डांस करने से दो दर्जन लाइफस्टाइल बीमारियां नहीं फटकती, भारत के प्रमुख नृत्य कलाएं

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस  

(धर्म नगरी / DN News)  
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-राजेशपाठक 

नृत्य (dance) करने से 70 से 80 प्रतिशत तक हृदय बिना और कुछ किए स्वस्थ रहता है। मेडिकल के अनुसार, डांस करने से-
✔ दो दर्जन लाइफस्टाइल बीमारियां जैसे चिंता, डिप्रेशन, हाईपरटेंशन और एंजाइटी आपके पास नहीं फटकतीं,
✔ आत्मविश्वास में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी होती है। यह आपकी संज्ञानात्मक मेधा में वृद्धि करता है,
✔ शरीर में एक लयात्मकता आती है और भरपूर लचीलापन न केवल शारीरिक अंगों में बल्कि स्वभाव और संवेदना में भी दिखता है,
✔ नियमित डांस करने वाले लोगों का शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य तो बेहतर होता ही है, उन्हें कभी ऑस्टियोपोरेसिस का खतरा नहीं रहता।

समाजशास्त्रियों से मनोचिकित्सकों तक, हृदय रोग विषेषज्ञों से लेकर सामान्य लोगों तक का मानना है कि नृत्य हमारे फिट रहने का सबसे आसान और सरस तरीका है। यही जागरूकता लाने के लिए हर साल नृत्य 29 अप्रैल को "अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस" या 
"विश्व नृत्य दिवस" (इंटरनेशनल डांस डे) मनाया जाता है। यह दिन आधुनिक बैले डांस के के जनक जीन-जॉर्जेस नोवरे का जन्मदिन है। सन 1727 को नोवरे इसी दिन पैदा हुए। इस दिन जीन जॉर्ज नावेरे ने 1760 में 'लेटर्स ऑन द डांस' नाम की एक किताब लिखी। जॉर्ज एक फ्रेंच डांसर थे और बैले डांस में पारंगत थे। उनकी किताब में डांस की कई बारीकियों पर बात की गई थी। इसके बाद उन्होंने एक और किताब- "लेट्स मीट द बैले" लिखीं, जिसमें बैले के बारे में बहुत कुछ बताया गया था। इसलिए 1982 से इस दिन को "विश्व नृत्य दिवस" के रूप में मनाया जाता है। 

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हर साल नृत्य दिवस की एक थीम होती है और उस थीम का एक सांकेतिक महत्व होता है। जैसे 2023 में अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस की थीम थी- नृत्य दुनिया के साथ संवाद करने का एक तरीका। जबकि इस साल नृत्य दिवस की थीम है- "थियेटर और शांति की संस्कृति" यानी साल 2024 के नृत्य दिवस की थीम विश्व रंगमंच को समर्पित है।

कुछ ऐसे डांसर हैं, जिन्होंने अपने हुनर से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए, उनमें ओडिशी नृत्य के लिए गुरु केलुचरण महापात्रा, कुचिपुड़ी और भरतनाट्यम के लिए मल्लिका साराभाई और रुक्मिणी देवी अरुंडेल और कत्थक के लिए पंडित बिरजू महाराज (बृज मोहन मिश्रा) बहुत प्रसिद्ध रहे हैं। सोनल मानसिंह कई शास्त्रीय नृत्यों में पारंगत हैं, जिनमें भरतनाट्यम, कुचीपुड़ी और छऊ शामिल हैं। यामिनि कृष्णमूर्ति भी कुचिपुड़ी और भरतनाट्यम की प्रसिद्ध भारतीय नृत्यांगना हैं।
मल्लिका साराभाई
पंडित बिरजू महाराज
सोनल मानसिंह
यामिनि कृष्णमूर्ति 

नृत्य अपने आपमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। इसलिए इसका महत्व केवल इस दृष्टि से भी बहुत अधिक होता है। हालाकि नृत्य की अपनी एक सामाजिक दुनिया भी है और वह कम प्रभावशाली या कम महत्व की नहीं है, परन्तु अधिकांश लोगों के लिए नृत्य के सर्वाधिक लाभ शारीरिक और मानसिक ही होते हैं।

यह अलग बात है, कि वर्तमान समय में नृत्य एक बड़ा कारोबार और कई रचनात्मक कलाओं का केंद्र है। जितने भी परफोर्मिंग आर्ट हैं, नृत्य उन सबका नाभि बिंदु है। अमरीकी हृदय स्वास्थ्य विशेषज्ञ नृत्य को मांसपेशियों की ताकत, भावनात्मक सहन शक्ति और फिटनेस की अपार संभावनाओं वाला केंद्र मानते हैं। 
वैश्विक स्तर पर मनाया जाने वाला यह दिवस, नृत्य कला और उसके कलाकारों का सम्मान करने का एक विशेष अवसर है। यह दिवस नृत्य कला के महत्व को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करने, विभिन्न संस्कृतियों में नृत्य की भूमिका का जश्न मनाने, नृत्य कला के प्रति प्रशंसा व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। 

