamMandir : प्रयागराज के "राम रागों" से राममय होगा देश, जन कवि कैलाश गौतम के लिखे...


...लोक रामायण राम रसायन नाट्य रूपक के भजनों से बनेगा राममय दिन 
- राम पर कहरवा, दादरा, चौताल और कजरी, सोहर
- सभी रेडियो स्टेशनों से होगा प्रसारण

प्रयागराज ब्यूरो / 
रा.पाठक 
(धर्म नगरी / DN News)  
W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, सदस्यता हेतु

नवनिर्माणाधीन राम मन्दिर एवं प्राण-प्रतिष्ठा में सभी सनातनी, राष्ट्रप्रेमी एवं हिंदुत्व को जानकर सम्मान देने वाले अपना-अपना योगदान दे रहें हैं, व्यक्तिगत रूप से, संगठन या अन्य तरह है। इसमें आकाशवाणी All India Radio (AIR), प्रसार भारती भी पीछे नहीं है। आकाशवाणी द्वारा जन कवि कैलाश गौतम के लिखे लोक रामायण राम रसायन नाट्य रूपक के विलुप्त प्राय हो चुके भजनों से प्राण-प्रतिष्ठा वाले दिन को राममय बनाया जाएगा। महानिदेशालय (
आकाशवाणी) के निर्देश पर राम के जन्म से लेकर वनवास तक के संपूर्ण चरित्र पर आधारित 26 लोक भजनों की रिकार्डिंग आकाशवाणी ने कराई है।

हम ना लेबै उतराई हे मालिक ना लेबै उतराई
दुनिया के जे पार लगवलस ओसे हम का लेबै... लोक मानस में रचे-बसे जन कवि कैलाश गौतम के ये कालजयी लोक भजन जन्मभूमि पर रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा वाले दिन पूरे देश में गूंजेंगे। देश को राममय बनाने के लिए प्रसार भारती ने प्रयागराज में रचे गए दुर्लभ लोक धुनों को चुना है। इन भजनों की रिकार्डिंग महानिदेशालय भेजी गई है। लोक रामायण रामरसायन नाट्य रूपक गोवर्धन भैया के नाम से प्रसिद्ध रहे कवि कैलाश गौतम ने वर्ष 1997 में लिखा था।

प्रसार भारती की महानिदेशक वसुधा गुप्ता के निर्देश पर जब इस नाट्य रूपक खोजा गया, तब पता चला कि पूरी रिकार्डिंग खराब हो चुकी है। इसके बाद उनके हस्तलेख से किसी तरह 36 में से 26 भजनों को नए सिरे से रिकाॅर्ड कराया गया। इसमें कहरवा, दादरा, चौताल और कजरी, सोहर जैसी लोक धुनों में राम पर आधारित भजन प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में आकाशवाणी अयोध्या धाम समेत पूरे देश में बजाए जाएंगे।

आकाशवाणी के निदेशक लोकेश शुक्ल ने बताया, कि लोक रामायण के भजनों की तीन दिन की लंबी मशक्कत के बाद रिकार्डिंग करा ली गई है। इसमें प्रभु श्री राम के जन्म, विश्वामित्र के साथ यज्ञ की रक्षा के लिए जाने के अलावा राम वन गमन के प्रसंगों पर आधारित भजन शामिल किए गए हैं। इन भजनों को आकाशवाणी के एक ग्रेड के कलाकारों ने लयबद्ध किया है।

प्रभु श्रीराम पर आधारित इस नाट्य रूपक को अर्काइव से निकाला गया तो उसकी रिकॉर्डिंग उपयोग  के लायक नहीं रह गई। ऐसे में किसी तरह उनके हस्तलेखों को एकत्र किया गया। इसमें से 36 की जगह 26 भजनों की रिकॉर्डिंग करा ली गई। इसमें भगवान राम के विविध रूपों और उनके जीवन के आदर्शों के भजनों में पिरोया गया है। प्राण-प्रतिष्ठा के दिन इन भजनों को आकाशवाणी के सभी केंद्रों से एक साथ प्रसारित किया जाएगा। - लोकेश शुक्ला, निदेशक-आकाशवाणी प्रयागराज

----------------------------------------------
"धर्म नगरी" सूचना केंद्र एवं हेल्प-लाइन सेवा शिविर
प्रयागराज माघ मेले में इस वर्ष भी "सूचना केंद्र हेल्प-लाइन सेवा" माघ मेला-2024 लगाया गया है। श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु शिविर की सेवा में आप भी "धर्म नगरी" को या शिविर के आयोजन में स्वेच्छापूर्वक किसी प्रकार का सहयोग करें। अपना सहयोग देकर निःसंकोच पूंछे- कि आपके कहाँ कहाँ उपयोग हुआ ? सम्पर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110 मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।

