मौनी अमावस्या : वैज्ञानिक दृष्टिकोण, राशि के अनुसार किस वस्तु का करें दान, इस दिन गंगा स्नान न कर सकें तो...

घर में ही स्नान के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान करना चाहिए 
- मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विधान है
- इस दिन मौन व्रत धारण कर दान-पुण्य करने से मन की अशुद्धियां दूर होती हैं

प्रयागराज ब्यूरो 
(धर्म नगरी / 
DN News)    
W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, सदस्यता एवं अपने नाम से कॉपी भिजवाने हेतु 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा का मिलन महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य में व्याप्त अग्नि तत्त्व और चंद्रमा में व्याप्त सोम तत्व, दोनों मिलकर इस संसार का सृजन करते हैं। जैसे विद्युत उपकरणों को चलाने के लिए विद्युत ऊर्जा में गरम और ठंडा, दोनों ऊर्जाओं का उपयोग किया जाता है, उसी प्रकार इस सृष्टि में अग्नि तत्व और सोम तत्व के मिलने से सब कार्य संपन्न होते हैं।

माघ मास की अमावस्या के दिन चंद्रमा के सोम तत्व और सूर्य के अग्नि तत्व का समावेश मकर राशि में होने से ब्रह्मांड की शुभ ऊर्जा का संचार स्नान, दान और मौन व्रत के माध्यम से होता है।

मौनी अमावस्या को करें विशेष उपाय- 
मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर दान-पुण्य व पूजन से अन्य दिनों की तुलना मे हजारों गुणा पुण्य मिलता है। ज्योतिर्विदों एवं कर्मकांड विशेषज्ञों इस तिथि को आप- 
- प्रात: स्नान के बाद सूर्य को दूध, तिल से अर्घ्य देने से आपके जीवन मे विपरीत परिस्थितियो का प्रभाव कम होता है
- इस दिन पितरो को अर्घ्य देना, पितृ तर्पण अवश्य करना चाहिए, 
- कम से कम तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, वस्त्र, आंवला दान मे दें

----------------------------------------------
धर्म नगरी सूचना केंद्र व "हेल्प-लाइन" सेवा शिविर
प्रयागराज माघ मेले में इस वर्ष भी "सूचना केंद्र हेल्प-लाइन सेवा" माघ मेला-2024 लगाया गया है। श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु शिविर की सेवा में आप भी "धर्म नगरी" को या शिविर के आयोजन में स्वेच्छापूर्वक किसी प्रकार का सहयोग करें। अपना सहयोग देकर निःसंकोच पूंछे- कि आपके कहाँ कहाँ उपयोग हुआ ? सम्पर्क करें- मो. / वाट्सएप- 6261868110 मो. 9752404020 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com हेल्प-लाइन नंबर- 8109107075 पूर्ववत ही है।
----------------------------------------------

स्नान का ग्रहों से संबन्ध 
ग्रहों के राजा सूर्य और ग्रहरानी चंद्रमा का मिलन मकर राशि में अमावस्या के दिन होने से प्राणदायिनी ऊर्जा का सूजन जल में होता है। पवित्र नदियों में स्नान करने से जहां शरीर का शुद्धिकरण होता है, वहीं मौन वत धारण कर दान-पुण्य करने से मन की अशुद्धियां दूर होती हैं। चित्त को शुद्धि होने पर ईश्वर का चिंतन मनुष्य की समस्त कामनाओं को पूरा करता है।

मौनी अमावस्या (१ फरवरी, 2024) के दिन मकर राशि में चार ग्रहों का संयुक्त असर, महोदय योग, सर्वार्थ-सिद्धि योग, स्नान, दान करने वालों को अमोघ फल प्रदान करेगा। मौनी अमावस्या के दिन सूर्य, चंद्रमा का मकर राशि में मिलन होता है। इस बार सूर्य, चंद्रमा के साथ मकर राशि में मंगल और बुद्ध भी विराजमान हैं, जिस कारण मकर राशि में चतुर्ग्रही योग बन रहा है। अमावस्या तिथि संचरण के समय कुंभ लग्न का उदय हो रहा है। वर्तमान में शनि कुंभ राशि में है, जो शनि की स्वराशि होकर शुभ फलदायक है। कुंभ राशि में स्वराशि का शनि पंच महापुरुष नामक अतिविशिष्ट सर्वोत्तम श्रेणी का राजयोग बना रहा है।

