#AyodhyaRamMandir : रामलला देंगे प्राण-प्रतिष्ठा का प्रमाण, जब...

...22 जनवरी अपराह्न अनुष्ठान सम्पूर्ण होगा 
और 
रामलला का आंखों पर बंधी पीली पट्टी खोली जाएगी 
- नवनिर्माणाधीन राम मंदिर व प्राण-प्रतिष्ठा के बाद की / जुड़ी कुछ उपयोगी जानकारी
प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले कैसे हुई रामलला की मूर्ति सार्वजनिक 
 
 
अयोध्या ब्यूरो /
राजेश पाठक 
(धर्म नगरी / DN News)  
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सनातन हिन्दू धर्म में किसी देवी-देवता की प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान से पूर्व आँखों पर पट्टी बढ़ते हैं और अनुष्ठान सम्पन्न होने पर उस मुख के सम्मुख (पट्टी के सामने) शीशा दिखाते हैं। इसके पीछे शास्त्रानुसार रहस्य के साथ प्रत्यक्ष प्रमाण होता है, कि अब वह मूर्ति या प्रतिमा साधारण नहीं रही, उसमें "प्राण" आ गए हैं। अब वह साक्षात देवी-देव हैं, अतः अब उनकी नियमित विधि-विधान से दैनिक आरती (मंगला, शयन), भोग, स्नान कराया जाएगा। 

उल्लेखनीय है, आपने भी देखा-सुना होगा, अयोध्या में नवनिर्माणाधीन श्रीराम मंदिर के के लिए लगभग 493 वर्ष तक हिन्दुओं के संघर्ष, लगभग 76 युद्धों में लाखों हिन्दुओं के बलिदान, जिला कोर्ट के बाद इलाहाबाद कोर्ट में वर्ष 2010 में प्रमाण और गवाहियों के आधार पर अयोध्या जन्मभूमि केस जितने के बाद भी अपने ही देश में, अपने भगवान को ससम्मान स्थापित करने कानूनी लड़ाई पड़ी। लड़ाई केअंतिम चरण में 40 दिनों तक सुप्रीम कोर्ट में चली मैराथन सुनवाई में मन्दिर के लिए स्वयं रामलला भी बने। चूँकि, रामलला अवयस्क या नाबालिग थे, इसलिए उनके प्रतिनिधि ने कोर्ट में अपनी गवाही दी, प्रमाण दिए।

उन्हीं रामलला के नवनिर्माणाधीन मन्दिर के गर्भगृह में प्राण-प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान चल रहे हैं, जो (22 जनवरी) को सम्पन्न हो जाएगा और कमलासन (कमल रुपी आसन) पर रामलला दर्शन देंगे। प्रधानमंत्री मोदी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के समय गर्भगृह में हरेंगे।

रामलला की मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान एवं मन्दिर में दर्शनार्थ श्रद्धालुओं-भक्तों के लिए शुभारम्भ हो, इसके लिए अयोध्या में व्यापक स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। प्राण-प्रतिष्ठा से पहले भगवान की मूर्ति के नेत्रों को ढकने की प्राचीन धार्मिक परंपरा है, शास्त्रीय विधि है, जिस कर्मकांडी विद्वान और धर्म के विद्वान इसके कई कारण बताते हैं।

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मंदिरों में भगवान की मूर्ति की स्थापना के कई अनुष्ठान होते है एवं जब तक प्राण-प्रतिष्ठा न हो जाए, तब तक मूर्ति के नेत्रों / मुख को ढंका जाता है। इसके कई धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण होते हैं। प्राण-प्रतिष्ठा एवं मंत्रोंच्चार के कारण मूर्ति में ऊर्जा या प्राण स्थापित हो जाते हैं। यह ऊर्जा नेत्रों से निकलती है, जिसका वेग असीमित होता है या नेत्रों से निकलने वाली ऊर्जा बहुत तेज होती है। वैसे भी, नेत्रों या आँखों को भावनाओं के संचरण का मार्ग माना जाता है। मनोविज्ञान एवं मानव प्रवित्ति के अनुसार, हृदय का संवाद आखों के माध्यम से ही होता है। 

