रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर विपक्ष के 'INDIA' मतभेद


(धर्म नगरी / DN News)  
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अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर विपक्ष के 'INDIA' में मतभेद अब खुलकर सामने आ गया है। "प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव" कार्यक्रम के आमंत्रण को कांग्रेस सहित कुछ पार्टियों एवं नेताओं ने ठुकरा दिया, तो अनेक तथाकथित सेकुलर या हिन्दू-विरोधी नेताओं ने विरोध किया। बाकी दुविधा में हैं। कार्यक्रम में जाने का न्योता अस्वीकार करने के बाद कांग्रेस में ही आंतरिक कलह शुरू हो गया  और इसका विरोध भी किया जा रहा है। 

अयोध्या में निर्मित हो रहे राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है, लेकिन महोत्सव में शामिल होने को लेकर "इंडिया" गठबंधन के दल एकजुट नहीं हैं। लगभग साढ़े चार महीने बाद लोकसभा चुनाव-2024 होना है, लेकिन उससे पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन देश की राजनीति  का केंद्र बन गया है। लोकसभा चुनाव में राम मन्दिर एक प्रमुख मुद्दा होगा, ऐसा बीते महीने दिल्ली में चुनाव को लेकर सम्पन्न भाजपा हाई कमान की बैठक में भी कहा गया था। 

अब राम मंदिर उद्घाटन में लगभग सभी दलों को न्योता मिला है, लेकिन देश के बहुसंख्यक हिंदुओं के इस सबसे बड़े भावनात्मक आयोजन में शामिल होने से विपक्षी पार्टियों का परहेज और मोदी सरकार के खिलाफ बने विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन में अलग-अलग मत चारों ओर चर्चा है। विपक्ष का कहना है, कि धार्मिक अनुष्ठान को भाजपा ने अपना चुनावी एजेंडा के रूप में प्रस्तुत कर रही है।

कांग्रेस ने कहा- नहीं जाएंगे
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के न्योते को मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने ‘अस्वीकार’ कर दिया। इसके साथ ही पार्टी ने आरोप लगाया, कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने ‘चुनावी लाभ’ के लिए इसे ‘राजनीतिक परियोजना’ बना दिया है।
पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने केवल इतना ही कहा, कि 22 जनवरी को सबकुछ मालूम हो जाएगा। उन्होंने समारोह में कांग्रेस नेताओं को बुलाये जाने के लिए आभार भी जताया था। हालांकि अब पार्टी ने साफ कर दिया है, कि कोई भी नेता कार्यक्रम में नहीं जाएगा।
वहीं, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पार्टी के निर्णय पर दु:ख प्रकट किया है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट X पर लिखा है- 'श्री राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और आत्मघाती फैसला है, आज दिल टूट गया।'

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'ईश्वर-अल्लाह की कसम नहीं जाएंगे'
पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पहले ही कह दिया है, कि उनकी पार्टी कार्यक्रम का बहिष्कार करेगी। ममता बनर्जी ने कहा था, कि ईश्वर-अल्लाह की कसम, ऐसे किसी कार्यक्रम का समर्थन नहीं करेंगे जो हिंदू मुस्लिम भेदभाव करता है। उन्होंने रुख स्पष्ट नहीं करने को लेकर कांग्रेस पर सवाल भी खड़ा किया था।

नफरत खत्म करने का रास्ता साफ करेगा
राम मंदिर आयोजन को लेकर सबसे रोचक रुख है, नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला का। मुस्लिम नेतृत्व के बड़े चेहरे होने के बावजूद उनका कहना है, कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह देश में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत खत्म करने का रास्ता साफ करेगा। अयोध्या के समारोह में जाने का फैसला निजी पसंद और नापसंद का मामला है। उन्होंने ये भी कहा है, 'स्वर्ग के दरवाजे तभी खुलेंगे, जब आप भगवान के सामने गवाही देंगे, कि हमने सही काम किया है अन्यथा सभी लोग नरक में जाएंगे।'

सबसे पहले माकपा ने न्योता ठुकराया
26 दिसंबर, 2023 को ही माकपा नेता सीताराम येचुरी ने ये कहते हुए राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया, कि धर्म एक व्यक्तिगत पसंद से जुड़ा मामला है. सीपीएम की तरफ से कहा गया कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी और RSS ने एक धार्मिक समारोह को सरकारी कार्यक्रम में बदल दिया, जिसमें सीधे प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के सीएम और बाकी सरकारी पदाधिकारी शामिल हो रहे हैं। 

अखिलेश यादव कन्फ्यूज
प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का सबसे अधिक कंफ्यूज हैं। पहले तो अखिलेश यादव और फिर मैनपुरी सांसद डिंपल यादव का भी बयान आया था, कि न्योता मिलने पर वे निश्चित तौर पर अयोध्या जाएंगे। इसके बाद जब विश्व हिंदू परिषद की ओर से अखिलेश यादव को न्योता दिये जाने की बात होने लगी, तो पता चला अखिलेश यादव ने न्योता स्वीकार ही नहीं किया है. अखिलेश यादव को वीएचपी की तरफ से आलोक कुमार न्योता देने गये थे, लेकिन उन्होंने इसे लेने से मना कर दिया.

केजरीवाल, उद्धव, नीतीश, लालू  
उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के नेता संजय राउत ने 22 जनवरी के समारोह राजनीतिक कार्यक्रम बताया और कहा, उनकी पार्टी की तरफ से किसी के भी अयोध्या जाने से मना कर दिया था। उद्धव ठाकरे ने तो भारी मन से यहां तक कहा था, कि उन्हें न्योता भी नहीं मिला है। वहीं, 
राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल होने को लेकर अरविंद केजरीवाल ने चुप्पी साध रखी है। इसी तरह से अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से कामेश्वर चौपाल बिहार के मुख्यमंत्री को न्योता देने स्वयं गये थे, लेकिन पहले से समय नहीं लेने के कारण नीतीश कुमार से भेंट नहीं हो पाई थी। 

नीतीश कुमार के महागठबंधन की तरफ से केवल आरजेडी नेता तेज प्रताप यादव का बयान आया था। तेज प्रताप यादव का कहना था- 'भगवान राम तो तभी घर आएंगे, जब केंद्र में INDIA ब्लॉक का झंडा लहराएगा।' झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी अखिलेश यादव की तरह रुख स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं।

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