रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा का अधिकार पर मत भिन्नता, श्रृंगेरी एवं कांची पीठ शंकराचार्य के मत

प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर सभी शंकराचार्यों 3+1विवादित के विरोध की बात   

श्रृंगेरीपीठ की अधिष्ठात्री देवी शारदाम्बा के मंदिर में (12 सितंबर 2022 को) श्रृंगेरी के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ (दाएं), स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (मध्य) एवं स्वामी सदानंद सरस्वती (बाएं) को बेंगलुरु में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अभिषेक @DharmNagari 

(धर्म नगरी / DN News)  
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22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों में मत-भिन्नता एवं उनके प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान में आने में असमर्थता जताने के बीच अब विपक्ष अब कह रहा है, कि मंदिर पूरा बनकर अभी तैयार नहीं है और ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है। वहीं, श्रृंगेरी एवं कांची के शंकराचार्यों ने सरकार का समर्थन किया है। 

दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ ने कहा, कि PM नरेंद्र मोदी देश की जनता के प्रतिनिधि हैं, ऐसे में पुजारियों की तरफ से बताए अनुष्ठान करने का उनकों पूर्ण अधिकार है। PM मोदी का समर्थन करते हुए श्रृंगेरी शारदा पीठम के धर्माधिकारी देवजन एन. सोमयाजी कहते हैं, कि मंदिर का गर्भगृह पूरा होने के बाद प्राण-प्रतिष्ठा होने को लेकर किसी भी तरह की विवाद नहीं होना चाहिए, क्योंकि निर्माण के एक लंबी और सतत प्रक्रिया होती है, जो कई बार कई पीढ़ियों तक चलती है। PM मोदी नंगे पैर तमाम प्रक्रियाओं के बाद भगवान राम की मूर्ति को लेकर गर्भगृह तक जाएंगे।

शंकराचार्यों का कहना है, कि किसी भी मंदिर का गर्भगृह अगर बनकर तैयार है तो उसकी प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है। राम मंदिर का गर्भगृह पूरी तरह से बनकर तैयार है। ऐसे में सनातन धर्म के अनुसार उसकी प्राण प्रतिष्ठा उचित है।

वहीं, कांची के कामकोठि मठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती स्वामीगल का कहना है, कि भारत में तीर्थस्थलों के विकास में PM नरेंद्र मोदी का विशेष विश्वास रहा है। उन्हीं के प्रयासों और भगवान राम के आशीष के कारण 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है। 100 से अधिक विद्वान यज्ञशाला की पूजा और हवन करेंगे। पीएम मोदी ने काशी और केदारनाथ का भी विकास किया है। हम राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हैं।

पढ़ें (अयोध्या से जुड़े अन्य link भी देखें)-
आज से प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान, इस क्रम में बढ़ेगा अनुष्ठान, कल नगर भ्रमण
http://www.dharmnagari.com/2024/01/Pran-Pratistha-anusthan-from-today-Anusthan-sequence-Nagar-Bhraman-on-17-January.html

क्या है विवाद

उल्लेखनीय है, हाल ही में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और निश्चलानंद सरस्वती ने एक वीडियो जारी कर सरकार पर आधे-अधूरे मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करने का आरोप लगाया था। साथ ही कहा था कि चारों शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जाएंगे। इस बीच सोशल मीडिया पर इन दोनों ही शंकराचार्यों के कुछ वीडियो और फोटो भी वायरल हो रही हैं, जिसमें ये कांग्रेस के समर्थन में प्रचार करते देखे गए थे।
विशेष उल्लेखनीय यहाँ यह है, कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, जो स्वयं को दो पीठ के शंकराचार्य (शारदापीठ व ज्योतिष्पीठ का)  लिखते थे, ने द्वारिकापीठ पर स्वामी सदानंद सरस्वती एवं ज्योतिष्पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का पट्टाभिषेक किया, जबकि ज्योतिष्पीठ को लेकर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती (जो कोर्ट में केस शुरू होने से पहले तक शंकराचार्य, ज्योतिष्पीठ लिखते थे) का शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती से पहले से चल रहा था। ज्योतिष्पीठ के विवाद / वास्तविक शंकराचार्य को लेकर माघ मेला सहित कुम्भ मेला क्षेत्रों में "पीठ ने नाम पर" भूमि एवं सुविधा भी विवाद का कारण बनते रहे हैं।    