ऐसी ही एक मान्यता है, कि प्राण-प्रतिष्ठा से पहले अगर भक्ति-भाव से भरा हुआ कोई भक्त भगवान की आंख में देर तक देख ले, तो वह प्रेम के वशीभूत होकर उसके साथ ही चले जाते हैं। इस कारण भी प्राण-प्रतिष्ठा के बाद ही भगवान की आंखों को देखने की अनुमति मिलती है। तब तक उनकी आंखों को ढंककर रखा जाता है। वहीं, शास्त्र बताते हैं, कि प्राण-प्रतिष्ठा के समय शक्ति स्वरूप प्रकाश पुंज भगवान की मूरत में प्रवेश करती है। यह तेजस्वी शक्ति आंखों के माध्यम से ही बाहर निकलती है। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद जब भगवान के नेत्र खोले जाते हैं, तो उनकी आंखों से असीम शक्ति वाला यह तेज बाहर निकलता है। यही कारण है, कि इस समय प्रभु को दर्पण दिखाया जाता है।

अब सनातन साधकों के अनुभवों एवं उनके मत की बात करें, तो जिस प्रकार विग्रह/मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा के ठीक पश्चात (अनुष्ठान सम्पन्न होते ही) देवी-देव के सम्मुख काँच या शीशा दिखाते हैं, जो तेज आवाज-  "छन्न..." के साथ टूट जाता है, उसी प्रकार किसी विशेष-पूजा या नियमित पूजन करते हुए जब स्थापित देवी-देव भक्त या साधक की भक्ति / साधना से वास्तव में प्रसन्न हो जाते हैं, तब उनपर चढ़ा माला या कोई फूल (हाथ या मस्तक पर रखा) अचानक गिर जाता है, मानो किसी ने फेक दिया हो। जबकि व्ही फूल या माला तेज हवा या साधारण रूप से हिलाने पर भी नहीं गिरता।    

आज पाषाण  है  कल प्राण होंगे,
कोटि हिंदुजनो के प्रिय मान होंगे,
भारत के सब पूरे काम होंगे,
जब जन्मभूमि में विराजित श्रीराम होंगे।

कृष्णशिला पर अवधेश की मूर्ति आकार लेगी,
सहस्त्रों  सनातनियों की  भावना साकार होगी,
श्रीराम चरणो में बैठकर कर रहे अभिमान होंगे,
जब   जन्मभूमि  में  विराजित  श्रीराम  होंगे।

म्लेच्छ  यवनों  के  लिए  अग्निबाण  होगा,
जब रामलला विराजमान का धनुष सन्धान होगा,
मारुतिनंदन की गदा से हरते प्राण होंगे,
जब जन्मभूमि में विराजित श्रीराम होंगे।

जन्म के पश्चात कब, कैसे "राम" नामकरण
महर्षि वाल्मीकि ने "रामायण" और गोस्वामी तुलसीदासजी ने "रामचरित मानस" की रचना की। रामचरित मानस में रामजी के राज्याभिषेक तक का वर्णन मिलता है, वहीं रामायण में श्रीराम के महाप्रयाण तक का वर्णन है। भगवान राम के जन्म के पश्चात कब, कैसे उनका नामकरण हुआ, आप भी पढ़ें-  

पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ जन्म 
वाल्मीकि रामायण से श्रीराम के जन्म समय, मुहूर्त, नक्षत्र और राशि की जानकारी प्राप्त होती है।वाल्मीकि रामायण के अनुसार-
ततो य्रूो समाप्ते तु ऋतुना षट् समत्युय:।
ततश्च द्वादशे मासे चैत्रे नावमिके तिथौ॥
नक्षत्रेsदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु  पंचसु।
ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह॥
प्रोद्यमाने जनन्नाथं सर्वलोकनमस्कृतम्।
कौसल्याजयद् रामं दिव्य लक्षसंयुतम्॥
इस श्लोक के अनुसार प्रभु राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। यानी भगवान श्रीराम का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। पुनर्वसु 27 नक्षत्रों में सातवां नक्षत्र है और इसका स्वामी बृहस्पति ग्रह है।

