मकर संक्रांति : दिन-रात बराबर होने से इस दिन से वसंत ऋतु का आगमन, मकर के संक्रांति के इसी दिन से...


...दिन बड़े, रातें छोटी होने लगती हैं
- उत्तरायण का पर्व, राशि अनुसार करें विशेष दान  
संक्रांति पर अपने पितरों को तर्पण अवश्य करें  
मकर संक्रांति पर क्यों करते हैं सूर्य की पूजा
- 'तिलगुड़ घ्या आनी गोड़-गोड़ बोला' 
(धर्म नगरी / DN News)  
(W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, सदस्यता, हेतु)
-राजेशपाठक 

सनातन हिंदू धर्म का मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। यह पर्व कुछ वर्षों पूर्व तक जनवरी 14वें दिन पड़ता था, परन्तु अब 14वें / 15वें (14 या 15 जनवरी को) को पड़ता है। देश भर में यह पर्व / त्यौहार को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यद्यपि, मकर संक्रांति का पर्व / त्यौहार चंद्रमा की विभिन्न स्थितियों के आधार पर मनाए जाने वाले अन्य हिंदू त्योहारों में से एक है। चंद्र कैलेंडर के स्थान पर सौर कैलेंडर के अनुसार गणना की जाती है।

मकर संक्रांति को उत्तरायण का पर्व भी कहा जाता है। इसके बाद से ही देशभर में तमाम मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं. इस दिन सूर्य मकर संक्रांति में प्रवेश करते हैं, जिसके चलते इसे मकर संक्रांति का त्योहार कहा जाता है। इस दिन पूजा-पाठ और स्नान दान का खास महत्व होता है. लोग तीर्थों में जाकर गंगा स्नान भी करते हैं। 

मकर संक्रांति के दिन से दिन बड़े होने लगते हैं, जबकि रातें छोटी होने लगती हैं, यह पर्व एक संक्रांति पर्व है। इस दिन दिन-रात बराबर होने से वसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। मकर संक्रांति को लेकर इस बार लोगों के मन में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यह 14 जनवरी या 15 जनवरी को होगा। आइए जानते हैं कि वर्ष 2024 में मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी।

मकर संक्रांति के दिन प्रयागराज संगम के तट एवं पवित्र नदियों के पावन तटों पर हजारों श्रद्धालुओं को स्नान, दानादि द्वारा पुण्यार्जन करते देखा जाता है। सूर्य सिंह राशि के स्वामी हैं और शनि मकर और कुंभ दो राशियों के स्वामी हैं, जब मकर संक्रांति के दिन सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होता है, तो ऐसा माना जाता है कि पिता सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर आए हैं, जिसके चलते दान-पुण्य करने का विशेष विधान है।

----------------------------------------------
"धर्म नगरी" सूचना केंद्र एवं हेल्प-लाइन सेवा शिविर
प्रयागराज माघ मेले में विगत वर्षों की भाँति "सूचना केंद्र हेल्प-लाइन सेवा" माघ मेला-2024 लगाया जाएगा। श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु शिविर की सेवा में आप भी "धर्म नगरी" का या शिविर के आयोजन में स्वेच्छापूर्वक किसी प्रकार का सहयोग कर सकते हैं। अपना सहयोग देकर हमसे निःसंकोच पूंछे- मेरा सहयोग कहाँ लगा ? कृपया सम्पर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110, मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।
----------------------------------------------

उत्तरायण का पर्व 
शास्त्रानुसार, ‘उत्तरायण’ की अवधि देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है। देवताओं के दिन उत्तरायण में नए घर में गृह-प्रवेश, निर्माण, देवप्रतिष्ठा, साधन, सकाम यज्ञादि अनुष्ठानों हेतु शुभ बताया है। देह त्याग करने के लिए भी उत्तरायण की विशेषता शास्त्रों में वर्णन है। श्रीमत भगवत गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं- जो ब्रह्मवेत्ता योगी, उत्तरायण सूर्य के 6 माह, दिन के प्रकाश, शुक्लपक्षादि में प्राण छोड़ता है, वह ब्रह्म को प्राप्त होता है।