मौनी अमावस्या के दिन सभी कार्यों में सिद्धि प्रद सर्वार्थ-सिद्धि योग का सृजन मंगलकारी है। मीन राशि का राहु, धनु राशि का शुक्र, मेष राशि का बृहस्पति और कन्या राशि का केतु, ऐसी ग्रह स्थिति में मौन रहकर दान-पुण्य कर्म का विशेष फल प्राप्त होगा। इस दिन व्रत के रूप में मौन धारण कर दान करने वाले को मुनि पद प्राप्त होता है, जिससे अगले जन्म में व्रत-कर्ता मुनि कहलाने का अधिकारी बनता है।

माघ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या के दिन गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करने का विधान है। शुक्रवार, फरवरी 9, 2024 कोमौनी अमावस्या-2024 तिथि- 
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - फरवरी 09, 2024 को प्रातः 8:02 बजे से 
अमावस्या तिथि समाप्त - फरवरी 10, 2024 को प्रातः 4:28 बजे।    

----------------------------------------------
संबंधित लेख- 
मौनी अमावस्या पर चलेंगी "मेला स्पेशल ट्रेन", 2800 रोडवेज बसें, जाने अन्य सुविधा एवं जानकारी
http://www.dharmnagari.com/2024/02/Railways-special-Trains-2800-Buses-for-Mauni-Amavasya-know-the-details.html

आवश्यकता है / Require- "धर्म नगरी" व DN News के विस्तार एवं एक तथ्यात्मक सूचनात्मक व रोचक राष्ट्रवादी समसामयिक मैगजीन हेतु "संरक्षक" या NRI इंवेस्टर चाहिए। स्थानीय रिपोर्टर या प्रतिनिधि भी चाहिए, जो पार्ट टाइम स्वतंत्र रूप से अपने जिले में काम करना चाहें। -प्रबंध संपादक 6261868110. 9752404020, 8109107075-वाट्सएप करें     
----------------------------------------------

मौनी अमावस्या : गंगा स्नान का महत्व
पौराणिक उल्लेखों एवं प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, जो पुण्यफल किसी व्यक्ति को करोड़ स्नान- दान करने के बाद मिलता है, वह इस योग में केवल एक बार किसी तीर्थ स्थल पर या पवित्र नदी में स्नान करने से ही प्राप्त हो जाता है। अतः मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान का बड़ा ही महत्व है। स्नान-दान का सबसे ज्यादा महत्व सुबह के समय होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, अमावस्या के दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही पितर प्रसन्न होते हैं और पितरों के आशीर्वाद से सारे काम पूरे होते हैं।

मौनी अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए। आगर ऐसा ना कर सके तो घर में ही स्नान के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान करना चाहिए। इसके अलावा पितृ तर्पण करने के लिए नदी या घर में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करना चाहिए।  इसके बाद किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।  गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अमावस्या के दिन पितर अपने वंशजों से मिलने जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर पवित्र नदी में स्नान, दान व पितरों को भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।

राशि अनुसार दान 
राशि के अनुसार, वस्तुओं का दान करने से जीवन में सौभाग्य का सृजन होता है, प्रतिकूल परिस्थितियों का प्रभाव कम होता है, जिससे कष्ट में कमी एवं सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। माघ या मौनी अमावस्या को अपनी राशि अनुसार आप भी वस्तु का दान किसी निर्धन या जरूरतमंद सनातनी को या मंदिर में नियमित पूजा-आरती करने वाले अर्चक को दे सकते हैं-
मेष व वृश्चिक- लाल मसूर की दाल, लाल चंदन-फूल, सिंदूर, तांबा, लाल वस्त्र आदि दान करें।

वृष व तुला- सफेद वस्त्र, कपूर, अगरबत्ती, धूप, दही, चावल, चीनी, दूध, चांदी आदि दान करें।

मिथुन व कन्या- हरी सब्जी, हरा फल, हरा वस्त्र, कांसे का वर्तन, हरी दाल आदि दान करें।

कर्क- दूध, दही, चावल, सफेद वस्त्र, चीनी, चांदी आदि का दान करें।

सिंह- गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चंदन, माणिक्य, शहद, केसर, घी, कुमकुम आदि दान करें।

धनु व मीन- पीला बस्व, हल्दी, पीला अनाज, केला, चने की दाल, पुखराज, देसी घी आदि दान करें।

मकर व कुंभ- काले तिल, काला वस्त्र, लोहा, काली उड़द दाल, सुरमा (काजल) आदि दान करें।

