माघ गुप्त नवरात्रि : तंत्र साधकों के साथ गृहस्थों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण, राशि अनुसार करें उपाय, गुप्त नवरात्रि में...

...बसंत उत्सव तथा माँ नर्मदा जन्मोत्सव
- दस महाविद्या की साधना का विधान
- सिद्धि-काल है गुप्त नवरात्रि, कैसे किसने खोजा ?

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सनातन हिन्दू धर्म में नवरात्रि को अत्यंत शुभ दिनों में होते हैं। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि साल में चार बार आती है, जिनमे चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि प्रसिद्ध है,क्योंकि ये प्रकट नवरात्रि होती हैं।  इसके अतिरिक्त अन्य दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं. नवरात्रि माघ और आषाढ़ के महीने में आती है. माघ के महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा के भक्त माता की 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से ही साधना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 

इस वर्ष माघ माह की गुप्त नवरात्रि माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि अर्थात शनिवार (10 फरवरी 2024) से प्रारंभ होगी। इसका समापन 18 फरवरी 2024 को होगा। मान्यता के अनुसार, तंत्र साधना करने वालों के लिए गुप्त नवरात्रि एक स्वर्णिम अवसर है। 

माघ महीने में पड़ने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है. गुप्त नवरात्रि पर माता के भक्त 10 महाविद्याओं की पूजा अर्चना गुप्त रूप से करते हैं, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। तांत्रिक, अघोरी और महाकाल के भक्तों के लिए गुप्त नवरात्रि बेहद महत्वपूर्ण है. गुप्त नवरात्रि पर तांत्रिक, अघोरी तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्त करते हैं. गृहस्थ जीवन वालों को इस दौरान मां दुर्गा की सामान्य रूप से पूजा करनी चाहिए. माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की पूजा उपासना करने से व्यक्ति के जीवन से संकट खत्म होते हैं। 
 
वर्ष 2024 में 10 फरवरी से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है, जो तंत्र-साधनाओं के लिए विशेष रूप से महत्व की मानी जाती है. साधु-महात्मा एवं तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए गुप्त रूप से साधनाएं करते है. इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते है। 

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गुप्त नवरात्रि : संबंधित लेख (आषाढ़ गुप्त नवरात्रि जून 2023)
प्रत्यक्ष फलदायी है गुप्त नवरात्र, कामना के अनुसार करें मंत्र जाप... 
http://www.dharmnagari.com/2023/06/Gupt-Navaratri-Pratyaksh-Phal-dayak-hain-Ashadh-Navratri-19-June-2023.html
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सनातन परंपरा में चार नवरात्रि- दो नवरात्रि प्रगट एवं दो गुप्त है। चैत्र मास और दशहरे पर आने वाली नवरात्रि प्रगट है. आषाढ़ और माघ मास में आने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि मानी जाती है. तंत्र और मंत्र साधना की दृष्टि से इनका अलग महत्व है। तंत्र साधक लोग इस दौरान सिद्धियां प्राप्त करने के लिए गुप्त रूप से साधनाएं करते है। 

गुप्त नवरात्रि में सर्वार्थ-सिद्ध योग बन रहा है, जो मंत्र सिद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, विशेषकर उनके लिए जो गुरु-परंपरा के अनुसार 10 माह विद्या साधना करते है. वें इस नवरात्रि उपासना करते है तो निश्चित ही लाभ मिलेगा, क्योंकि पूरे नौ दिन उपासना के लिए मिल रहे है। 

गुप्त नवरात्रि इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इसमें यह संयोग भी देखा जा रहा है कि नवरात्रि में ही बसंत उत्सव, देवी सरस्वती का प्रगटोत्सव तथा मां नर्मदा का जन्मोत्सव भी इसी बीच आ रहा है. इसके साथ ही धर्मशास्त्रों में इस माह को स्नान, दान पुण्य की दृष्टी से भी काफी महत्वपूर्ण माना गया है. बसंत का आगमन होने से कामनाओं की सिद्धि के लिए भी यें नवरात्रि अत्यंत विशेष है.