उत्तरायण को वैदिक काल में ‘देवयान’ तथा दक्षिणायन को ‘पितृयान’ कहा जाता था। उत्तरायण सूर्य का महत्व महाभारत का यह प्रसिद्ध आख्यान बताता है। जब भीष्म पितामह युद्ध में क्षत-विक्षत होकर बाणों की शैय्या पर मृत्यु के निकट, अपने जीवन की अंतिम सांसें ले रहे थे, तो पाण्डवों में ज्योतिष विद्या के ज्ञाता सहदेव के कहने पर, कि इस समय अभी दक्षिणायन चल रहा है, भीष्म पितामह ने अपने प्राणों को उत्तरायण की प्रतीक्षा में रोके रखा और माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही देह त्याग किया। मकर संक्रान्ति के दिन यज्ञ में दी गई आहूतियों को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी मार्ग से पुण्यात्माएं शरीर को छोड़कर स्वर्गादि लोकों में प्रवेश करती है।

सूर्य की 12 संक्रान्ति 
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रान्ति कहते है। इसमें धनु राशि से सूर्य निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य की 12 संक्रान्ति होती है, उसमें मकर संक्रान्ति का सर्वाधिक महत्व है। इस दिन सूर्य अपनी चाल बदलते हुए दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते है।

मकर संक्रांति के व्रत की संक्षिप्त विधि का वर्णन भविष्य पुराण में मिलता है। इसके अनुसार सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। संक्रांति के तिल को पानी में मिलाकार स्नान करना चाहिए। संभव हो, तो गंगा स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पितरों का ध्यान व तर्पण 
साथ ही संक्रांति के पुण्य अवसर पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण अवश्य प्रदान करना चाहिए। मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद भगवान सूर्यदेव का स्मरण करना चाहिए। इनका स्मरण करने के लिए गायत्री मंत्र के अतिरिक्त निम्न मंत्रों से भी पूजा की जा सकती है: ॐ सूर्याय नमः, ॐ आदित्याय नमः ॐ सप्तार्चिषे नमः
अन्य प्रभावी मंत्र- ॐ ऋगमंडलाय नमः, ॐ सवित्रे नमः, ॐ वरुणाय नमः, ॐ सप्तसप्त्ये नमः, ॐ मार्तण्डाय नमः, ॐ विष्णवे नम:


मकर संक्रांति के दिन स्नान, पुण्य, दान, जप, धार्मिक अनुष्ठानों का अत्यधिक महत्व है। इस दिन दिया हुआ दान ‘पुनर्जन्म’ होने पर सौ गुणा होकर प्राप्त होता है। पौराणिक ग्रंथों में तिल के तेल से स्नान, तिल का उबटन लगाना, तिल से होम करना, तिल का जल पीना, तिल से बने पदार्थ खाना और तिल का दान देना ये 6 कर्म तिल से ही होना का विधान मिलता है। वैदिक विद्वानों के अनुसार, इस दिन चंदन से अष्टदल का कमल बनाकर उसमें सूर्य नारायण की मूर्ति स्थापित करके उनका विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। इस मास में घी और कम्बल दान करने का विशेष महात्म्य है। शीत के निवारण के लिए तिल आदि का प्रयोग एवं दान किया जाता है। इसलिए भारतीय प्राचीन वैज्ञानिक ऋषि महर्षियों ने इस पर्व पर तिल से स्नान, उबटन, हवन, भोजन, दानादि का विधान बनाया है।

ज्योतिष के अनुसार क्रमशः 12 राशियां- मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन हैं। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को ‘संक्रान्ति’ कहते हैं। ‘मकर’ राशि में सूर्य के प्रवेश करने को ही ‘मकर संक्रान्ति’ कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य लगभग एक माह, एक राशि में रहता है, इसलिए संक्रान्ति प्रत्येक माह में पड़ती है किन्तु मकर और कर्क राशियों में सूर्य का प्रवेश विशेष महत्वपूर्ण होता है। मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरायण और कर्क संक्रान्ति से दक्षिणायन हो जाता है। उत्तरायण में दिन बड़े होने लगते हैं प्रकाश तथा ऊष्मा की वृद्धि होती है, रातें दिन की अपेक्षा छोटी होने लगती हैं, ठीक इसके विपरीत दक्षिणायन में होता है।

राशि अनुसार विशेष दान (मकर संक्रांति को)-
मेष- गुड़ और मूंगफली का दान करें। 
वृषभ- सफेद तिल के लड्डू का दान करें।
मिथुन- हरी सब्जियों का दान करें।

कर्क- चावल और उड़द दाल का दान करें।
सिंह- गुड़, मूंगफली और शहद का दान करें।
कन्या- मौसमी फलों और सब्जियों का दान करें।

तुला- दूध, दही, चूड़ा और सफेद तिल का दान करें।
वृश्चिक- शहद, चिक्की और गुड़ का दान करें।
धनु- हल्दी, केला और धन का दान करें।