माघ_मेला_2024 : जाने मेले से जुड़े उपयोगी नंबर, रेलवे जंक्शन 
http://www.dharmnagari.com/2024/01/Magh-Mela-2024-Important-numbers-Special-Trains-Traffice-Parking.html 
----------------------------------------------


जन कवि स्व. कैलाश गौतम जी की प्रसिद्ध कविता-

रामधनी की दुलहिन
 
रामधनी की दुलहिन
मुँह पर
उजली धूप
पीठ पर काली बदली है।

...रामधनी की दुलहिन
नदी नहाकर निकली है ।

इसे देखकर
जल जैसे
लहराने लगता है,
थाह लगाने वाला
थाह लगाने लगता है,

होठों पर है हँसी
गले
चाँदी की हँसली है।

गाँव-गली
अमराई से
खुलकर बतियाती है,
अक्षत -रोली
और नारियल
रोज़ चढ़ाती है,
ईख के मन में
पहली-पहली
कच्ची इमली है।

लहरों का कलकल इसकी
मीठी किलकारी है,
पान की आँखों में रहती
यह धान की क्यारी है,

क्या कहना है परछाई का
रोहू मछली है।
दुबली -पतली
देह बीस की
युवा किशोरी है ,
इसकी अँजुरी
जैसे कोई
खीर कटोरी है ,

रामधनी कहता है
हँसकर
कैसी पगली है।
------------------

अयोध्या / प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित रिपोर्ट /लेख-
नवनिर्माणाधीन मन्दिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति का प्रवेश, अब अरणिमन्थन...  
http://www.dharmnagari.com/2024/01/Ram-Mandir-Pran-Pratistha-Ramlala-murti-pravesh-special-puja.html

अयोध्या राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा  से जुड़े विभिन्न लेख व समाचार के links ☟  
http://www.dharmnagari.com/2024/01/Ayodhya-Ram-mandir-22-January-ko-Ghar-me-kare-Ramlala-ki-sthapana-How-to-book-online-Ayodhya-Aarti.html

श्रीराम मंदिर निर्माण विशेषांक 
अयोध्या में 493 वर्षों तक संघर्षों एवं युद्धों के पश्चात नवनिर्मित भव्य मंदिर में "रामलला" की प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर "धर्म नगरी" का विशेषांक प्रकाशित हो रहा है। इसमें आप भी अपनी फोटो सहित शुभकामना या प्रतिक्रिया देते हुए अपने नाम/ संस्था/ आश्रम / पार्टी आदि के नाम से देशभर में जहाँ चाहें,  प्रतियाँ भिजवा सकते हैं।

प्रतियाँ अयोध्या, प्रयागराज माघ मेला-2024 तथा वृन्दावन व हरिद्वार में भेजा या सौजन्य प्रति के रूप में बाटा जाएगा। आप भी "सौजन्य प्रति" के स्थान पर अपने नाम, फोटो, शुभकामना या गतिविधि / उपलब्धि आदि  प्रतियाँ भिजवा या बटवा सकते हैं। कृपया संपर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110, मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com माघ हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।
"धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान अथवा अपने नाम (की सील के साथ) प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु बैंक खाते का डिटेल- 
"Dharm Nagari" (चालू खाता)
A/c- no.32539799922 
IFS Code- SBIN0007932 
State Bank India, Bhopal
-

जन कवि कैलाश गौतम जी की सर्वाधिक चर्चित कविताओं में एक...
कचहरी न जाना 
भले डांट घर में तू बीबी की खाना
भले जैसे-तैसे गिरस्ती चलाना
भले जा के जंगल में धूनी रमाना
मगर मेरे बेटे कचहरी न जाना
कचहरी न जाना
कचहरी न जाना

कचहरी हमारी तुम्हारी नहीं है
कहीं से कोई रिश्तेदारी नहीं है
अहलमद से भी कोरी यारी नहीं है
तिवारी था पहले तिवारी नहीं है

कचहरी की महिमा निराली है
बेटे कचहरी वकीलों की थाली है बेटे
पुलिस के लिए छोटी साली है
बेटे यहाँ पैरवी अब दलाली है बेटे

कचहरी ही गुंडों की खेती है बेटे
यही जिन्दगी उनको देती है बेटे
खुले आम कातिल यहाँ घूमते हैं
सिपाही दरोगा चरण चूमतें है

कचहरी में सच की बड़ी दुर्दशा है
भला आदमी किस तरह से फंसा है
यहाँ झूठ की ही कमाई है बेटे
यहाँ झूठ का रेट हाई है बेटे

कचहरी का मारा कचहरी में भागे
कचहरी में सोये कचहरी में जागे
मर जी रहा है गवाही में ऐसे
है तांबे का हंडा सुराही में जैसे