माघ गुप्त नवरात्रि मुहूर्त, कलश स्थापना  
माघ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 10 फरवरी (शनिवार) के दिन से प्रारंभ हो रही है, जो प्रातः 4:28 बजे आरंभ हो जाएगी और 11 फरवरी 2024 को प्रातः 12:47 पर समाप्त होगी. इसी दिन से गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ होगा। 

नवरात्रि में घट स्थापना को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन घट स्थापना का मुहुर्त प्रातः 8:45 बजे से 10:10 बजे तक रहेगा. कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 :13 बजे से 12:58 बजे तक रहेगा। 

गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि
- माँ दुर्गा की विधि-विधान से पूजा-पाठ के साथ गुप्त नवरात्रि में कलश स्थापना का भी विशेष महत्व है. - कलश स्थापना करने के बाद माँ दुर्गा के समक्ष प्रातः सायं दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें.
- गुप्त नवरात्रि में पूजा के समय मां दुर्गा को लौन्ग और बताशे का भोग लगाएं.
- कलश स्थापना करते समय मां दुर्गा को लाल रंग के पुष्प और लाल रंग की चुनरी भी अर्पित करें.
- ऐसा करने से मां दुर्गा जल्दी प्रसन्न होती हैं, और आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखती हैं। 

माघ गुप्त नवरात्रि : राशि अनुसार करें उपाय
मेष- पैसों से संबंधित परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए 9 कन्याओं को लाल चुनरी भेंट करें.
वृषभ- दुर्गा चालीसा का पाठ करें। नौ दिन तक देवी दुर्गा को 9 प्रकार के भोग लगाएं.
मिथुन- मां दुर्गा पर हरी चुनरी, हरी चूड़ा चढ़ाएं। मूंग का दान करें.

कर्क- गुप्त नवरात्रि के 9 में किसी एक दिन हवन कर चावल की खीर में शहद मिलाकर आहुति दें
सिंह-  नवरात्रि में गुड़ का दान करें। माँ दुर्गा के नर्वाण मंत्र का प्रतिदिन सुबह शाम जाप करें.
कन्या- नवरात्रि में रोजाना गाय की सेवा करें, गौशाला में दान दें और देवी दुर्गा चालीसा का पाठ करें.

तुला- गुप्त नवरात्रि में नारियल मां दुर्गा चढ़ाकर किसी गरीब को दान करें.
वृश्चिक- गुप्त नवरात्रि के हर 9 दिनों में हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाएं.
धनु-  21 गोमती चक्र और 3 नारियल लेकर मंदिर में रख दें.

मकर- नवरात्रि में शिवलिंग पर रोजाना लौंग का जोड़ा चढ़ाएं.
कुंभ- गुप्त नवरात्रि में दीपक में दो लौंग डाल दें। इसके बाद हनुमान और दुर्गा चालिसा का पाठ करें.
मीन- गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा को लाल चुनरी में पांच सूखे मेवे, सिक्का रखकर देवी को चढ़ाएं। 

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धर्म नगरी सूचना केंद्र व "हेल्प-लाइन" सेवा शिविर
प्रयागराज माघ मेले में इस वर्ष भी "सूचना केंद्र हेल्प-लाइन सेवा" माघ मेला-2024 लगाया गया है। श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु शिविर की सेवा में आप भी "धर्म नगरी" को या शिविर के आयोजन में स्वेच्छापूर्वक किसी प्रकार का सहयोग करें। अपना सहयोग देकर निःसंकोच पूंछे- कि आपके कहाँ कहाँ उपयोग हुआ ? सम्पर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110 मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।
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दस महाविद्या की साधना का विधान 
गुप्त नवरात्रि पर नवदुर्गा के स्थान पर देवी की 10 महाविद्याओं की साधना का विधान है। देवी की दस महाविद्याओं की महाशक्तियां हैं- माँ काली, माँ तारा, माँ त्रिपुर, माँ भुनेश्वरी, माँ छिन्नमस्तिके, माँ त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माँ बगलामुखी, माँ मातंगी और माँ कमला। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में गई साधना जन्मकुंडली के समस्त दोषों को दूर करने वाली और धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाली होती है।
 मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या की पूजा से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी होती है और उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। 