मकर- चावल और उड़द की दाल का दान करें।
कुंभ- काले कंबल, तिल एवं गुड़ का दान करें।
मीन- अभावग्रस्त / निर्धनों को वस्त्र और धन का दान करें।

मकर संक्रांति पर करते हैं सूर्य की पूजा 
मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा करते हैं, जिससे सूर्य की कृपा और आशीर्वाद मिले। पूजा में विशेष रूप से जल (गंगाजल या तुलसीजल) का प्रयोग कर आराधना किया जाता है। मकर संक्रांति के इस दिन सूर्य मकर (Capricorn) राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे उत्तरायण कहा जाता है. इस दिन को हिन्दू पंचांग में 'मकर संक्रांति' के नाम से जाना जाता है।  लोग धूप, दीप, चावल, फल, और तिल के लड्डू सूर्य देव को अर्पित करते हैं. इस बार मकर संक्रांति के दिन दुर्लभ संयोग बन रहा है जिसका 5 राशियों को लाभ मिल रहा है। 

कुंडली में जब सुर्य की स्थिति मजबूत होती है उस समय जीवन में मान सम्मान बढ़ता है. धन संपत्ति की में वृद्धि होती है. खासकर मकर संक्रांति पर जब सुर्य अपना राशि परिवर्तन करते हैं तो इसका प्रभाव हर साल कुछ राशियों पर पड़ता है. सूर्य देव की पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य के उत्तरायण को समर्थन करना है, इस दिन से दिन का समय बढ़ता है और रात का समय कम होता है. इससे पृथ्वी पर ऊर्जा का बड़ा स्रोत मिलता है और जीवन को सुस्त और ठंडे मौसम में बदलने का संकेत होता है. 

सूर्य देव की पूजा
धूप और दीप-  पूजा की शुरुआत धूप और दीप से करें। धूप और दीप को सूर्य देव की पूजा के लिए उचित माना जाता है. सूर्य की दिशा में दीप जलाएं और धूप का धुआं उठाएं. 
सूर्य देव का मंत्र- "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव की आराधना करें. 
तुलसी पत्तियां और फूल- सूर्य देव को तुलसी पत्तियों और फूल प्रिय होते हैं. इन्हें अर्पित करें. 
सूर्य देव की मूर्ति या चित्र- अगर आपके पास सूर्य देव की मूर्ति है, तो उसे धूप, दीप, तुलसी, और फूलों के साथ सजाकर श। 

मकर संक्रांति का पर्व देशभर में (अब विदेशों में भी) हर्षोंल्लास से मनाया जाता है।  परन्तु पंजाब में इस दिन विशेष उत्साह दिखता है। मकर संक्रांति को माघी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन सुबह-सुबह स्नान करने का भी विशेष महत्व है। पंजाब में माघी के त्योहार पर भंगड़ा और गिद्दा का आयोजन भी किया जाता है। 

पतंग उड़ाने की भी प्रथा 
मकर संक्रांति वाले दिन पतंग उड़ाने की भी प्रथा है। पंजाब से लेकर गुजरात और राजस्थान में तो पतंगबाजी की प्रतियोगिता करवाई जाती है। माना जाता है, मकर संक्रांति सर्दियों के अंत और लंबे दिनों की शुरुआत का प्रतीक है। इस अवसर पर हरिद्वार, काशी और प्रयागराज (माघ मेले का शुभारंभ इसी दिन से होता है) में लाखों हिन्दुओं, श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। 

मकर संक्रांति का पर्व परम्परागत (ट्रेडिशनल) खाने के बिना अधूरा माना जाता है। इसदिन तिल के लड्डू, पूरन पोली, खिचड़ी, सरसों का साग-मक्की की रोटी और पिन्नी बनाई जाती हैं। माना जाता है, मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं। यह पर्व पिता-पुत्र के अनूठे मिलन से भी जुड़ा है। आप भी इस पर्व को मनाते हुए घर में पकवान (तिल के अवश्य बनवाएं) और अपने सगे-संबंधियों को बधाई संदेश भेजें। 

इस कारण है 15 जनवरी को संक्रांति 
15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। 
ज्योतिषविदों एवं पंचांग के अनुसार इस दिन सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस अवसर पर शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा।

मकर संक्रांति पुण्यकाल - प्रातः 7:15 बजे से सायं 6: 21 बजे तक
मकर संक्रांति महा पुण्यकाल - प्रातः 7:15 बजे से प्रातः 9: 06 बजे तक

