#Ayodhya : रामलला की मूर्ति से बहुत समानता है उत्तरकाशी या सौम्यकाशी के मंदिर की भगवान विष्णु मूर्ति से...

 
हाव-भाव और मुद्रा... विष्णुजी एवं रामलला में है बहुत समानता
8वीं सदी में स्थापित परशुराम मंदिर के विष्णुजी और रामलला (बालक राम) में कई समानताएं 
भगवान विष्णु, परशुराम मंदिर, उत्तरकाशी (ऊपर) रामलला, राम मंदिर अयोध्या (नीचे)
(धर्म नगरी / 
DN News)    
W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, सदस्यता एवं अपने नाम से कॉपी भिजवाने हेतु 

स्कन्द पुराण के केदारखंड का उल्लेख
स्कन्द पुराण के केदारखंड में वर्णन है- जब विष्णुजी के अवतार परशुराम ने क्षत्रियों का नाश करने के बाद उनका क्रोध शांत नहीं हुआ, तो भगवान शिव ने उन्हें हिमालय की उत्तरकाशी में तपस्या करने को कहा था। तब उन्होंने वरुणावत पर्वत के विमलेश्वर मंदिर में तपस्या की थी, जिसके बाद उनका क्रोध शांत हुआ और सौम्य हो गए। जिसके बाद भगवान काशी विश्वनाथ ने उन्हें आशीर्वाद दिया, कि जिस स्थान पर तुम्हारा क्रोध शांत हुआ है, उस उत्तरकाशी को सौम्यकाशी के नाम से जाना जाएगा। 

इसे संयोग ही कहेंगे, कि उत्तरकाशी या सौम्यकाशी डरले (उत्तराखंड) के परशुराम मंदिर में स्थापित विष्णुजी की मूर्ति और अयोध्या में नवनिर्माणाधीन भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में विराजित रामलला (बालक राम) की मूर्ति में अनेक समानताएं हैं।

पुरातत्व विभाग के रेकार्ड के अनुसार, परशुराम मंदिर में विष्णुजी की यह मूर्ति 8वीं से 9वीं सदी के बीच में स्थापित की गई थी। जबकि अयोध्या राम मंदिर में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हुई। इसके बाद भी इन दोनों मूर्तियों में बहुत समानताएं हैं।  

----------------------------------------------
धर्म नगरी सूचना केंद्र व "हेल्प-लाइन" सेवा शिविर
प्रयागराज माघ मेले में इस वर्ष भी "सूचना केंद्र हेल्प-लाइन सेवा" माघ मेला-2024 लगाया गया है। श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु शिविर की सेवा में आप भी "धर्म नगरी" को या शिविर के आयोजन में स्वेच्छापूर्वक किसी प्रकार का सहयोग करें। अपना सहयोग देकर निःसंकोच पूंछे- कि आपके कहाँ कहाँ उपयोग हुआ ? सम्पर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110 मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।

"धर्म नगरी" व DN News के विस्तार एवं एक तथ्यात्मक सूचनात्मक व रोचक राष्ट्रवादी समसामयिक मैगजीन हेतु "संरक्षक" या NRI इंवेस्टर चाहिए। स्थानीय रिपोर्टर या प्रतिनिधि भी चाहिए, जो पार्ट टाइम स्वतंत्र रूप से अपने जिले में काम करना चाहें। -प्रबंध संपादक 6261868110. 9752404020, 8109107075-वाट्सएप करें     
----------------------------------------------

कैसे पड़ा "सौम्यकाशी" 
नाम 
भगवान परशुराम, विष्णु जी के अवतार माने गए हैं। स्कन्द पुराण के केदारखंड में वर्णन है, कि परशुराम का क्षत्रियों के साथ युद्ध हुआ था। इस दौरान वह अत्यधिक क्रोधित हो गए। बहुत प्रयास के पश्चात भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ। इस पर भगवान शिव ने उन्हें हिमालय के उत्तरकाशी में उन्हें तपस्या करने को कहा था।

