माघ पूर्णिमा के स्नान के साथ प्रयागराज माघ मेले में एक माह से चल रहा कल्पवास संपन्न होगा



(धर्म नगरी / 
DN News)    
W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, सदस्यता एवं अपने नाम से कॉपी भिजवाने हेतु 

माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, इस दिन गंगाजल का स्पर्श मात्र भी मनुष्य को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति देता है। माघी पूर्णिमा पर संगम नगरी प्रयागराज में पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ लाखों कल्पवासी, श्रद्धालुओ एवं तीर्थयात्रियों पवित्र स्नान करेंगे। गंगाजी के तटों पर लगभग 40 लाख लोग आस्था की डुबकी लगा सकते हैं। माघ पूर्णिमा माघ मेले का पांचवां और प्रमुख स्नान होगा। इसके साथ एक महीने से माघ मेले में चल रहे कल्पवास का समापन हो जाएगा। इस अवसर पर श्रद्धालु भगवान सत्यनारायण की कथा सुनते हैं, पूजा-पाठ के साथ दान-दक्षिणा देते हैं।    
 
माघ महीने की पूर्णिमा शनिवार (24 फरवरी, 2024) को है। इस तिथि को पुराणों में कल्पवास की पूर्णता का पर्व माना गया है। इस पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने का विधान है। इस दिन गंगा स्न्नान करके कल्पवासी अपनी एक माह की तपस्या करके घर लौटते हैं। जो एक माह तक वहां नहीं रुकते, वे इस एक दिन गंगा स्न्नान करके न केवल पूरे माह का बल्कि वर्षभर का पुण्य लाभ कमा लेते हैं। 

----------------------------------------------
"धर्म नगरी" व DN News के विस्तार एवं एक तथ्यात्मक सूचनात्मक व रोचक राष्ट्रवादी समसामयिक मैगजीन हेतु "संरक्षक" या NRI इंवेस्टर चाहिए। स्थानीय रिपोर्टर या प्रतिनिधि भी चाहिए, जो पार्ट टाइम स्वतंत्र रूप से अपने जिले में काम करना चाहें। -प्रबंध संपादक 6261868110. 9752404020, 8109107075-वाट्सएप करें  

सूचना केंद्र व "हेल्प-लाइन" सेवा शिविर
प्रयागराज माघ मेले में इस वर्ष भी "सूचना केंद्र हेल्प-लाइन सेवा" माघ मेला-2024 लगाया गया है। श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु शिविर की सेवा में आप भी "धर्म नगरी" को या शिविर के आयोजन में स्वेच्छापूर्वक किसी प्रकार का सहयोग करें। अपना सहयोग देकर निःसंकोच पूंछे- कि आपके कहाँ कहाँ उपयोग हुआ ? सम्पर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110 मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075  
----------------------------------------------

माघ पूर्णिमा को गंगा स्नान करना संभव न हो, तो घर में पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। इतना भी नहीं हो पा रहा है, तो गंगाजल के छींटे मार लें और यह भी नहीं तो मानसिक स्नान की भी व्यवस्था है। यानी धर्म आपकी सुविधा का पूरा ध्यान रख रहा है। कितना उदार है हमारा धर्म और कितने व्यावहारिक हैं हमारे धार्मिक विश्वास। हमारे वैदिक ऋषि इस बात को जानते थे, कि मन की शुद्धि के साथ-साथ तन को शुद्धि भी बहुत जरूरी है, क्योंकि गंदे पात्र में रखी हुई अच्छी वस्तु भी खराब हो जाती है इसलिए मन को रखने वाले तन रूपी पात्र का भी साफ रहना आवश्यक है। 

पौराणिक कथाएं कहती हैं, इस दिन भगवान विष्णु का वास गंगा में होता है। 'पद्मपुराण' के अनुसार अन्य मास में जप-तप-दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते, जितने माघ मास में गंगा स्नान करने से होते हैं। गंगा यानी मां। सृष्टि के पालक विष्णु यानी पिता। यह एक पिता के घर आने का दिन है।