विशेष- (कांची मठ /पीठ के 69वें शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी के ब्रह्मलीन होने के पश्चात विजयेंद्र सरस्वती का मठ / पीठ पर पट्टाभिषेक हुआ। 48 वर्षीय विजयेंद्र सरस्वती जी 29 मई 1983 को पीठ के 70वें आचार्य बने। कांची मठ / पीठ के पीठाधिपति को शंकराचार्य कहने पर भी मत भिन्नता है। कुछ इसे 4 मुख्य पीठ में नहीं मानकर, उप-पीठ कहते हैं।) 

लाखों हिन्दुओं को अपने ही देश में श्रीराम मंदिर की रक्षा / पुनर्स्थापना के लिए प्राण दिए। बीते 493 वर्षों में लगभग 76 युद्ध लड़े। अंतिम एवं निर्णायक संघर्ष में सैकड़ों राम-भक्तों / कारसेवकों ने श्रीराम / धर्म के रक्षार्थ अयोध्या में गोलियाँ, लाठियाँ खाई,  प्राण दिए, यातना सहा , जबकि पता नहीं कितने कारसेवकों व रामभक्तों को तत्कालीन शासकों / नेताओं मारकर सरयूजी में फिकवा दिया। फिर उनमें से कुछ रामभक्तों के मृत शरीर इस प्रकार निकाले गए-
देखें-   

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"श्रीराम मंदिर निर्माण विशेषांक"  
अयोध्या में 493 वर्षों तक संघर्षों एवं युद्धों के पश्चात नवनिर्मित भव्य मंदिर में "रामलला" की प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर "धर्म नगरी" का विशेषांक प्रकाशित हो रहा है। इसमें आप भी अपनी फोटो सहित शुभकामना या प्रतिक्रिया देते हुए अपने नाम/ संस्था/ आश्रम / पार्टी आदि के नाम से देशभर में जहाँ चाहें,  प्रतियाँ भिजवा सकते हैं।

प्रतियाँ अयोध्या, प्रयागराज माघ मेला-2024 तथा वृन्दावन व हरिद्वार में भेजा या सौजन्य प्रति के रूप में बाटा जाएगा। आप भी "सौजन्य प्रति" के स्थान पर अपने नाम, फोटो, शुभकामना या गतिविधि / उपलब्धि आदि  प्रतियाँ भिजवा या बटवा सकते हैं। कृपया संपर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110, मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com माघ हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।

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राम मंदिर : कुछ महत्वपूर्ण तथ्य 
अयोध्‍या के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी- 22 जनवरी, 2024  
इस भव्‍य समारोह में देश भर के VVIP, VIP अतिथि होंगे-  7000 से अधिक 
रामलला की मूर्ति निर्मित है- कर्नाटक और राजस्‍थान के पत्‍थरों से 
अयोध्‍या राम मंदिर के निर्माण में व्यय- लगभग 900 करोड़ रु 
दरवाजे और खिड़कियों की लकड़ियाँ लाई गई हैं- बल्‍लाल शाह (महाराष्‍ट्र)  
दरवाजों और खिड़कियों पर नक्‍काशी किया है- हैदराबाद के श्रमिकों ने  
रामलला का अभिषेक होगा- देश भर की पवित्र नदियों व कुडों से लाए जल से  
भव्‍य राम मंदिर पूर्ण रूप से बनकर निर्मित होगा- वर्ष 2025 में   
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को दिया था- राम मंदिर के पक्ष में निर्णय  
थाईलैंड के राजा ने रामलला की प्राण-प्रतिष्‍ठा समारोह के लिए भेजा है- वहाँ की मिट्टी  
मंदिर परिसर में लगने वाला ध्‍वज दंड-  44 फीट लंबा और 500 किलोग्राम का होगा 