लगाते-बुझाते सिखाते मिलेंगे
हथेली पे सरसों उगाते मिलेंगे
कचहरी तो बेवा का तन देखती है
कहाँ से खुलेगा बटन देखती है

कचहरी शरीफों की खातिर नहीं है
उसी की कसम लो जो हाज़िर नहीं है
है बासी मुहं घर से बुलाती कचहरी
बुलाकर के दिन भर रुलाती कचहरी

मुकदमें की फाइल दबाती कचहरी
हमेशा नया गुल खिलाती कचहरी
कचहरी का पानी जहर से भरा है
कचहरी के नल पर मुवक्किल मरा है

मुकदमा बहुत पैसा खाता है बेटे
मेरे जैसा कैसे निभाता है बेटे
दलालों नें घेरा सुझाया-बुझाया
वकीलों नें हाकिम से सटकर दिखाया

धनुष हो गया हूँ मैं टूटा नहीं हूँ
मैं मुट्ठी हूँ केवल अंगूठा नहीं हूँ
नहीं कर सका मैं मुकदमें का सौदा
जहाँ था करौदा वहीं है करौदा

कचहरी का पानी कचहरी का दाना
तुम्हे लग न जाये तू बचना बचाना
भले और कोई मुसीबत बुलाना
कचहरी की नौबत कभी घर न लाना

कभी भूल कर भी न आँखें उठाना
न आँखें उठाना न गर्दन फसाना
जहाँ पांडवों को नरक है कचहरी
वहीं कौरवों को सरग है कचहरी।।


बेटी सरोज भी लिखती हैं सुंदर गीत-गजल    
वाराणसी में जन्मी सरोज त्यागी जनकवि कैलाश गौतम की बेटी हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रा रही सरोज गीत-ग़ज़ल जितना सुन्दर लिखती हैं, उतना ही सुन्दर पढ़ती भी हैं। साहित्य की अन्य विधाओं में धारदार लिखती हैं। घर परिवार की सभी जिम्मेदारियों को निभाते हुए भोजपुरी व हिन्दी दोनों भाषाओं में रेडियो व दूरदर्शन पर काव्यपाठ करना, पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखते रहना व मंचों पर सक्रिय रहना सरोज जी की साहित्य के प्रति निष्ठा व समर्पण को बताता है। आप वर्तमान में गाजियाबाद में रहती हैं। पढ़ें उनकी कविता  

"फागुन आयल हौ"
बउरल आम झरत बा महुआ मन अलसायल हौ
गावा फाग जोगीड़ा गावा फागुन आयल हौ।।
कोयल सगुन सुनावै सुगना पतरा बांचत हौ
चूम चूम कलियन के भंवरा उड़-उड़ नाचत हौ
केकरे घरे असों फिर हरदी धान बटायल हौ
गावा फाग जोगीड़ा गावा फागुन आयल हौ।।
बन बन फूल रहल हौ टेसू सरसों भयल बसन्ती
होत बिहाने पनघट पहुचैं गगरी ले लजवन्ती
छनन छनन बाजै पैजनियां मन अलसायल हौ
गावा फाग जोगीड़ा गावा फागुन आयल हौ।।
तन पर सोहै चटक चुनरिया खनखन खनकै कंगना
निहुर निहुर नइकी दुल्हनियां रोज बोहारै अंगना
नैन कहीं, लट कहीं, कहीं पर मन अझुरायल हौ
गावा फाग जोगीड़ा गावा फागुन आयल हौ।।
सनन सनन बोलैं पुरवाई, हंस हंस खीचै अंचरा
माथ टिकुलिया, गाल पे लाली आखिन सोहै कजरा
जे जे देखलस रूप लोभावन ऊहे घायल हौ
गावा फाग जोगीड़ा गावा फागुन आयल हौ।।

"राम खेलावन"
कउच कउच के राम खेलावन टहरैं घरे दुआरे
केकरे साथे फगुआ खेलीं फागुन चढ़ल कपारे।।
बड़की भऊजी माई अइसन, छोटकी लगै भयाहू
नइहर जा के बइठ गईल बा, रूसल बा मेहरारू
निरहू घूरहू गया गजाधर सब जाई ससुरारी
साली सरहज फगुआ खेलिहैं मार मार पिचकारी
अइसन भाग कहां बा आपन ना अइसन ससुरारी
नाहीं बाटैं साला सरहज, साली नाहीं कुंवारी
मन ही मन कोसैं गरियावैं बइठल बीच दुआरी
केहू के जिन दीहा विधाता हमरे अस ससुरारी ।।

👉 कृपया "धर्म नगरी" के लेख / कवरेज / समाचार पर अपने विचार या प्रतिक्रिया नीचे POST A COMMENT कमेंट बॉक्स में दें 
  

No comments