पुनर्वसु नक्षत्र का महत्व
पुनर्वसु नक्षत्र को ज्योतिष में सबसे शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में जन्में लोगों में ईश्वर के प्रति अगाध श्रद्धा होती है। मान्यता है, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक विशाल हृदय, जिज्ञासु और अनुकूलन शील स्वभाव के होते हैं। वे दयालु, बुद्धिमान और कुशल संचारक होते हैं। ऐसे लोगों को अधर्म के पथ पर चलना पसंद नहीं होता है। यही कारण है, इस नक्षत्र में जन्मे लोगों में भगवान श्रीराम जैसे गुण देखने को मिलते हैं। 

नामकरण
रामलला के जन्म के बाद उनका नाम दशरथ राघव रखा गया। परंतु रघु राजवंश के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने उनका नामकरण  किया। महर्षि वशिष्ठ के अनुसार, राम शब्द दो बीजाणु से मिलकर बना है। इसमें पहला अग्नि बीज और दूसरा अमृत बीज है। राम के नाम का अर्थ प्रकाश विशेष से है। इसमें रा का अर्थ प्रकाश और म का अर्थ विशेष है। श्रीराम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। राम का नाम भी श्रीहरि विष्णु से जुड़ा हुआ है। विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान विष्णु के हजार नामों का उल्लेख मिलता है, जिसमें विष्णुजी का 394वां नाम ‘राम’ है। रामजी के साथ ही महर्षि वशिष्ठ ने ही भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण का भी नामकरण किया था। 

अयोध्या / प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित रिपोर्ट /लेख-
नवनिर्माणाधीन मन्दिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति का प्रवेश, अब अरणिमन्थन...  
http://www.dharmnagari.com/2024/01/Ram-Mandir-Pran-Pratistha-Ramlala-murti-pravesh-special-puja.html

अयोध्या राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा  से जुड़े विभिन्न लेख व समाचार के links ☟  
http://www.dharmnagari.com/2024/01/Ayodhya-Ram-mandir-22-January-ko-Ghar-me-kare-Ramlala-ki-sthapana-How-to-book-online-Ayodhya-Aarti.html

 "श्रीराम मंदिर निर्माण विशेषांक"  
अयोध्या में 493 वर्षों तक संघर्षों एवं युद्धों के पश्चात नवनिर्मित भव्य मंदिर में "रामलला" की प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर "धर्म नगरी" का विशेषांक प्रकाशित हो रहा है। इसमें आप भी अपनी फोटो सहित शुभकामना या प्रतिक्रिया देते हुए अपने नाम/ संस्था/ आश्रम / पार्टी आदि के नाम से देशभर में जहाँ चाहें,  प्रतियाँ भिजवा सकते हैं।

प्रतियाँ अयोध्या, प्रयागराज माघ मेला-2024 तथा वृन्दावन व हरिद्वार में भेजा या सौजन्य प्रति के रूप में बाटा जाएगा। आप भी "सौजन्य प्रति" के स्थान पर अपने नाम, फोटो, शुभकामना या गतिविधि / उपलब्धि आदि  प्रतियाँ भिजवा या बटवा सकते हैं। कृपया संपर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110, मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com माघ हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।
"धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान अथवा अपने नाम (की सील के साथ) प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु बैंक खाते का डिटेल- 
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नवनिर्माणाधीन राम मंदिर
प्राण-प्रतिष्ठा के बाद जुड़े कुछ उपयोगी जानकारी

- आम लोग 23 जनवरी से दर्शन कर सकेंगे
मंदिर दर्शन का समय भी बढ़ेगा

प्राण-प्रतिष्ठा के बाद रामलला के कैसे होंगे दर्शन ?
- प्राण प्रतिष्ठा के बाद VIP और VVIP दर्शन
- VIP दर्शन के बाद संत करेंगे दर्शन
- संतों के दर्शन के बाद सामान्य दर्शन