इसके बाद परशुराम ने वरुणावत पर्वत के विमलेश्वर मंदिर में तपस्या की। जिसके बाद उनका क्रोध शांत हुआ और सौम्य हो गए थे। इस पर भगवान काशी विश्वनाथ ने उन्हें आशीर्वाद दिया, कि इस स्थान को सौम्यकाशी के नाम से जाना जाएगा। परशुराम द्वारा यहां स्वयंभू शिवलिंग पर मंदिर का निर्माण किया गया था।

दोनों मूर्तियों में ये हैं समानताएं-
➔ दोनों में विष्णु के दस अवतारों की आकृतियां उकेरी गई हैं,
➔ दोनों मूर्तियों की विहंगमता और हावभाव भी एक जैसे ही हैं,
➔ दोनों ही मूर्तियों- रामलला और भगवान विष्णु को खड़ी मुद्रा में है,
➔ दोनों ही मूर्तियों में कमलासन बना हुआ है,
➔ दोनों ही मूर्तियां काले पत्थर से तैयार की गई हैं,
  
उत्तरकाशी या सौम्यकाशी के स्थानीय निवासियों के अनुसार, जिले पौराणिक मंदिरों में परशुराम मंदिर प्रमुख है। इतिहास की पुस्तकों और केदारखंड में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। गढ़वाल राजशाही के दौरान भी उत्तरकाशी के परशुराम मंदिर को श्रेणी तीन में रखा गया था। 
----------------------------------------------
"धर्म नगरी" की प्रतियाँ अपने पते पर मंगवाएं। यदि आपकी सदस्यता समाप्त हो गई है, तो नवीनीकरण (renewal) की राशि QR कोड स्कैन करके या सीधे धर्म नगरी के चालू खाते में भेजकर हमे सूचित करें। "धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान अथवा अपने नाम (की सील के साथ) प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु बैंक खाते (चालू खाता) का डिटेल- 
"Dharm Nagari" (Current A/c)
A/c- no.32539799922 
IFS Code- SBIN0007932 
State Bank India, Bhopal

अगर आपने अब तक सदस्यता नहीं लिया है, तो सदस्यता राशि भेजकर लें
आपकी सदस्यता राशि के बराबर आपका फ्री विज्ञापन / शुभकामना आदि प्रकाशित होगा, क्योंकि प्रकाश अव्यावसायिक है, "बिना-लाभ हानि" के आधार पर जनवरी 2012 से प्रकाशित हो रहा हैसनातन धर्म एवं राष्ट्रवाद के समर्थन में सदस्यता हेतु सभी हिन्दुओं से आग्रह है -प्रसार प्रबंधक धर्म नगरी/DN News

उत्तराखंड में UCC बिल : गुलामी-दहेज से लेकर लिव-इन संबंध तक,
कानून के विशेषज्ञों की राय, सुप्रीम कोर्ट की UCC के पक्ष में टिप्पणी
http://www.dharmnagari.com/2024/02/Uniform-Civil-Code-bill-in-Uttarakhand-Recommendations-and-Changes.html
----------------------------------------------

Ancient Parashurama Temple 
Parashurama is the sixth avatar of Vishnu in Hinduism. Born as a Brahmin , Parashurama carried traits of a Kshatriya and is often regarded as a Brahma Warrior, He carried a number of traits, which included aggression, warfare and valor; also, serenity, prudence and patience. 

Like other incarnations of Vishnu, he was foretold to appear at a time when overwhelming evil prevailed on the earth.The Kshatriya class, with weapons and power, had begun to abuse their power, take what belonged to others by force and tyrannize people. Parashurama corrects the cosmic equilibrium by destroying these Kshatriya warriors. Bhumihars claim that their ancestors were Brahmins who were set up to take the place of the Kshatriyas slain by Parashurama. He is also referred to as Rama Jamadagnya, Rama Bhargava and Veerarama in some Hindu texts.

No comments