महाशिवरात्रि : मुहूर्त-संयोग, पूजा-विधि, मंत्र एवं अभिषेक, रुद्राभिषेक, प्रहर-पूजा, करें विशेष उपाय


सभी प्रकार के यज्ञ, तप, दान, तीर्थों एवं वेदों का जो पहल होता है, वही पहल करोड़ों गुना होकर शिवलिंग की स्थापना करने वाले मनुष्य को प्राप्त होता है -अग्नि पुराण 

- मंत्र जिनसे करें रुद्राभिषेक, रुद्राभिषेक करने की विधि 

- काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग कथा – शिव पुराण

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-राजेशपाठक 

महाशिवरात्रि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 8 मार्च 2024 (शुक्रवार) को होगी। पुराणों एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस अत्यंत पावन दिन श्रद्धा-भक्ति से व्रत और शिव-पूजा करने से ग्रहों की प्रतिकूलता एवं जीवन में व्याप्त समस्या कम / समाप्त होती है, 
शिव-कृपा से इच्छित मनोकामना की पूर्ति होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन चाहे कोई भी समय हो, भगवान शिव की आराधना करना चाहिए।

महाशिवरात्रि के आठ प्रहर पर शिव भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है। शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। पूर्ण आस्था-विश्वास से महाशिवरात्रि पर किया व्रत, पाठ-पूजन निष्फल नहीं जाता। महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक विशेष रूप से किया जाता है। मंत्रोच्चारण के साथ रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति हर संकट से पार उतर जाता है। शिवरात्रि पर चारों प्रहर में विशेष पूजा होती है एवं रात्रि को जागरण करते हुए श्रद्धालु, भक्त भजन, जाप, ध्यान करते हैं।  

हर हर महादेव, जय शिव शंभू, बम भोले के जयघोष के बीच महाशिवरात्रि पर श्रद्धालु-भक्त द्वादश ज्योतिर्लिंगों सहित देश और विदेशों में स्थित शिवालयों पूजा-अर्चना, जलाभिषेक आदि अनुष्ठान होंगे।  रुद्राभिषेक, रुद्री-पाठ से वातावरण सर्वत्र शिव-मय होगा। अत्यंत पवित्र त्यौहार महाशिवरात्रि पर पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ शिव-बारात भी निकाली जाएगी।
उज्जैन में दक्षिणमुखी महाकालेश्वर, काशी विश्वनाथ मंदिर में मध्यरात्रि के बाद से ही भक्तों की लंबी कतारें दिखेंगी। प्रयागराज एवं हरिद्वार में भोर सुबह से ही लोग पवित्र डुबकी लगाएंगे। प्रसिद्ध शिव मंदिरों में शिव बारात निकाली जाएगी। गंगा, नर्मदा, कावेरी आदि पवित्र नदियों में स्नान करके भोले के भक्त- कांवर में जल लेकर भी शिवालय देवाधिदेव का जलाभिषेक करने पहुंचेंगे।

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महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च रात्रि 9: 57 बजे प्रारम्भ होगी और समापन शाम 6:17 बजे (9 मार्च) होगी। उदया तिथि के अनुसार, महाशिवरात्र 8 मार्च को ही मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि का पूजन निशिता काल में ही किया जाता है। महाशिवरात्रि की पूजा के शुभ मुहूर्त एवं अन्य योग व संयोग इस प्रकार हैं-

शिवलिंग की चार प्रहर में पूजा 
शिवरात्रि पर शिवलिंग की चार प्रहर में पूजा की जाती है, जो इस काल में होगी- 
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा-  8 मार्च सायं 06:25 से 09:28 बजे तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा- 8 मार्च रात्रि 09:28 से 9 मार्च रात्रि 12:31 बजे तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा- 9 मार्च रात्रि 12:31 से प्रातः 03:34 बजे तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा-  9 मार्च प्रातः 03:34 से 06:37 बजे तक

महाशिवरात्रि पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त (निशित काल)- 8 मार्च 2024 रात्रि 12:07 से 12:56 तक।

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रुद्राभिषेक करने की विधि (How to perform Rudrabhishek on Maha Shivratri)
- प्रातः काल उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें,
- भगवान शिव का ध्यान लगाकर व्रत संकल्प लें,
- पूजा सामग्री के लिए: जल,दूध,दही, शहद,बेलपत्र, भांग, धतूरा,धूप, दीप,फल,मिष्ठान, नैवेद्य लें।
- मन्दिर या घर पर विराजमान शिवलिंग को दूध ,दही ,घी , शहद,गंगाजल से तैयार पंचामृत से स्नान करवाएं,
- अब दूध और गंगाजल से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करते हुए ॐ नमः शिवाय का उच्चारण करें,
- रुद्राभिषेक करतें हुए महामृत्युंज मंत्र, शिव तांडव का उच्चारण करे,
- अब शिवलिंग को भस्म या चंदन का त्रिपुंड तिलक करें,
- शिवलिंग पर भांग, धतूरा , बेलपत्र ,सफेद फूल अर्पित करें,
- घी का दीपक लगाकर शिवजी की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ करें,
- भगवान शंकर को खीर ,हलवा या मालपुआ का भोग लगाएं।