इस दिन कई नृत्य संबंधित कार्यक्रम होते हैं जिनमें कलाकारों का प्रदर्शन, नृत्य संवाद, और व्याख्यान शामिल होते हैं। इस दिन को विशेष रूप से नृत्य कला के महत्व को जागरूक करने और लोगों को नृत्य कला की महत्ता को समझाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न नृत्य संबंधित कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जो नृत्य कला को गौरवान्वित करते हैं। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को मनाने से नृत्य कला के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ती है और इसके साथ ही लोगों को नृत्य कला की ओर अग्रसर किया जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का महत्व नृत्य कला के सामाजिक, सांस्कृतिक, और मानवता के लिए बहुत अधिक है। यह एक महत्वपूर्ण दिन है जो नृत्य कला के महत्व को प्रस्तुत करता है और इसे समर्थन करता है। नृत्य कला के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद को बढ़ावा मिलता है, जिससे समृद्धि और एकता का वातावरण बनता है। इस दिन के माध्यम से नृत्य कला के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ती है और नृत्य कला को उच्चतम स्तर पर मान्यता दी जाती है।

International Dance Day, also called World Dance Day, is a worldwide celebration that pays tribute to the art form of dance and promotes its various forms as a universal value. The day also aims to raise awareness about the inherent value of dance and empower the dance community to showcase their work to a wider audience.

The idea of this day was conceived by the Dance Committee of the International Theatre Institute (ITI), an essential partner of UNESCO in the area of performing arts. Every year, the committee selects a renowned choreographer or dancer to deliver a special message to the global dance community, highlighting the significance of dance and its ability to connect people worldwide.

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस, नृत्य के जादूगर जीन जॉर्जेस नोवेरे को समर्पित है। यह दिन 29 अप्रैल 1982 से शुरू होता है। 1982 में, यूनेस्को के इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (ITI) की अंतर्राष्ट्रीय नृत्य समिति ने नोवेरे के जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस घोषित किया। बता दें फ्रांसीसी बैले मास्टर जीन-जॉर्जेस नोवेरे का को “बैले के पिता” के रूप में जाना जाता है। इस दिन के आयोजन से नृत्य कला को उच्च स्तर पर मान्यता मिली है और अब यह एक सार्वजनिक मंच बन चुका है और हर साल दुनियाभर में धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि नोवेरे, न केवल एक महान नर्तक थे, बल्कि उन्होंने “लेटर्स ऑन द डांस” नामक एक प्रसिद्ध पुस्तक भी लिखी थी जिसमें नृत्य कला से जुड़ी सभी चीज़ें मौजूद हैं।

Commemorating the birthday of Jean-Georges Noverre, the father of modern ballet, this day was first founded in 1982 by the Dance Committee of the International Theatre Institute (ITI), in collaboration with UNESCO Performing Arts, with an idea to celebrate the beauty and diversity of dance and recognise its ability to transcend cultural barriers and bring people together.

Since then, it has evolved into a worldwide celebration since its inception, with dance communities, schools, companies, and organizations around the world hosting events. These events usually involve performances, workshops, dance festivals, lectures, and other activities that aim to promote awareness of dance as an art form and its cultural importance.

Health benefits of dancing
Dancing can be a way to stay fit for people of all ages, shapes and sizes. It has a wide range of physical and mental benefits including-
⦁ It improves condition of your heart and lungs
⦁ increases muscular strength, endurance and motor fitness
⦁ increases aerobic fitness
⦁ improves muscle tone and strength
⦁ weight management
⦁ stronger bones and reduced risk of osteoporosis
⦁ better coordination, agility and flexibility
⦁ improved balance and spatial awareness
⦁ increases physical confidence
⦁ improves mental functioning
⦁ improves better social skills develop.

