शीघ्र विवाह, वैवाहिक जीवन में आनंद व वृहस्पति की अनुकूलता पाने करें कात्यायनी की पूजा-अर्चना
कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्द गोप सुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।
धर्म नगरी / DN News
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आदिशक्ति देवी दुर्गा की छठवीं शक्ति माँ कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। माता की पूजा षष्ठी (छठें दिन) रविवार 14 अप्रैल 2024 को की पूजा की जाएगी। शीघ्र विवाह, वैवाहिक जीवन में आनंद और दुश्मनों पर विजय पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा अचूक मानी जाती है। माँ कात्यायनी पूरे ब्रजमंडल की अधिष्ठदात्री देवी हैं। इनके आशीर्वाद से भक्त को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
कृपया देखें / सुनें माँ कात्यायनी की महिमा
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https://www.youtube.com/watch?v=Kbx0GSk54zc&t=6s
माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने नवरात्रि के समय को सर्वोत्तम एवं पवित्र माना जाता है. नवरात्रि के इन 9 दिनों में जो भक्त पूरे श्रद्धाभाव से मां के नौ रूपों की पूजा करता है, उसे चारों पुरुषार्थ यानी धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन की अधिष्ठात्री देवी मां कात्यायनी को समर्पित है।
नवरात्रि में प्रतिदिन उपासना करने के बाद छठे दिन व्यक्ति का मन आज्ञा चक्र में स्थित हो जाता है। उसमें अनंत शक्तियों का वास होता है। देवी की उपासना से भक्त को सारे सुख प्राप्त होते हैं। साथ ही घर में दुख, दरिद्रता और पापों का नाश हो जाता है।
माँ कात्यायनी का स्वरूप
माँ कात्यायनी का स्वरूप दिव्य और भव्य है. इनका शुभ वर्ण हैं और स्वर्ण आभा से मण्डित हैं. इनकी चार भुजाओं में से दाहिने तरफ का ऊपरवाला हाथ अभय मुद्रा में और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. बाएं हाथ में ऊपर कर हाथ में तलवार और निचले हाथ में कमल है. इनका वाहन सिंह है। माँ कात्यायनी सम्पूर्ण ब्रज की अधिष्ठात्री थीं। चीर हरण के समय राधा रानी और अन्य गोपियां इन्हीं माता की पूजा करने गई थीं। कात्यायनी माता का वर्णन भागवत पुराण 10.22.1 में भी मिलता है।
देवी पुराण के अनुसार नवरात्रि के 6वें दिन कन्याओं का भोज करवाना चाहिए. इसके अलावा, महिलाएं इस दिन स्लेटी यानी ग्रे रंग के कपड़े या साड़ियां पहनती हैं।
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माँ कात्यायनी की पूजा विधि
नवरात्रि के छठें दिन सबसे पहले अपने हाथ में एक कमल का फूल लेकर मां कात्यायनी का ध्यान करें. इसके बाद मां कात्यायनी का पंचोपचार से पूजा कर, उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें. इसके बाद उनके सामने घी या कपूर जलाकर आरती करें। अंत में मां के मन्त्रों का उच्चारण करें. इस दिन मां कात्यायनी की पूजा में सफेद या पीले रंग का प्रयोग कर सकते हैं. मां कात्यायनी शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. शत्रुओं पर विजय पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की जाती है और देवी स्वयं नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी हैं।
माँ कात्यायनी का भोग
माता की पूजा में देवी को शहद या शहद से बने हलवे का भोग लगाएं। धार्मिक मान्यतानुसार, इससे सौंदर्य में निखार आता है. वैवाहिक जीवन में मिठास आती है, धन-संपत्ति में क्रमशः वृद्धि होती है।
मां कात्यायनी मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा, ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा॥
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा, ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा॥
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः॥
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूल वर वाहना।
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूल वर वाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
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