अयोध्या में जिन्हें 22 जनवरी के दिन रुकना हो, वो क्या करें ?
- ट्रस्ट ने होटल और टेंट सिटी की व्यवस्था की है
- 20 से 23 जनवरी तक रुकने की व्यवस्था  

22 जनवरी के बाद हर दिन कितने लोग दर्शन कर पाएंगे ?
- दर्शन के लिए ज्यादा लाइनें लगवाई जाएंगी  
-श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर 12-14 घंटे खुलेगा  

जहां रामलला की नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी, क्या वहीं राम का जन्म हुआ था ?
- उत्खनन हुआ वहीं कील लगाई गई
- प्राचीन काल से ही हम वहां पूजा करते आए हैं
- जहां जन्मभूमि है, वहीं प्राण प्रतिष्ठा होगी

रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा, कहां स्थापित होगी?
- पुरानी सभी मूर्तियां मंदिर में स्थापित होंगी
- 21 जनवरी को उत्सव मूर्ति गर्भगृह में लाई जाएगी
 
रामलला की मूर्ति का सूर्य तिलक क्या है और उसका समय क्या होगा ?
- भगवान राम सूर्यवंशी थे इसलिए सूर्य तिलक की परंपरा
- सूर्य की किरण रामनवमी को 12 बजे तिलक करेंगी


जन सामान्य के लिए रामलला के दर्शन का समय क्या होगा ?
- दर्शन का समय- प्रातः 7 से 11 बजे, दोपहर 2 से सायं 7 बजे
- आरती का समय- दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे

("धर्म नगरी" के विस्तार हेतु स्थानीय स्तर पर पार्ट-टाइम प्रतिनिधि या रिपोर्टर के साथ हमें दान-दाताओं एवं निवेशक चाहिए। हमारा प्रकाशन एवं सनातन से जुडी समस्त गविधि गैर-व्यावसायिक, बिना लाभ-बिना हानि के सिद्धांत पर 11 वर्ष की से जा रही है -संपर्क करें 8109107075-whatsapp, M.6261868110, 9752404020-पंजीकृत कार्यालय, ईमेल- dharm.nagari@gmail.com)

राम दरबार में किन-किन लोगों की मूर्तियां होंगी ?
- राम दरबार में चारों भैया, मैया, हनुमान जी और सखा

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय और 84 सेकंड का शुभ मुहूर्त क्या है ?
- ऐसे समय स्थापना, जिससे भविष्य में मंदिर न टूटे, मुहूर्त राजयोग कारक है, सभी पर अच्छा प्रभाव होगा -पंडित गणेश्वर शास्त्री, मुहूर्त निकालने वाले ज्योतिषी
- 12.30 बजे के बाद संजीवनी लग्न है - लक्ष्मीकांत दीक्षित शास्त्री, प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य पुरोहित


नए राम 
मन्दिर में कितने पुजारी होंगे, उनका चयन कैसे हुआ ?
- वर्तमान में 1 मार्च 1992 से आचार्य सत्येंद्र दास मुख्य पुजारी 
हैं 

- 4 पुजारी, 2 कर्मचारी, भंडारी और कोठारी भी हैं
- सम्प्रति मन्दिर की व्यवस्था में अब तक कोई परिवर्तन नहीं हुआ है 

राम मंदिर के नए पुजारियों का प्रशिक्षण कहाँ और कौन कर रहा है ?
- 20 पुजारियों का प्रशिक्षण हो रहा है
- ट्रस्ट करा रही है 6 महीने की ट्रेनिंग
- पुजारियों की नियुक्ति ट्रस्ट ही करेगा

प्राण प्रतिष्ठा के वक्त गर्भ गृह में कौन-कौन उपस्थित रहेगा ?
- आचार्य, PM, सरसंघचालक, जजमान, उप्र गवर्नर और CM योगी रहेंगे

पीएम मोदी रामलला से पहले जटायु का आशीर्वाद क्यों लेंगे ?
- राजा दशरथ के मित्र थे जटायु
- जटायु ने श्रीराम की भी सहायता की 
- राम मंदिर में होगी जटायु की मूर्ति
- PM मोदी जटायु की मूर्ति का दर्शन करेंगे