मौनी अमावस्या : क्या करें
- मौनी अमावस्या को विशेष रूप से व्रती लोग मौन व्रत रखते हैं, एकांत में बैठकर मौन रहते हैं। इससे वे अपने मन को शांति और ध्यान की अवस्था में ले जाने का प्रयास करते हैं,
- व्रती लोग भगवान शिव और पर्वती माता की पूजा करते हैं। शिवलिंग की पूजा, बिल्व पत्र का अर्चना, और भगवती पार्वती का स्मरण करना उचित है,
- व्रत रखने वाले अपने मन को शुद्ध करने और आत्मा को अपने साथ संवाद करने के लिए ध्यान और मनन करते हैं,
- मौनी अमावस्या पर दान करना भी अच्छा होता है। सुपात्रों, ब्राह्मणों, गुरुजनों, यतियों, और गरीबों को दान देना शुभ माना जाता है,
- कुछ लोग इस दिन तीर्थस्थलों की यात्रा करते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करने का प्रयास करते हैं। 

मौनी अमावस्या : क्या नहीं करें
- मौनी अमावस्या के दिन व्रती लोगों को बहुत बोलना नहीं चाहिए। वे मौन रहकर अपने मन को शांति प्रदान करने का प्रयास करते हैं,
- व्रती लोगों को अनादरपूर्वक बातचीत नहीं करनी चाहिए और धार्मिकता में रहना उचित है,
- मौनी अमावस्या को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन किसी भी प्रकार की अशुभ क्रियाएं नहीं करनी चाहिए,

मौनी अमावस्या : व्रत विधि
मौनी अमावस्या अपने नाम के अनुसार मौन और साधना का व्रत है। हम हर दिन जाने अनजाने कितनी ही बात बोल जाते हैं जिससे लोगों का मन आहत होता है और अपनी कही बातों को लेकर हम बाद में अफसोस भी करते हैं। इसलिए साधना के लिए मौन परम आवश्यक माना गया है। गृहस्थजन हमेशा मौन व्रत नहीं रख सकते हैं इसलिए एक दिन निर्धारित किया गया है जिसमें गृहस्थों को आत्मशुद्धि के लिए मौन व्रत का संकल्प लेना चाहिए। मौनी अमावस्या पर संभव हो तो पूरे दिन मौन धारण करें और मानसिक रूप से भगवान शिव और विष्णु का ध्यान करें। अथवा स्नान करने से पहले मौन धारण करें स्नान के बाद ही कुछ भी बोलें और दिन भर कोई भी ऐसी बात न कहें जिससे किसी का मन आहत हो। मौनी

मौनी अमावस्या : महत्व और महात्म्य
मौनी अमावस्या की सबसे बड़ी बात है कि यह माघ कृष्ण चतुर्दशी के अगले दिन आता है। माघ कृष्ण चतुर्दशी को शिवजी का विवाह माता पार्वती से तय हुआ था और अगले दिन मुनियों और देवी देवताओं ने शिव की साधना के लिए उनकी उपासना की थी। भगवान विष्णु ने देवी पार्वती के भाई बनकर उनके विवाह संबंधी कार्यक्रम में भाग लेना स्वीकार किया था। और इनस सबसे अलग मौनी अमावस्या की कथा यह भी है कि सागर मंथन के समय जब असुर अमृत कलश लेकर भाग रहे थे तब इसी दिन अमृत की बूंदें छलक कर प्रयाग सहित कई स्थानों पर गिरा था। इसलिए मौनी अमावस्या पर प्रयाग सहित अन्य तीर्थों में स्नान करके दान पुण्य करने से कई गुणा लाभ मिलता है।

मौनी अमावस्या : व्रत के लाभ
माघ मास में तिल, ऊनी वस्त्र, घी का दिन बहुत ही पुण्यदायी होता है। इसलिए मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या पर इन वस्तुओं का दान अवश्य करना चाहिए। आप बहुत अधिक दान न करें, लेकिन अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार थोड़ा दान भी आप कर सकते हैं। इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति मृत्यु पश्चात उत्तम लोक में स्थान पाता है। व्यक्ति मुनि पद को प्राप्त करता है। एक मान्यता है, कि मौनी अमावस्या के दिन मनुष्यों के धरती पर लाने वाले प्रथम मनुष्य मनु ऋषि का जन्म हुआ था। मनु ऋषि के नाम से भी इस व्रत का नाम मौनी अमावस्या है।