गुप्त नवरात्रि में देवी शक्ति के 32 नामों का जाप, ‘दुर्गा सप्तशती’, ‘देवी महात्म्य’ और ‘श्रीमद्-देवी भागवत’ जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना सभी समस्याओं को समाप्त करता है, जीवन में शांति प्राप्त करने में प्रभावी है। पूजा में मंत्र जप के साथ ही ध्यान भी करेंगे, तो नकारात्मकता और अशांति दूर हो जाती है।

✔ गुप्त नवरात्रि पर देवी दुर्गा की साधना करते समय व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करना चाहिए, किसी भी कन्या को सताना या किसी भी प्रकार से दुःखी नहीं करना चाहिए। इस अवधि में किसी के प्रति क्रोध, काम भावना बिल्कुल नहीं लाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर माता के व्रत का पुण्यफल नहीं प्राप्त होता है,

✔ गुप्त नवरात्रि के व्रत को करने के लिए जो भी संकल्प लें उसे जरूर पूरा करें। देवी की साधना को हमेशा एक निश्चित समय पर एक निश्चित स्थान पर करें,

✔ देवी पूजा से जुड़ा गुप्त नवरात्रि का व्रत कष्टों को दूर करने और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए रखा जाता है। माता के इस व्रत का पुण्यफल पाने के लिए देवी पूजा में लाल रंग के पुष्प, लाल चुनरी, रोली, और श्रृंगार की सामग्री अवश्य चढ़ाएं। यदि ये चीजें संभव न हो पाएं तो कम से कम उनके मंत्र का जप पूरी श्रद्धा और भाव के साथ करें,

✔ गुप्त नवरात्रि के व्रत में बड़े नियम-संंयम का पालन करना पड़ता है, बल्कि इसका ध्यान भोजन आदि में विशेषरूप से करना चाहिए। नवरात्रि के व्रत में केवल फलहारी भोजन करना चाहिए और तामसिक भोजन से दूर ही रहना चाहिए,

✔ गुप्त नवरात्रि पर न केवल जप-तप का बल्कि दान का भी सत्यधिक महत्व है। अतः आपसे जितना संभव हो सके, प्रतिदिन अथवा अष्टमी या नवमी वाले दिन कन्या को भोजन, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें। मान्यता है, दान करने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और उसके कष्ट दूर होते हैं,

✔ गुप्त नवरात्रि की साधना सदैव गुप्त रूप से करना चाहिए।  शक्ति की साधना के इस महापर्व में भूलकर भी अपनी पूजा का प्रदर्शन या गुणगान न करें। मान्यता है कि इस व्रत का प्रदर्शन करने पर पुण्य फल नहीं प्राप्त होता है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में देवी पूजा जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, व्यक्ति की कामना उतनी ही जल्दी पूरी होती है,

✔ नवरात्रि में खाली समय में अपना समय व्यर्थ की चीजों पर न गवाएं और न ही किसी की आलोचना या अपमान करें. गुप्त नवरात्रि पर भूलकर कभी किसी कन्या या सुहागिन महिला कष्ट पहुंचाएं.
गुप्त नवरात्रि की पूजा के दौरान भूलकर भी चमड़े की चीज का इस्तेमाल न करें और व्रत के दौरान दाढ़ी, बाल न कटवाएं. गुप्त नवरात्रि की पूजा में काले कपड़े पहनने की गलती भी न करें.

(डिस्क्लेमर- लेख को कर्मकांड विशेषज्ञ, ज्योतिर्विद, ग्रंथों एवं मान्यताओं के आधार पर है) 

सिद्धि-काल है गुप्त नवरात्रि, कैसे किसने खोजा ? 
शास्त्रों के अनुसार दस महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए ऋषि विश्वामित्र और ऋषि वशिष्ठ ने बहुत प्रयास किए, परन्तु उनके हाथ सिद्धि नहीं लगी। वृहद काल गणना और ध्यान की स्थिति में उन्हें यह ज्ञान हुआ, कि केवल गुप्त नवरात्रों में शक्ति के इन स्वरूपों को सिद्ध किया जा सकता है। 
    