राम मंदिर में प्रतिदिन आरती का समय क्या होगा ? क्या आम जन सम्मिलित हो सकेंगे ?
- आरती का समय दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे
- आरती से लिए पास की व्यवस्था होगी

रामलला के दर्शन के लिए क्या पास या टिकट की आवश्यकता होगी ?
- 16 चेक प्वाइंट, PFC में भी चेकिंग
- दर्शन के लिए टिकट/पास की व्यवस्था नहीं

अयोध्या जाने पर रुकने और भोजन करने की व्यवस्था में कोई बदलाव है ?
- शहर में खाने-पीने की पूरी व्यवस्था है 
- अयोध्या में जगह-जगह भंडारे भी चलाए जा रहे हैं
- 6 भोजनालयों की व्यवस्था की गई है
- सभी 6 सेक्टर के लिए भोजनालय होंगे

22 जनवरी के बाद अयोध्या में कितने शहरों से सीधी फ्लाइट जाएगी?
- दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद की फ्लाइट
- भविष्य में बेंगलुरु और हैदराबाद की उड़ान

अयोध्या एयरपोर्ट कब तक फुल स्विंग में आएगा और कितने देशों से जुड़ेगा ?
- इंटरनेशनल फ्लाइट लखनऊ, दिल्ली से आएंगी

अभी अयोध्या के लिए सीधी ट्रेन सेवा किन किन राज्यों से है ?
- देश भर से लोगों को अयोध्या लाने की व्यवस्था
- अयोध्या के लिए सैकड़ों ट्रेन चलाई जा रही हैं
- अयोध्या के तीनों स्टेशन पर बेहतर व्यवस्था

रामलला के दर्शन से पहले हनुमानगढ़ी के दर्शन करना अधिक फलदायक है ?
- बिना हनुमान जी के दर्शन पुण्य नहीं मिलेगा
- राम द्वार पर हनुमान जी का दुर्ग है
- हनुमान जी के अनुमति के बिना रामजी का आशीर्वाद नहीं 

प्राण-प्रतिष्ठा के दिन एवं उसके बाद दर्शन के समय प्रसाद में क्या दिया जाएगा ?
- प्रसाद 10-15 दिन सुरक्षित रहने वाला होगा
- तिरुपति मंदिर जैसा प्रसाद मिलेगा
- मंदिर से प्रसाद खरीदा भी जा सकता है 

उक्त जानकारी / सूचना नृपेंद्र मिश्रा, अध्यक्ष, राम मंदिर निर्माण समिति, महंत राजू दास, हनुमानगढ़ी-अयोध्या, नीतीश कुमार जिलाधिकारी-अयोध्या, लल्लू सिंह सांसद-अयोध्या, शरद शर्मा, सदस्य-श्रीराम जन्मभूमि प्रबंधन समिति पर आधारित है) 

सुनें- 
नवनिर्माणाधीन राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों / विरोध पर चैनल पर "धर्म नगरी" संपादक (राजेश पाठक) का पक्ष      


प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले कैसे हुई 
रामलला की मूर्ति सार्वजनिक 
अयोध्या के बहुचर्चित रामलला प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा है। इस बीच, दावा किया जा रहा है, कि 22 जनवरी से पहले ही रामलला की मूर्ति का फोटो सार्वजनिक हो गया है। मीडिया और सोशल मीडिया पर तीन तरह की मूर्तियां दिखाई दे रही हैं। जबकि, मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही सामने आनी थी। वहीं, राम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से इस मूर्ति को लेकर किसी भी तरह पुष्टि नहीं की गई है। 

अलग-अलग लोगों ने दावा किया जा रहा है, कि यह वही मूर्ति है, जिसकी 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होनी है। हालांकि, गर्भगृह में रामलला की मूर्ति विराजित की गई है। उस मूर्ति की भी दो तरह के चित्र सामने आ रही हैं। एक मूर्ति में रामलला की आंखों पर पट्टी बंधी हुई दिखाई दे रही है, जबकि एक में पूरी मूर्ति ढंकी हुई है।

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