UAE में पश्चिम एशिया के सबसे बड़े मंदिर का उद्घाटन, 1997 में मन्दिर की कल्पना अब साकार हुई, यूएई सरकार ने...

...मंदिर के लिए उपहार में दिया जमीन
- पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा मंदिर,  
- बनकर तैयार हुआ पहला हिंदू मंदिर, 14 फरवरी को उद्घाटन 
(धर्म नगरी / DN News)    
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संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में पश्चिम एशिया के सबसे बड़े मंदिर का निर्माण पूरा हो गया। यूएई की राजधानी अबू धाबी में 'अल वाकबा' नामक स्थान पर बने मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी को शाम लगभग 6 बजे हो रहा है। मंदिर का निर्माण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) ने कराया है।

मुस्लिम देश में नागर शैली में बना यह मंदिर सांस्कृतिक विविधता और सहिष्णुता का प्रतीक है। इसीलिए दोनों देशों में हिंदू समुदाय के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। यूएई की राजधानी अबू धाबी में बना पहला हिंदू मंदिर भारत और यूएई के बीच गहरे संबंधों को भी दिखाता है। बीते माह 22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्माणाधीन भव्य राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा हुई, उसी प्रकार 14 फरवरी को यूएई में भी हिंदू मंदिर का उद्घाटन है। अयोध्या की तरह यूएई में भी पीएम मोदी कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे।

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अबू धाबी मंदिर में (10 फरवरी 2024 को) विशेष 'भक्ति दिवस' आयोजित... 
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महंत स्वामी महाराज ने स्वामियों और भक्तों की उपस्थिति में सुबह पूजा करके अबू धाबी मंदिर के प्रमुख सभागृह सभा कक्ष का उद्घाटन किया। His Holiness Mahant Swami Maharaj inaugurated the Pramukh Sabhagruh assembly hall of the #AbuDhabiMandir by performing his morning pooja in the presence of swamis and devotees. देखें- 
अबू धाबी मंदिर का एक दृश्य ऐसा भी... 
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मंदिर की कल्पना 1997 में, सरकार ने दिया जमीन

यह हिन्दू मंदिर / धर्म स्थल 20,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैले एवं हाइवे से सटे "अल वाकबा" अबू धाबी से तकरीबन 30 मिनट की दूरी पर है। मन्दिर यूएई का पहला मंदिर है, जो 2023 में बनकर तैयार हुआ, परन्तु इसकी कल्पना करीब ढाई दशक पहले 1997 में बीएपीएस संस्था के तत्कालीन प्रमुख स्वामी महाराज ने की थी।


अगस्त 2015 में यूएई सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने भूमि आवंटित करने का निर्णय लिया। इसकी जानकारी 16 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने देते हुए यूएई सरकार का आभार जताया। मंदिर के लिए जमीन देने के निर्णय को एक बेहतरीन कदम बताया था। फिर निर्णय के दो साल बाद (2017 में) अबू धाबी के राजकुमार ने शाही आदेश के जरिए भूमि उपहार में दी। इसके साथ अबू धाबी हिंदू मंदिर की परियोजना के अलावा मंदिर की शोध वास्तुकला भी तैयार की गई।

PM नरेंद्र मोदी (13 फरवरी 2024) यूएई पहुंचे। राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से गले मिले। उनके आगमन पर पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। 
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मोदीमय हुआ UAE देखें- 



BAPS ने मन्दिर उद्धाटन समारोह के लिए PM मोदी को (27 दिसंबर 2023) आमंत्रित करते हुए @DharmNagari  
यूएई और भारत के बीच सांस्कृतिक समृद्धि, धार्मिक सहिष्णुता और द्विपक्षीय सहयोग के उत्सव के बीच उद्घाटन के साथ मन्दिर दोनों देशों के बीच मित्रता के स्थायी बंधन और साझा मूल्यों का भी प्रतीक बनेगा। बीएपीएस मंदिर सहयोग, विश्वास और विविधता में एकता की शक्ति का एक प्रमाण है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य करता है।  

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मंदिर से जुड़ी विशेषताएं- 
- बीएपीएस मंदिर का निर्माण बड़ी मात्रा में संगमरमर, बलुआ पत्थर और ईंटों से हुआ है। 4 लाख घंटे से ज्यादा श्रम के साथ इसे बनाया गया है।

- यह मंदिर एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। पूरा होने पर इसकी ऊंचाई 108 फीट होती है, जो देखने लायक है।

- मंदिर का एक रिकॉर्ड भी है, कि यह पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। BAPS मंदिर के पैमाने और भव्यता ने वास्तुशिल्प उत्कृष्टता और सांस्कृतिक महत्व में नए मानक स्थापित किए।

- मंदिर की डिजाइन एक प्रेरणा है वैदिक वास्तुकला और मूर्तियों से की, उसी के अनुरूप मंदिर की डिजाइन, परंपरा और विरासत के प्रति गहरी श्रद्धा को दिखाता है। भारत में कारीगरों ने सावधानीपूर्वक जटिल नक्काशी की और मूर्तियां बनाई।

- पीएम मोदी की यूएई यात्रा के दौरान मंदिर परियोजना के लिए जमीन का आवंटन हुआ था। यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक कूटनीतिक और सहयोग के महत्व को दिखाता है।

- मंदिर में भारत के कुशल कारीगरों ने अपनी विशेषज्ञता का योगदान दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर अभिनेता अक्षय कुमार और संजय दत्त जैसी प्रमुख हस्तियों समेत 50 हजार से ज्यादा लोगों ने निर्माण में भाग लिया है, जो एक सामान्य लक्ष्य की दिशा में सामूहिक प्रयास का प्रतीक है।

- मंदिर के डिजाइन में एकीकृत सात शिखर हैं, जो अमीरात की एकता का प्रतीक है।

- मंदिर के निर्माण में 700 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आया है।

- धार्मिक महत्व के साथ मंदिर परिसर एक बहुआयामी स्थान है, जिसमें आगंतुक केंद्र, प्रार्थना स्थल, पर्दर्शनी, बच्चों के खेलने का स्थान, फूड कोर्ट, किताबें और उपहार की दुकान शामिल है। मंदिर की नीव में 100 सेंसर और पूरे क्षेत्र में 350 से ज्यादा सेंसर हैं, जो तापमान, भूकंप और दबाव से जुड़े डेटा देते हैं।
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