राम मंदिर अयोध्‍या रेलवे स्‍टेशन से कितनी दूरी
ट्रेन से- यदि आप ट्रेन से अयोध्‍या पहुंच रहे हैं तो रेलवे स्‍टेशन से मात्र पांच किलोमीटर का सफर तय कर राम मंदिर पहुंच जाएंगे। यहां पहुंचने के लिए कई साधन मिल जाएंगे। इसके अलावा लखनऊ, दिल्‍ली समेत अनेक प्रमुख शहरों से सीधी बस सेवा के जरिये भी अयोध्‍या पहुंचा जा सकता है।
हवाई मार्ग- अयोध्‍या में मर्यादा पुरुषोत्‍तम श्रीराम एयरपोर्ट है। राम मंदिर और एयरपोर्ट के बीच लगभग 10 किलोमीटर की दूरी है। इंडिगो की तरफ से यहां उड़ान सेवा शुरू की जा रही है। फिलहाल दिल्‍ली और अहमदाबाद से अयोध्‍या के लिए फ्लाइट मिलेगी। आप पड़ोसी शहरों लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी एयरपोर्ट पर उतरकर बस और ट्रेन के जरिये भी अयोध्‍या पहुंच सकते हैं।

रामलला के दर्शन  
मंदिर में रामलला के दर्शन 30 फुट की दूरी से हो सकेंगे। श्रद्धालु पूरब दिशा से दर्शन के लिए प्रवेश करेंगे। सिंह द्वार से आगे बढ़ते ही रामलला के सामने होंगे। रामलला का दर्शन कर वह बाएं घूमेंगे। उसके बाद आगे पीएफसी भवन से सामान लेकर बाहर निकल जाएंगे, लेकिन कुबेर टीला जाने के लिए उनके पास अनुमति पत्र होना चाहिए।

प्रसाद मिलेगा  
दर्शन स्‍थल पर श्रद्धालुओं को प्रसाद नहीं मिलेगा। रामलला का दर्शन करने के बाद लौटते समय दर्शन मार्ग के पास परकोटा से प्रसाद मिलेगा।
राम मंदिर के अतिरिक्त इन प्रमुख मंदिरों में दर्शन के लिए जा सकते हैं-  हनुमानगढ़ी मंदिर, नागेश्‍वरनाथ मंदिर, कनक भवन, राम की पैड़ी, गुप्‍तार घाट और रामकोट भी दर्शन और घूमने के लिए। हनुमानगढ़ी मंदिर रामभक्त हनुमान का मंदिर है, जिसे 10वीं शताब्‍दी में बनाया गया। धार्मिक मान्‍यता है, यहां भगवान हनुमान का वास है और वह अयोध्‍या की रक्षा करते हैं।

अयोध्‍या में प्रसिद्ध है...
तीर्थनगरी होने के कारण अयोध्‍या में लकड़ी और संगमरमर से बनी भगवान राम, सीता और लक्ष्‍मण की मूर्तियां सर्वाधिक खरीदी जाती हैं। इसके साथ धार्मिक चिह्नों वाली टीशर्ट, चाबी की चेन और राम मंदिर के पोस्‍टर आदि भी खरीद सकते हैं।
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कथा हेतु सम्पर्क करें- व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना (मीडिया आदि) में पूर्ण सहयोग रहेगा। 
-प्रसार प्रबंधक आरके द्धिवेदी "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News  

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मंदिर में लगा पहला स्वर्ण जड़ित दरवाजा, कुल 42 दरवाजे लगेंगे, जिनमें...
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मंदिर निर्माण स्थल के नीचे सरयू की धारा, 700 टन वजन डाला तो 4 इंच नीचे धंस गई भूमि 

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