----------------------------------------------
"श्रीराम मंदिर निर्माण विशेषांक"  
अयोध्या में 493 वर्षों तक संघर्षों एवं युद्धों के पश्चात नवनिर्मित भव्य मंदिर में "रामलला" की प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर "धर्म नगरी" का विशेषांक प्रकाशित हो रहा है। इसमें आप भी अपनी फोटो सहित शुभकामना या प्रतिक्रिया देते हुए अपने नाम/ संस्था/ आश्रम / पार्टी आदि के नाम से देशभर में जहाँ चाहें,  प्रतियाँ भिजवा सकते हैं।

प्रतियाँ अयोध्या, प्रयागराज माघ मेला-2024 तथा वृन्दावन व हरिद्वार में भेजा या सौजन्य प्रति के रूप में बाटा जाएगा। आप भी "सौजन्य प्रति" के स्थान पर अपने नाम, फोटो, शुभकामना या गतिविधि / उपलब्धि आदि  प्रतियाँ भिजवा या बटवा सकते हैं। कृपया संपर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110, मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com माघ हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।

"धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान अथवा अपने नाम (की सील के साथ) के साथ प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु बैंक खाते का डिटेल- 
"Dharm Nagari" (चालू खाता)
A/c- no.32539799922 
IFS Code- SBIN0007932 
State Bank India, Bhopal
----------------------------------------------

मकर संक्रांति की पूजा विधि

मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। इस दिन आप भी ऐसे करें मकर संक्रांति पर पूजा-
- पूजा करने के लिए सबसे पहले उठकर साफ सफाई कर लें।
- फिर संभव हो तो आसपास किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा न कर पाएं तो घर में ही गंगाजल मिलकर स्नान कर लें।
- आचमन करके स्वयं को शुद्ध कर लें।
- इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, तो पीले वस्त्र धारण कर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- अब सूर्य चालीसा पढ़े और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
- अंत में आरती करें और दान करें।
- मकर संक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्व माना गया है।

---------------------------------------------
संबंधित लेख /रिपोर्ट देखें, सुनें-
रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर विपक्ष के 'INDIA' मतभेद
☟ 
http://www.dharmnagari.com/2024/01/Ram-Mandir-Inauguration-ceremony-invitation-Pran-Pratishtha-virodh.html

पूजा-आरती करने लेना होगा स्पेशल पास, कैदियों को जेल में Live कराएंगे रामलला के दर्शन
http://www.dharmnagari.com/2024/01/Ayodhya-Ram-Mandir-special-pass-will-be-sold-for-Puja-Aarati-LIVE-telecast-of-Pran-Pratistha-in-Jails.html

मेरे तन में राम, मन में राम, रोम-रोम में राम रे...
http://www.dharmnagari.com/2020/08/AyodhyaBhumiPujanPreparation.html 
----------------------------------------------

"तिलगुड़ घ्या आनी गोड़-गोड़ बोला" 
मकर संक्रांति को सनातन हिंदू धर्म में अंग्रेजी नए साल का सबसे पहला एवं प्रमुख पर्व / त्यौहार  माना जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को तिलगुड़ के लड्डू खिलाते हैं,  मुंह मीठा कराते हैं। महाराष्ट्र में मकर संक्रांति को तिलगुड़ के लड्डू बांटने की परंपरा है और कहते हैं- 'तिलगुड़ घ्या आनी गोड़-गोड़ बोला' इसका अर्थ है- तिलगुड़ खाइए और मीठी-मीठी बोली बोलिए। मकर संक्रांति पर महाराष्ट्र में हल्दी-कुमकुम का आयोजन किया जाता है। समारोह में सम्मिलित होने वाली महिलाएं एक-दूसरे को हल्दी कुमकुम लगाती हैं,  गले मिलती हैं और सभी महिलाएं तिलगुड़ के लड्डू से एक-दूसरे का मुंह मीठा कराती हैं, ताकि उनके रिश्तों में भी मिठास बनी रहे। 

सनातन हिन्दू धर्म ा के प्रत्येक पर्व-त्यौहार, परम्परा एवं रीति-रिवास के पीछे वैज्ञानिक महत्व एवं तर्क भी है, इसीलिए हिन्दू धर्म दुनिया के सभी धर्म / मजहब से अलग है। मकर संक्रांति पर अधिकांश घरों में चिक्की और लड्डू बनाने के लिए तिल Sesame और गुड़ Jaggery का प्रयोग किया किया जाता है। तिल और गुड़ के मिश्रण से बना लड्डू स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद होता है- 