            गुप्त नवरात्रों में दशमहाविद्याओं की साधना कर ऋषि विश्वामित्र अद्भुत शक्तियों के स्वामी बन गए। उनकी सिद्धियों की प्रबलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक नई सृष्टि की रचना तक कर डाली थी। इसी तरह, लंकापति रावण के पुत्र मेघनाद ने अतुलनीय शक्तियां प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्र में साधना की थी। शुक्राचार्य ने मेघनाद को परामर्श दिया था कि गुप्त नवरात्रों में अपनी कुल देवी निकुम्बाला कि साधना करके वह अजेय बनाने वाली शक्तियों का स्वामी बन सकता है मेघनाद ने ऐसा ही किया और शक्तियां हासिल की। राम, रावण युद्ध के समय केवल मेघनाद ने ही भगवान राम सहित लक्ष्मण जी को नागपाश में बांध कर मृत्यु के द्वार तक पहुंचा दिया था।

            ऐसी मान्यता है, यदि नास्तिक भी इस समय मंत्र साधना कर ले तो उसका भी फल सफलता के रूप में अवश्य ही मिलता है। यही इस गुप्त नवरात्र की महिमा है। यदि आप मंत्र साधना, शक्ति साधना करना चाहते हैं और काम-काज की उलझनों के कारण साधना के नियमों का पालन नहीं कर पाते तो यह समय आपके लिए माता की कृपा लेकर आता है। 

            गुप्त नवरात्रों में साधना के लिए आवश्यक न्यूनतम नियमों का पालन करते हुए मां शक्ति की मंत्र साधना कीजिए। गुप्त नवरात्र की साधना सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। गुप्त नवरात्र के बारे में यह कहा जाता है कि इस कालखंड में की गई साधना निश्चित ही फलवती होती है। इस समय की जाने वाली साधना को गुप्त बनाए रखना बहुत आवश्यक है। अपना मंत्र और देवी का स्वरुप गुप्त बनाए रखें। गुप्त नवरात्र में शक्ति साधना का संपादन आसानी से घर में ही किया जा सकता है।
            इस महाविद्याओं की साधना के लिए यह सर्वोत्तम समय होता है। गुप्त व चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ अवसर होता है। धार्मिक दृष्टि से हम सभी जानते हैं कि नवरात्र देवी स्मरण से शक्ति साधना की शुभ घड़ी है। वास्तव  में, इस शक्ति साधना के पीछे छुपा व्यावहारिक पक्ष यह है कि नवरात्र का समय मौसम के बदलाव का होता है। 

        आयुर्वेद के अनुसार, इस बदलाव से जहां शरीर में वात, पित्त, कफ में दोष पैदा होते हैं, वहीं बाहरी वातावरण में रोगाणु जो अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। सुखी-स्वस्थ जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत जरूरी है। नवरात्र के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाने गए संयम और अनुशासन तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं। जिससे इंसान निरोगी होकर लंबी आयु और सुख प्राप्त करता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्र में प्रमुख रूप से भगवान शंकर व देवी शक्ति की आराधना की जाती है।

            देवी दुर्गा शक्ति का साक्षात स्वरूप है। दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है। यह दमन या अंत होता है शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का। ये सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं। यही कारण है कि देवी दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना के विशेष काल में जाप शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है। सभी 'नवरात्र' शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप और उपवास का प्रतीक है- 'नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते । 

            देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित हैं। नवरात्र के नौ दिनों तक समूचा परिवेश श्रद्धा व भक्ति, संगीत के रंग से सराबोर हो उठता है। धार्मिक आस्था के साथ नवरात्र भक्तों को एकता, सौहार्द, भाईचारे के सूत्र में बांधकर उनमें सद्भावना पैदा करता है शाक्त ग्रंथो में गुप्त नवरात्रों का बड़ा ही माहात्म्य गाया गया है। मानव के समस्त रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई साधनाकाल नहीं हैं। श्री, वर्चस्व, आयु, आरोग्य और धन प्राप्ति के साथ ही शत्रु संहार के लिए गुप्त नवरात्र में अनेक प्रकार के अनुष्ठान व व्रत-उपवास के विधान शास्त्रों में मिलते हैं। इन अनुष्ठानों के प्रभाव से मानव को सहज ही सुख व अक्षय ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 