पौराणिक उल्लेख एवं प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सभी देवी-देवता भी प्रयाग में गंगा में स्न्नान करके अपने लोक को लौट जाते हैं। पुराणों के अनुसार, इस पर्व पर किए गए शुभ कामों से अक्षय पुण्य मिलता है। इसके अलावा माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन वाग्देवी यानि सरस्वती के स्वरूप ललिता महाविद्या की जयंती भी है। होली से एक महीने पूर्व इस पूर्णिमा पर ही होली का डांडा लगाया जाता है, इसलिए इसे होलिका डांडा और रोपणी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

पूर्णिमा पर गंगा स्नान का धार्मिक महत्व
पदमपुराण के अनुसार अन्य मास में जप, तप, दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने माघ मास में गंगा स्न्नान करने से होते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। अतः इस दिन गंगाजल का स्पर्श मात्र भी मनुष्य को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति देता है। 

मत्स्य पुराण के अनुसार, माघ महीने या माघ पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम में स्नान करने से दस तीर्थों के साथ सहस्त्र कोटि तप का पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन गंगा आदि सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप और संताप का नाश होता है। मन और आत्मा की शुद्ध होती है। इस दिन किया गया महास्नान समस्त रोगों का नाश करके दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है। स्नान और दान के समय  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का मानसिक जप करते रहना चाहिए। स्नान के बाद पात्र में काले तिल भरकर और साथ में शीत निवारक वस्त्र दान करने से धन और वंश में वृद्धि होती है। इस दिन पितरों को तर्पण करना बहुत ही फलदायी माना गया है। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और आयु एवं आरोग्य में वृद्धि होती है।

स्नान का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
माघ पूर्णिमा स्नान को केवल शास्त्रों में ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों ने भी माना है। माघ के महीने में ऋतु परिवर्तन होता है इसलिए नदी के जल में स्नान और सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। दूसरा कारण, चंद्रमा का सम्बन्ध मन से होने के कारण भी यह व्रत मन की पवित्रता और चित्त की शांति के लिए किया जाता है। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आध्यात्मिकता का विकास होता है।


---------------------------------------------
"धर्म नगरी" की प्रतियाँ अपने पते पर मंगवाएं। यदि आपकी सदस्यता समाप्त हो गई है, तो नवीनीकरण (renewal) की राशि QR कोड स्कैन करके या सीधे धर्म नगरी के चालू खाते में भेजकर हमे सूचित करें। "धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान अथवा अपने नाम (की सील के साथ) प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु बैंक खाते (चालू खाता) का डिटेल- 
"Dharm Nagari" (Current A/c)
A/c- no.32539799922 
IFS Code- SBIN0007932 
State Bank India, Bhopal
अगर आपने अब तक सदस्यता नहीं लिया है, तो सदस्यता राशि भेजकर लें
आपकी सदस्यता राशि के बराबर आपका फ्री विज्ञापन / शुभकामना आदि प्रकाशित होगा, क्योंकि प्रकाश अव्यावसायिक है, "बिना-लाभ हानि" के आधार पर जनवरी 2012 से प्रकाशित हो रहा हैसनातन धर्म एवं राष्ट्रवाद के समर्थन में सदस्यता हेतु सभी हिन्दुओं से आग्रह है -प्रसार प्रबंधक धर्म नगरी/DN News

अपने जिले से "धर्म नगरी" से जुड़ें। पार्ट-टाइम अपनी सुविधानुसार सप्ताह में केवल 3-4 दिन 1-2 घंटे काम करें और नियमानुसार कमीशन या वेतन पाएं। नौकरी, व्यापार करने वाले हिन्दुत्व-प्रेमी एवं राष्ट्रवादी विचारधारा वाले भी स्वेच्छा जुड़ें।


No comments