तिल एवं गुड़
तिल को तिलहन की रानी Queen of oilseeds कहा जाता है, क्योंकि तिल के बीजों में 50-60 फीसदी तक हाई क्वालिटी वाला तेल होता है, जो पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड Polyunsaturated fatty acids से परिपूर्ण होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन बी-1, फाइबर, फॉस्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैंगनीज, कॉपर और जिंक भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। 

चीनी की तुलना में गुड़ स्वास्थ्य की दृष्टिकोण अधिक लाभदायक होता है।  गन्ने, खजूर या ताड़ के रस से बने गुड़ में आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और मैंगनीज जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।  यह विटामिन-बी का भी एक अच्छा स्रोत है। इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया सही रहती है। 

तिलगुड़ के लड्डू को भुने हुए तिल, कटी हुई मुंगफली और गुड़ के मिश्रण से बनाया जाता है। तिलगुड़ का सेवन केवल मकर संक्रांति पर ही नहीं, बल्कि पूरे ठंड के मौसम में करना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है-

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
तिलगुड़ के लड्डू एंटीऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर होते हैं और इनके सेवन से तनाव कम होता है. इसमें लिगनन्स lignans नामक तत्व पाया जाता है जो फ्री-रेडिकल से शरीर को बचाने में मदद करता है.

कैंसर से बचाये, 
हृदय स्वस्थ्य रखे  
तिल में सेसमिन Sesamin नामक कैंसर रोधी तत्व पाया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं को खत्म करके इस बीमारी के खतरे को दूर करने में मदद करता है. इसमें मौजूद फाइटो-ओस्ट्रोजेन Phyto-oestrogens स्तन (ब्रेस्ट) कैंसर से बचाव करने के लिए जाना जाता है। 

तिलगुड के लड्डू का नियमित रूप पर सेवन करने से दिल की बीमारियों का खतरा दूर होता है और दिल सेहतमंद रहता है. इसके नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है और दिल लंबे समय तक सेहतमंद बना रहता है। 

शरीर को मिलती है ऊर्जा  
अगर आप शारीरिक तौर पर थके हुए और सुस्त अनुभव करते हैं, तो तिलगुड़ के लड्डू अवश्य खाएं।  इसके सेवन से आपके शरीर को तुरंत ऊर्जा energy मिलती है। इसमें पाए जाने वाले सुक्रोज, ग्लूकोज और फ्रूक्टोज सर्दियों में भी आपको ऊर्जा से भरपूर बनाए रखने में सहायता करते हैं। 


आयु को करे बेअसर
तिल एंटी-एजिंग गुणों से भरपूर होता है. इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करने में मदद करता है। तिलगुड़ के नियमित सेवन से उम्र का असर बेअसर होने लगता है, क्योंकि यह चेहरे पर झुर्रियों को लाने वाली कोशिकाओं से लड़ता है।  

एनीमिया में प्रभावी, 
हड्डियाँ बने मजबूत
गुड़ को आयरन का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है और यह एनीमिया के इलाज में प्रभावी है, इसलिए एनीमिया से पीड़ित लोगों को तिलगुड़ से बने लड्डू का सेवन जरूर करना चाहिए। 

अगर अपनी हड्डियों को आप मजबूत बनाना चाहते हैं, तो तिलगुड़ के लड्डू का सेवन जरूर करें. इसमें पाए जाने वाले कैल्शिम, फॉस्फोरस और दूसरे महत्वपूर्ण पोषक तत्व हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं, विशेषकर सर्दियों में होने वाली हड्डियों से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए इसका सेवन करना लाभप्रद होता है। 

बालों को बनाएं हेल्दी
तिलगुड़ के लड्डू आपको झड़ते बालों की समस्या से भी छुटकारा दिला सकते हैं. सर्दियों के मौसम में अधिकतर लोग बालों के झड़ने, डैंड्रफ जैसी समस्याओं से परेशान नजर आते हैं. ऐसे में तिल में मौजूद फाइटोन्यूट्रिएंट्स बालों की समस्या से निजात दिलाकर बालों को हेल्दी बनाते हैं। 
मकर संक्रांति के ही दिन नहीं, बल्कि पूरे सर्दियों के मौसम में तिलगुड़ के लड्डू का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है, परन्तु डायबिटीज के मरीजों को इसका सेवन बहुत ही संतुलित मात्रा में करना चाहिए। 
 