            "दुर्गावरिवस्या" नामक ग्रंथ में स्पष्ट लिखा है- साल में दो बार आने वाले गुप्त नवरात्रों में माघ में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र मानव को न केवल आध्यात्मिक बल ही प्रदान करते हैं, बल्कि इन दिनों में संयम-नियम व श्रद्धा के साथ माता दुर्गा की उपासना करने वाले व्यक्ति को अनेक सुख व साम्राज्य भी प्राप्त होते हैं। "शिवसंहिता" के अनुसार ये नवरात्र भगवान शंकर और आदिशक्ति मां पार्वती की उपासना के लिए भी श्रेष्ठ हैं। गुप्त नवरात्रों के साधना-काल में मां शक्ति का जप, तप, ध्यान करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं नष्ट होने लगती हैं।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। 
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

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श्रीफल नारियल...
सनातन हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा में नारियल का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. नारियल के कई ऐसे उपाय हैं, जिनको करने से आपको धन, कारोबार में वृद्धि, संतान सुख, साढ़ेसाती-ढैय्या से राहत मिल सकती है। सनातन धर्म में नारियल का विशेष स्थान है. बिना नारियल के देवी देवताओं की पूजा अधूरी मानी जाती है। नारियल व्यक्ति के जीवन से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को दूर करने में भी सक्षम है। साथ ही, दुर्भाग्य को दूर करके शुभ और सौभाग्य दिलाने वाले नारियल के और भी कई लाभ हैं। 
साढ़े साती-ढैय्या, व्यापर, संतान-सुख आदि के उपाय में प्रभावी है श्रीफल
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा में नारियल का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. नारियल के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जब पृथ्वी पर अवतार लिया तो वो अपने साथ धन की देवी मां लक्ष्मी, नारियल का पेड़ एवं कामधेनु गाय लेकर आए थे.

पेड़ भी होता है शुभ
सनातन परंपरा में नारियल के पेड़ को अत्यंत शुभ माना गया है। मां शक्ति की साधना में श्रीफल का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है. मान्यता है कि जिस फल के आगे श्री यानी लक्ष्मी जी का नाम जुड़ा हो, उसके पेड़ को लेकर यह जिस घर में यह लगा होता है, वहां पर धन की देवी का सदा वास बना रहता है। 

➤ लंबे समय से संतान सुख से वंचित हैं, तो इसके लिए एक आसान उपाय है. नवरात्रि में आप नारियल का यह सरल एवं प्रभावी उपाय जरूर करें। सबसे पहले नवरात्रि के 9 दिन तक 11 तंत्रोक्त नारियल को लेकर उस पर ‘ॐ श्रीं पुत्र लक्ष्म्यै नमः’ मंत्र की एक माला नित्य जप करें। इसके पश्चात दुर्गा नवमी को किसी तालाब या नदी में विसर्जित कर दें। ऐसा करने से देवी मां के आशीर्वाद से आपको शुभ फल मिलेगा,

➤ शनिदेव की ढैय्या या साढ़ेसाती दोष से अगर आप पीड़ित चल रहे हों, तो इससे इसके प्रभाव को कम करने / प्रभाव से बचने आप सात शनिवार तक किसी पवित्र नदी में पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ ‘ॐ रामदूताय नम:’ मंत्र जपते हुए नारियल प्रवाहित करें. ऐसा करने से शनिदेव की साढ़ेसाती एवं ढैय्या का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा,

➤ अगर घर को आए दिन किसी की नजर लग जाती है, घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का खतरा बना रहता है. ऐसे में लाल कपड़े में नारियल को सिलकर गणेशजी की पूजा में चढ़ाएं एवं उसके बाद में उसे मुख्य द्वार पर भीतर की तरफ टांग दें. इस उपाय को करने से नारियल के शुभ प्रभाव से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी. बार-बार बुरी नजर या बलाओं का खतरा टल जाएगा,

➤ कठिन परिश्रम एवं प्रयास के बाद भी व्यापार कारोबार का घाटा नहीं रुक रहा है, तो इससे बचने के लिए गुरुवार के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा में पीले पुष्प, पीली मिठाई एवं एक पीले कपड़े में नारियल लपेट कर चढ़ा दीजिए। ऐसा करने से कारोबार में चमत्कारिक रूप से फल दिखाई देने लगेंगे। 
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उत्तराखंड में UCC बिल : गुलामी-दहेज से लेकर लिव-इन संबंध तक,
कानून के विशेषज्ञों की राय, सुप्रीम कोर्ट की UCC के पक्ष में टिप्पणी
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