मौनी अमावस्या : पौराणिक कथा  
एक समय की बात है एक कांचीपुरी नाम के नगर में एक ब्राह्मण का परिवार रहता था। ब्राह्मण की पत्नी, एक पुत्री और इसके अलावा ब्राह्मण के सात बेटे भी थे। ब्राह्मण ने अपने सभी पुत्रों का विवाह बड़ी धूमधाम से किया और फिर अपनी पुत्री गुणवती के लिए वर खोजने लगा। उसने अपने बड़े बेटे को योग्य वर खोजने के लिए नगर से बाहर भेजा।

ब्राह्मण ने इस बीच उसने अपनी पुत्री गुणवती की कुंडली एक ज्योतिष को दिखाई। कुंडली देख ज्योतिष बोला, कि आपकी बेटी विवाह के उपरान्त सप्तपति होते ही विधवा हो जाएगी। यह सुनकर ब्राह्मण दुखी हो गया और ज्योतिष से इस दोष का निवारण बताने के लिए कहा। तब ज्योतिष ने कहा कि अगर सिंहलद्वीप में रहने वाली सोमा नाम की धोबिन शादी के समय अपना पुण्य आपकी पुत्री को दान कर दे और वर-वधु को अशीर्वाद दें तो आपकी पुत्री आजीवन सुहागन रहेगी। यह सुनते ही ब्राह्मण ने अपने सबसे छोटे बेटे के साथ अपनी पुत्री को सोमा धोबीन के घर भेज दिया।

उन्होंने सोमा धोबिन को पूरी बात बताई। सोमा धोबीन उनके साथ उनके घर जाने के लिए तैयार हो गई। इधर ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने शादी की तैयारियां करके रखी थी और पुत्री के आते ही ब्राह्मण ने गुणवती का विवाह कराया। परंतु सप्तपति होते ही ब्राह्मण की पुत्री गुणवति विधवा हो गई, तब सोमा धोबिन ने अपने सभी पुण्य का फल दान कर गुणवती के पति को पुनः जीवित कर दिया, और वर-वधु को आशीर्वाद देकर अपने घर के लिए वापस लौट गई।

जब सोमा धोबिन अपने घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके पति, पुत्र और दामाद तीनों की मृत्यु हो गई है। जिसके बाद धोबिन नदी किनारे एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करने लगी और पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा की। सोमा धोबिन की भक्ति से भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर सोमा धोबिन को पुण्य दिया। जिससे उसके पति, पुत्र और दामाद फिर से जीवित हो गए। कहते हैं तभी से ऐसी मान्यता है कि यदि माघ अमावस्या के दिन मौन रहकर भगवान शिव और विष्णु की पूजा करते हैं तो मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है।

----------------------------------------------
"धर्म नगरी" की प्रतियाँ अपने पते पर मंगवाएं। यदि आपकी सदस्यता समाप्त हो गई है, तो नवीनीकरण (renewal) की राशि QR कोड स्कैन करके या सीधे धर्म नगरी के चालू खाते में भेजकर हमे सूचित करें। "धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान अथवा अपने नाम (की सील के साथ) प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु बैंक खाते (चालू खाता) का डिटेल- 
"Dharm Nagari" (Current A/c)
A/c- no.32539799922 
IFS Code- SBIN0007932 
State Bank India, Bhopal

अगर आपने अब तक सदस्यता नहीं लिया है, तो सदस्यता राशि भेजकर लें
आपकी सदस्यता राशि के बराबर आपका फ्री विज्ञापन / शुभकामना आदि प्रकाशित होगा, क्योंकि प्रकाश अव्यावसायिक है, "बिना-लाभ हानि" के आधार पर जनवरी 2012 से प्रकाशित हो रहा हैसनातन धर्म एवं राष्ट्रवाद के समर्थन में सदस्यता हेतु सभी हिन्दुओं से आग्रह है -प्रसार प्रबंधक धर्म नगरी/DN News
----------------------------------------------

उत्तराखंड में UCC बिल : गुलामी-दहेज से लेकर लिव-इन संबंध तक,
कानून के विशेषज्ञों की राय, सुप्रीम कोर्ट की UCC के पक्ष में टिप्पणी
http://www.dharmnagari.com/2024/02/Uniform-Civil-Code-bill-in-Uttarakhand-Recommendations-and-Changes.html

No comments