मकर संक्रांति : विभिन्न राज्यों में...
मकर संक्रांति से दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। जनवरी में नई फसल का आगमन होता है और किसान फसल की कटाई के बाद इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। भारत में इस पर्व को अलग-अलग नामों से मनाते हैं और इससे जुड़ी भी अलग-अलग परंपराएं भी प्रचलित हैं-

खिचड़ी
उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रांति का त्योहार 'खिचड़ी' के नाम से मनाया जाता है. यूपी और बिहार के कई हिस्सों में इस दिन खिचड़ी बनाई जाती है, जबकि कई जगहों पर दही-चूड़ा और तिल के लड्डू ब
नाए व खाए जाते हैं। 

माघ/भोगली बिहू
असम में मकर संक्रांति के पर्व को माघ बिहू यानी भोगाली बिहू पर्व मनाया जाता है. हालांकि यहां यह पर्व संक्रांति के एक दिन पहले से ही मनाया जाता है. इस दौरान असम में तिल, चावल, नारियल और गन्ने की अच्छी फसल होती है, इसलिए इस दिन यहां तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और खिलाए जाते हैं।  

लोहड़ी
पंजाब में जनवरी में फसलों की कटाई के बाद 13 जनवरी को धूमधाम से लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है। इस अवसर पर शाम के समय लकड़ी/कंडे के ढेर से होलिका जलाई जाती है और तिल,गुड़ व मक्का का भोग अग्नि को लगाया जाता है। पंजाब में लोग धूमधाम से फसलों की कटाई के इस पर्व को मनाते हैं। 

वैशाखी
पंजाब में सिख समुदाय के लोग मकर संक्रांति के पर्व को वैशाखी के रूप में मनाते हैं. कहा जाता है कि इस दौरान पंजाब में गेंहू की फसल कटने लगती है और किसानों का घर हर्षोल्लास से भर जाता है. इस अवसर पर पंजाब में मेले लगते हैं, लोग नाच-गाकर इस पर्व को मनाते हैं। 

उत्तरायण
गुजरात में नई फसल और ऋतु के आगमन की खुशी में मकर संक्रांति के पर्व को उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर यहां पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है, पतंग उड़ाई जाती है। लोग उत्तरायण पर्व पर व्रत रखते हैं और तिल व मूंगफली दाने की चिक्की बनाकर खाते हैं। 

पोंगल
दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में मकर संक्रांति के पर्व को पोंगल के नाम से प्रसिद्ध है, जब धान की फसल कटने के बाद लोग अपनी प्रसन्नता को विकट करने पोंगल का त्योहार मनाते हैं। तीन दिनों तक चलने वाला यह पर्व सूर्य व इंद्र देव को समर्पित होता है। यहां पोंगल पर्व के पहले दिन कूड़ा-कचरा जलाया जाता है, दूसरे दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। तीसरे दिन पशु धन की पूजा की जाती है। 

----------------------------------------------
"श्रीराम मंदिर निर्माण विशेषांक"  
अयोध्या में 493 वर्षों तक संघर्षों एवं युद्धों के पश्चात नवनिर्मित भव्य मंदिर में "रामलला" की प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर "धर्म नगरी" का विशेषांक प्रकाशित हो रहा है। इसमें आप भी अपनी फोटो सहित शुभकामना या प्रतिक्रिया देते हुए अपने नाम/ संस्था/ आश्रम / पार्टी आदि के नाम से देशभर में जहाँ चाहें,  प्रतियाँ भिजवा सकते हैं।

प्रतियाँ अयोध्या, प्रयागराज माघ मेला-2024 तथा वृन्दावन व हरिद्वार में भेजा या सौजन्य प्रति के रूप में बाटा जाएगा। आप भी "सौजन्य प्रति" के स्थान पर अपने नाम, फोटो, शुभकामना या गतिविधि / उपलब्धि आदि  प्रतियाँ भिजवा या बटवा सकते हैं। कृपया संपर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110, मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com माघ हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।

"धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान अथवा अपने नाम (की सील के साथ) के साथ प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु बैंक खाते का डिटेल- 
"Dharm Nagari" (चालू खाता)
A/c- no.32539799922 
IFS Code- SBIN0007932 
State Bank India, Bhopal
----------------------------------------------

कथा हेतु सम्पर्क करें- व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना (मीडिया आदि) में पूर्ण सहयोग रहेगा। 
-प्रसार प्रबंधक आरके द्धिवेदी "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News  

No comments