चैत्र नवरात्रि : श्रीदेवी भागवत, स्कंद पुराण में है कन्या- पूजन का उल्लेख, आयु के अनुरूप...


कन्या में माता का स्वरूप, कन्या पूजन-विधि
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नवरात्र में कन्या-पूजन का बड़ा एवं विशेष महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्तों का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्याओं का भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्रा से ही माँ दुर्गा की आशीर्वाद मिलता है, माता प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को अपनी कृपा प्रदान करती है, मन वांछित वरदान देती हैं।

प्रतिदिन कन्या पूजन
प्रतिदिन कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है। श्रीदेवी भागवत पुराण के अनुसार- 
एकैकां पूजयेत् कन्यामेकवृद्ध्या तथैव च।
द्विगुणं  त्रिगुणं  वापि प्रत्येकं नवकन्तु वा॥

अर्थात, नित्य ही एक कुमारी का पूजन करें अथवा प्रतिदिन एक-एक-कुमारी की संख्या के वृद्धिक्रम से पूजन करें अथवा प्रतिदिन दुगुने-तिगुने के वृद्धिक्रम से और / या तो प्रत्येक दिन नौ कुमारी कन्याओं का पूजन करें।

कन्याओं की आयु 
स्कंद पुराण में कुमारियों के बारे में बताया गया है, कि दो वर्ष की कन्या को कुमारिका कहते हैं, तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहते हैं। इसी प्रकार क्रमश: कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शांभवी, दुर्गा, सुभद्रा आदि वर्गीकरण भी किये गये हैं।

यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि पर्यन्त प्रतिदिन पूजा करने में असमर्थ हैं तो उसे अष्टमी तिथि को विशेष रूप से अवश्य पूजा करनी चाहिए। प्राचीन काल में दक्ष के यज्ञ का विध्वंश करने वाली महाभयानक भगवती भद्रकाली सहित करोड़ों योगिनियों सहित अष्टमी तिथि को ही प्रकट हुई थीं।


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कन्या पूजन-विधि
➤ कन्या पूजन करने सबसे पहले आप प्रात काल उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर मां का उपवास रखकर प्रसाद बनाएं।
➤ माता को भोग लगाने के लिए खीर, पूरी और हलवा जैसे मीठे पकवान बनाएं।
➤ अब बनाए गए पकवान से माता को भोग लगाएं।
➤ अब कन्या को आमंत्रित कर उन्हें घर बुलाएं। गृह प्रवेश पर कन्याओ का पूरे परिवार के सदस्य फूल वर्षा से स्वागत करे और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाए। 
➤ अब कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर इन सभी के पैरों को बारी- बारी दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए। पैर छूकर आशीष लेना चाहिए। 
➤ सभी कन्याओं के माथे पर रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद उनके हाथ में मौली बांधें। अब सभी कन्‍याओं और बालक को घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती करें। आरती के बाद सभी कन्‍याओं को भोग लगाएं।
➤ माता को भोग लगाया हुआ भोजन अब उन सभी कन्याओं को खिलाएं।
➤ यदि आपके पास कोई छोटा बालक हो, तो उसे भी भोजन जरूर कराएं। ध्यान रहे, कन्या पूजन में बालक को खिलाने से माता बहुत प्रसन्न होती हैं।
➤ बालक को भैरव का स्वरूप माना जाता है।
➤  कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें विदा करते समय अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा में पैसा, अनाज और वस्त्र किसी पात्र या चुन्नी में बांधकर दक्षिण दिशा की तरफ होकर दें।

ध्यान रहे दक्षिणा देने के बाद सभी कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। माता के चले जाने के बाद ही स्वयं भोजन ग्रहण करें। ऐसा करने से मां जगदंबे बहुत प्रसन्न होती हैं।

नवरात्रि व्रत की पूजा विधि-
नवरात्रि के दिनों में बहुत से लोग आठ दिनों- प्रतिपदा से अष्टमी तक व्रत रखते हैं एवं केवल फलाहार पर रहते हैं। फलाहार का अर्थ है, फल एवं और कुछ अन्य विशिष्ट सब्जियों से बना भोजन। फलाहार में सेंधा नमक का प्रयोग होता है। नौवें दिन भगवान राम के जन्म की रस्म और पूजा (राम नवमी) के बाद ही उपवास खोला जाता है। जो लोग आठ दिनों तक व्रत नहीं रखते, वे पहले और आख़िरी दिन उपवास रख लेते हैं। व्रत रखने वाले भूमि पर सोते हैं।