⦁ डांस करने से मोटापा (फैट) तेजी से कम होने लगता है। अगर आप वजन कम करने के विभिन्न करके थक गए हैं, तो एक बार डांस ट्राई करके देखें। जुंबा, बैले, क्लासिकल, हिप हॉप हर तरह के डांस से मोटापा कम होता है।

⦁ डांस करने से बॉडी की फ्लेक्सिबिलिटी भी बढ़ती है और हड्डियां मजबूत होती हैं।

⦁ डांस करने से आप एनर्जेटिक फील करते हैं, थकान की समस्या दूर होती है।

⦁ डांस करने से शरीर के साथ ब्रेन भी एक्टिव और हेल्दी रहता है। इससे याद्दाश्त दुरुस्त रहती है और कुछ स्टडी में ये भी बताया गया है कि डांस से डिमेंशिया के लक्षणों को भी कम किया जा सकता है।

⦁ डांस करने से शरीर में रक्त का प्रवाह (ब्लड सर्कुलेशन) सुधरता है, जो शरीर के कई अंगों को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक  है। यहां तक डांस तनाव दूर करने का भी अत्यंत प्रभावी माध्यम है। डिप्रेशन से निपटने में डांस थेरेपी बहुत प्रभावी है।

⦁ डांस करने से शरीर में थकावट पैदा होती है जिससे नींद अच्‍छी आती है। ऐसे में अगर आप अनिद्रा से जूझ रहे हैं, तो इसके लिए दवाइयों का नहीं, अपितु डांस का सहारा लें।

How do we celebrate world dance day ?
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। इस दिन कई स्कूल, कॉलेज, नृत्य शालाएं और संगठन नृत्य संबंधित कार्यक्रम आयोजित करते हैं। विभिन्न स्थानों पर नृत्य प्रदर्शन, संवाद और नृत्य संबंधित व्याख्यान भी आयोजित किए जाते हैं। इस दिन कलाकारों का प्रदर्शन, नृत्य कार्यशालाएं और कला संगठनों द्वारा आयोजित किए जाने वाले प्रतियोगिताओं में लोग भाग लेते हैं।

भारत के प्रमुख नृत्य
भारत के प्रमुख नृत्य कलाएं उसकी सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन नृत्य कलाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति, परंपरा, और विरासत का समृद्ध विवर्ण प्रदर्शित होता है। इन नृत्य कलाओं के माध्यम से हम अपनी विरासत को समझते हैं और उसे आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं।

Dance has always been a part of human culture, rituals and celebrations. Today, most dancing is about recreation and self-expression, although it can also be done as a competitive activity.

Dancing is an enjoyable way to be more physically active and stay fit.

भारत के प्रमुख नृत्य कलाएं 
भरतनाट्यम : भरतनाट्यम, भारत का एक प्राचीन और सम्मानित शास्त्रीय नृत्य है, जिसकी उत्पत्ति तमिलनाडु में हुई थी। यह नृत्य अपनी जटिल भावों, लयबद्ध तालमेल और आकर्षक संगीत के लिए जाना जाता है। पूरे विश्व में लोकप्रिय यह पारंपरिक नृत्य दया, पवित्रता व कोमलता के लिए जाना जाता है।

Another form Kathakali comes from southwestern India, around the state of Kerala. Like bharatanatyam, kathakali is a religious dance. It draws inspiration from the Ramayana and stories from Shaiva traditions. Kathakali is traditionally performed by boys and men, even for female roles. The costumes and makeup are especially elaborate, with faces made to look like painted masks and enormous headdresses.

लावणी : लावणी, भारत के पश्चिम में स्थित महाराष्ट्र राज्य का एक लोकप्रिय नृत्य है जो अपनी आकर्षक धुनों, ऊर्जा, लय और भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए प्रसिद्ध है। लावणी की उत्पत्ति 18वीं शताब्दी के आसपास हुई थी। माना जाता है कि यह ग्रामीण इलाकों में शुरू हुआ था और धीरे-धीरे शहरों में लोकप्रिय हो गया। लावणी शब्द “लावण्य” से आया है, जिसका अर्थ है सुंदरता। यह नृत्य महिलाओं की सुंदरता को दर्शाता है।

Odissi Odissi is indigenous to Orissa in eastern India. It is predominantly a dance for women, with postures that replicate those found in temple sculptures. Based on archaeological findings, odissi is belived to be the oldest of the surviving Indian classical dances. Odissi is a very complex and expressive dance, with over fifty mudras (symbolic hand gestures) commonly used.

भांगड़ा : पंजाब का एक लोकप्रिय नृत्य है, जो अपनी ऊर्जावान धुनों, समूह नृत्य के लिए प्रसिद्ध है। यह नृत्य फसल कटाई के मौसम से जुड़ा हुआ है और इसे पारंपरिक रूप से पुरुषों द्वारा किया जाता था, हालांकि अब महिलाएं भी इसमें भाग लेती हैं।

A dance of northern India, Kathak is often a dance of love. It is performed by both men and women. The movements include intricate footwork accented by bells worn around the ankles and stylized gestures adapted from normal body language. It was originated by Kathakas, professional storytellers who used a mixture of dance, song, and drama. Like other Indian dances it began as a temple dance, but soon moved into the courts of ruling houses.

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