इन मंत्रो से करें रुद्राभिषेक
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च 
नम: शंकराय च मयस्कराय च 
नम: शिवाय च शिवतराय च॥

ईशानः सर्वविद्यानामीश्वरः सर्वभूतानां 
ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌॥

तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः 
सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः॥

वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्‌भवाय नमः॥

नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: 
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत्।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम्॥

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम:॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत्। सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु॥

ॐ नमः शिवाय मंत्र 
का 108 बार जाप करें
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्  का  श्रद्धानुसार अथवा 108 बार जाप करें।

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महाशिवरात्रि को करें ये उपाय-
महाशिवरात्रि के पावन दिन भगवान शिव अर्द्धरात्रि में ब्रह्माजी के अंश से लिंग रूप में प्रकट हुए थे। मान्यता है, कि इसी दिन महादेव शिव का माता पार्वती से विवाह हुआ था। अतः इस दिन विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ का पूजा-अर्चन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस पावन दिन श्रद्धा-विश्वासपूर्वक आप भी अपनी मनोकामना के अनुसार निम्न उपाय कर सकते हैं- 

 महाशिवरात्रि पर घर में पारद के शिवलिंग की स्थापना योग्य ब्राह्मण / कर्मकांडी विद्वान से मार्गदर्शन लेकर करें। शिवलिंग स्थापना उपरांत प्रतिदिन पूजन करें। इससे शिव-कृपा प्राप्त होती है, सुख-शान्ति के साथ आय बढ़ने के योग बनते हैं।

 यदि अपने वैवाहिक जीवन को आनंदमय बनाना चाहते हैं, तो आप शिवलिंग पर जल अर्पित करें और बेल के तने पर थोड़ा-सा घी चढ़ाएं। साथ ही आपको शिवजी के इस मंत्र का 51 बार जप करें- ‘ऊँ शिवाय नमः ऊँ

 महाशिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाएं व 11 बार इनका जलाभिषेक करें। इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।

 जीवन में आप धन-सम्पत्ति की कामना रखते हैं, तो महाशिवरात्रि पर आप बेलफल से हवन करें। साथ ही भोलेनाथ के इस मंत्र का 21 बार जप करना चाहिए- 'ऊँ शं शिवाय शं ऊँ नमः' इसके अतिरिक्त आप मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। ऐसा करते हुए, इस अवधि में भगवान शिव का ध्यान करते रहें। इस क्रिया से धन प्राप्ति के योग बनने में अनुकूलता होती है।

 पानी में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें व 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें। इससे मन को शांति मिलेगी। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को तिल व जौ चढ़ाएं। तिल चढ़ाने से पापों का नाश व जौ चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है।

 यदि कार्यालय में अधिकारियों के साथ अच्छे रिलेशन बनाना चाहते हैं, तो आप बालू, राख, गोबर, गुड़ और मक्खन मिलाकर एक छोटा-सा शिवलिंग बनाएं एवं उसकी विधि-पूर्वक पूजा करें।  पूजा के समय आप शिवजी के इस मंत्र का जप करें- 
नमामिशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं। 
पूजा के बाद पूरा दिन सारी चीज़ों को यथास्थान पर रखा रहने दें और अगले दिन शिवलिंग समेत उपयोग की गई सारी वस्तुओं को किसी जलाशय या तालाब में प्रवाहित कर दें।

 शिवलिंग का 101 बार जलाभिषेक करें। साथ ही ॐ हौं जूं सः। ॐ भूर्भुवः स्वः। ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मुक्षीय मामृतात्। ॐ स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं हौं ॐ। मंत्र का जप करते रहें। इससे रोग ठीक होने में लाभ मिलता है।

 शिवरात्रि पर 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से 'ॐ नमः शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।

✔ राजनीति के क्षेत्र में सफलता पाना चाहते हैं, तो आज आपको दूध और घी के साथ अन्न से होम करना चाहिए । साथ ही आपको शिवजी के त्र्यम्बक मंत्र  का 11 बार जप करें-  
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

✔ यदि आप अपने घर पर आई किसी समस्या या विपत्ति को दूर करना चाहते हैं, तो आप शिव मन्दिर जाकर दीपदान करे। साथ ही शिव जी के इस मंत्र का 21 बार जप करें- 'ऊँ शं भवोद्भवाय शं ऊँ नमः'

✔ यदि आपको विवाह के लिये कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल पा रहा है, तो आप प्रातः स्नान के बाद भगवान शंकर के साथ ही माता पार्वती की भी पूजा करें और मन्दिर में नारियल चढ़ायें। साथ ही महादेव के इस मंत्र का जप करें- 
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाश वासं भजेऽहं। 
आप मन्दिर जाकर सर्वप्रथम शिवलिंग पर जलाभिषेक करें और फिर चन्दन का लेप लगाएं। साथ ही भगवान शिव के इस मंत्र का 21 बार जप करें- ‘ऊँ शं विश्वरूपाय अनादि अनामय शं ऊँ'