नवरात्रि व्रत में अन्न खाना निषेध है। सिंघाड़े के आटे की लप्सी, सूखे मेवे, कुटु के आटे की पूरी, समां के चावल की खीर, आलू, आलू का हलवा भी लें सकते हैं। इसके अलावा दूध, दही, घीया इन चीजों का फलाहार करना चाहिए। सेंधा नमक तथा काली मिर्च का प्रयोग करना चाहिए। दोपहर को (चाहें तो) फल भी ले सकते हैं।

कन्या पूजन को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, संतान नहीं होने की बात से दुखी पंडित श्रीधर ने कन्याओं को भोजन पर आमंत्रित किया। श्रीधर ने बड़ी ही श्रद्धा से कुमारियों को भोजन करवाया। जब श्रीधर कन्याओं को भोजन करवा रहे थे तब स्वयं मां वैष्णो देवी कन्या के रूप में आकर बैठ गई, जो श्रीधर की श्रद्धा व भक्ति देखकर काफी प्रसन्न हुईं। माता ने श्रीधर से पूरे गांव में भंडारा कराने की बात कही। जिस पर श्रीधर ने गांव में भंडारे का आयोजन करवाया। इसके बाद श्रीधर के घर एक कन्या ने जन्म लिया। मान्यता है कि तब से ही नवरात्रि में व्रत पारण के दिन कन्या पूजन व भोजन की परंपरा शुरू हुई।

माँ भगवती के मंत्र (लाल रंग में छपे मंत्रों का विशेष महत्व होता है, अतः आप मंत्र को यहाँ अपने मोबाइल या कंप्यूटर को देखकर जप कर सकते हैं)

सुनें श्री दुर्गा चालीसा-
Disclaimer- उक्त लेख जानकारियां और सूचना ज्योतिर्विदों एवं पुस्तकों से साभार लिया गया हैइनको करने से पूर्व कर्मकांडी ब्राह्मण या विद्वान से संपर्क करें। 
 
नवरात्रि पर विशेष आग्रह- ब्राह्मण या वैदिक विद्वान से किसी भी पूजा-पाठ के लिए यथासंभव सम्मानपूर्वक दक्षिणा देकर संतुष्ट करें, क्योंकि उसने कर्मकांड की शिक्षा ली है, आपके पूजा-पाठ के लिए समय-ऊर्जा दे रहा है, यह उसकी आजीविका है या परिवार के भरण-पोषण का माध्यम भी है -रा.पाठक 6261868110
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नवरात्रि में राशि अनुसार करें दान
चैत्र नवरात्रि में प्रायः श्रद्धालु-भक्त अखंड ज्योत जलाने के साथ व्रत भी रखते हैं। वहीं, नवरात्रि में माता दुर्गा को राशि के अनुसार चीजें अर्पण करते हैं, तो उनकी कृपा प्राप्त होती है, बिगड़े काम बनते है, सुख-समृद्धि का वास होता है। श्रद्धा-भक्तिपूर्वक अष्टमी तिथि के दिन राशि के अनुसार माता दुर्गा को अर्पण कर उस वस्तु को गरीबों या किसी अभावग्रस्त लोगों में दान करते हैं, तो माता की कृपा से सुख-समृद्धि मिलती है, मनोकामना पूर्ण होता है। राशि के वस्तु का दान करें- 

- मेष- माता दुर्गा को लाल चुनरी अर्पण करें और वह लाल चुनरी कुंवारी कन्याओं को दान भी कर सकते हैं.
- वृषभ- माँ दुर्गा को सफेद वस्त्र अर्पण कर निर्धन या अभावग्रस्त लोगों में दान करें.
- मिथुन- माता दुर्गा के सामने गेहूं रखकर पूजा करें. समाप्ति के बाद गेहूं को गरीबों में दान करें
- कर्क- माता दुर्गा को गुड़ की मिठाई अर्पण कर दान करें.
- सिंह- माता दुर्गा को गुलाबी रंग के वस्त्र अर्पण कर फिर दान करें.
- कन्या- मसूर दाल माता दुर्गा को अर्पण करें, पूजा समाप्ति के बाद किसी निर्धनों में दान करें.
- तुला- माता दुर्गा को सफेद वस्त्र अर्पण करें और फिर किसी निर्धनों में दान करें.
- वृश्चिक- अनार का फल माता दुर्गा को अर्पण करें और अभावग्रस्त लोगों में दान करें.
- धनु- माता दुर्गा को पीला पुष्प या पीला वस्त्र अर्पण करें और निर्धनों में दान करें.
- मकर- माता दुर्गा को नीला रंग का वस्त्र अर्पण करें और निर्धनों या अभावग्रस्त लोगों में दान करें.
- कुंभ- केले का फल माता दुर्गा को अर्पण करें और निर्धनों में दान करें
- मीन- माता दुर्गा को खीर या मालपुआ अर्पण करें और किसी अभावग्रस्त में दान करें। 

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