विवाह में आ रही अड़चन या बाधा के निवारण हेतु आप महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर केसर मिलाकर दूध चढ़ाएं। इससे शीघ्र विवाह के योग बनने में सहायक हो सकता है।
✔ अपने बच्चों के करियर को बढ़ता देखना चाहते/चाहती हैं, तो आप शिवलिंग पर एक मुट्ठी बेर चढ़ाने चढ़ाएं। साथ ही शिवजी के इस मंत्र का जप करें- ‘ऊँ क्लीं क्लीं क्लीं वृषभारूढ़ाय वामांगे गौरी कृताय क्लीं क्लीं क्लीं ऊँ नमः शिवाय
✔ यदि आप चाहते हैं, कि आपके काम सहजता से और समय रहते पूरा हो जाए, तो महाशिवरात्रि को तिल से हवन करना चाहिए और बेल के पेड़ की पूजा करें। साथ ही भगवन शिव के इस मंत्र का जप करें- ‘ऊँ शं शंकराय भवोद्भवाय शं ऊँ नमः
 महाशिवरात्रि पर गरीबों को भोजन कराएं। इससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी और पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।
 महाशिवरात्रि पर नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और जीवन में व्याप्त समास्याओं का निराकरण / अंत होगा।
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सुनें-
गायक अंकु शुक्ला (+91-7440754349) मुंबई का महाशिवरात्रि-2024 के पावन पर्व पर "भोले की बारात..." भजन 

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग कथा – शिव पुराण
सूतजी कहने लगे, हे ऋषियों ! जब भगवान ने दो में से एक होने की इच्छा जगाई, तो वे स्वयं शिव नामक सुगुण रूप बन गए, और दूसरे रूप में शक्ति बन गए। इस प्रकार उन दोनों ने आकाशवाणी को सुना कि तुम दोनों को ऐसी तपस्या करनी चाहिए जिससे एक उत्तम सृष्टि की रचना हो। तब उस पुरुष ने भगवान से पूछा कि किस स्थान पर तपस्या करनी है, इसलिए शिवजी ने आकाश में एक उत्कृष्ट नगर बनाया जो सभी आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित था।

वहा विष्णु जी ने सृष्टि की रचना की और श्रद्धाभाव से शिव जी का तप किया। तब अति परिश्रम के कारण बहोत सारी जलधारा बहने लगी और पूरा आकाश व्याप्त हो गया। वह कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था। इससे प्रभावित होकर, विष्णु जी अद्भुत लगा! और जब उन्होंने आश्चर्य से सिर हिलाया, तो उनके कान से एक मनका गिर गया। वह स्थान जहाँ यह मनका गिरा, वह मणिकर्णिका नामक एक प्रसिद्ध तीर्थ बन गया।

जब पूर्वोक्त जलराशि में पूरी नगरी डूबने लगी तब शिवजी ने अपने त्रिशूल पर पृथ्वी को धारण कर लिया। उस समय विष्णु अपनी पत्नी के साथ उसी स्थान पर सोए थे। तब विष्णु की नाभि से एक कमल उत्पन्न हुआ और इस कमल से ब्रह्माजी उत्पन्न हुए ब्रह्माजी की उत्पत्ति में भी भगवान शिवाजी की ही इच्छा थी। फिर उन्होंने शिव की आज्ञा से ब्रह्मांड की रचना शुरू की। उन्होंने ब्रह्मांड में चौदह भुवनों की रचना की। इस ब्रह्मांड के क्षेत्रफल को ऋषि-मुनियों ने पचास करोड़ योजन के रूप में दिखाया है।

फिर शिवजी ने सोचा की इस ब्रह्माण्ड मे कर्मो के बंधन से वह जीव मुझे कैसे प्राप्त करेंगे। इसलिए शिवजी ने मुक्तिदाईनी पंचक्रोशी को इस जगत में छोड़ दिया। वहां शिव ने मुक्त नाम से एक ज्योतिर्लिंग की स्थापना की। हे मुनिओ ! ब्रह्माजी के एक दिन के अंत होने पर प्रलय होता है।

उस समय पूरी जगत के नष्ट होने पर काशी क्षेत्र नष्ट नहीं होता है। प्रलय के समय नष्ट नहीं होगा काशी क्षेत्र क्योंकि शिवजी काशी विश्वनाथ क्षेत्र को उस समय अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं, और जब ब्रह्माजी द्वारा पुन: निर्माण किया जाता है, तब शिवजी उसके स्थान पर काशिक्षेत्र को फिर से स्थापित कर देते है।

काशी विश्वनाथ नगरी मनुष्य के पाप कर्मो का नाश करने वाली पवित्र नगरी है। काशी मुक्तेश्वर लिंग सदैव इस काशी क्षेत्र में विराजमान है। यह मुक्तेश्वर लिंग मुक्ति का दाता है। जिनकी सदगति नही होती, उनकी सदगति इस काशी विश्वनाथ क्षेत्र में होती है, क्यूँकि यह सदाशिव को अति प्रिय है।

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