ज्येष्ठ माह या जेठ का महीना : मास में क्या करें, क्या नहीं, करें विशेष उपाय, राशि अनुसार करें दान
ज्येष्ठ माह के व्रत व त्यौहार
हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ मास हिन्दू वर्ष का तीसरा माह है, जो (ग्रेगोरियन कैलेंडर में) मई और जून में पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह में हनुमानजी, सूर्य देव और वरुण देव की विशेष पूजा की जाती है। वरुण जल के देवता हैं, सूर्य देव अग्नि के और हनुमान जी कलयुग के देवता माने जाते हैं। इस पवित्र महीने में पूजा-पाठ और दान-धर्म करने से कई प्रकार के ग्रह-दोष से मुक्ति मिलती है।
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प्रत्येक सनातन हिन्दू माह की कोई एक विशेषता होती है, सभी की कोई न कोई महत्व रखते हैं। जीवन में आने वाले उतार-चढा़वों में ये सभी माह कोई न कोई महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते ही हैं। मौसम में होने वाले परिवर्तन भी इन सभी 12 माह में देखा जा सकता है।
ज्येष्ठ माह को सबसे गर्म माह की श्रेणी में रखा जाता है। इसे सामान्य बोल-चाल की भाषा में जेठ का महीना भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है बड़ा। इस महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है और सूरज की किरणें लोगों के पसीने छुड़ाती है। इस महीने सूर्यदेव अपने रौद्र रूप में होते हैं। इसलिए ज्येष्ठ का महीना सबसे अधिक गर्म एवं संकट भरा होता है। सनातन धर्म में ज्येष्ठ माह में जल के बचाव पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इसलिए इस महीने में जल का बहुत अधिक महत्व बताया गया है।
ज्येष्ठ माह में विशेष रुप से गंगा नदी में स्नान और पूजन करने का विधि-विधान है. इस माह में आने वाले पर्वों में गंगा दशहरा और इस माह में आने वाली ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी और निर्जला एकादशी प्रमुख पर्व है। गंगा नदी का एक अन्य नाम ज्येष्ठा भी है. गंगा को गुणों के आधार पर सभी नदियों में सबसे उच्च स्थान दिया गया है।
ज्येष्ठ मास में राशि अनुसार करें दान
सिंह
सिंह राशि के जातक ज्येष्ठ माह की रात जल में केसर मिलाकर मां लक्ष्मी का अभिषेक करें। मान्यतानुसार, इससे बिगड़े काम बन जाते हैं और शत्रु व विरोधी आप पर हावी नहीं होंगे।
कन्या
कन्या राशि के जातकों को इलायची को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए, जो आपके लिए शुभ रहेगा। रात में देवी लक्ष्मी को सिंघाड़े और नारियल का भोग लगाएं। इससे ऋण कर्ज की समस्या दूर होती है।
तुला
घर में तुला राशि वाले जातकों खीर का प्रसाद देवी लक्ष्मी को चढ़ाकर इसे सात कन्याओं में बांट देना चाहिए। ये उपाय नौकरी में चल रही समस्याओं को खत्म करने में सहायक होगा। साथ ही, इस उपाय से आय में वृद्धि के योग बनते हैं।
वृश्चिक
वृश्चिक राशि के लोगों को ज्येष्ठ मास पर्यन्त श्री विष्णु सहस्त्रनाम या फिर रात में माता लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे यश, कीर्ति और ऐश्वर्य प्राप्ति होती है।
धनु
इस महीने के दौरान कच्चे सूत के हल्दी में रंगकर बरगद के पेड़ पर लपेटें। 11 बार परिक्रमा करें और इस मंत्र का जाप करें-
कुंभ
कुंभ राशि के जातक काले तिल को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए। बाद में तेल में सिकी पूड़ियां गरीबों में बांटना चाहिए। इससे मानसिक, शारीरिक और आर्थिक संकट दूर होता है।
मीन
ज्येष्ठ मास में मीन राशि के जातकों को आम के फल का दान करना चाहिए, राहगीरों को पानी भी पिलाना चाहिए। इससे वास्तु दोष से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति व सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
वट-सावित्री व्रत
ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रुप में मनाया जाता है. ये व्रत सौभाग्य की वृद्धि करने वाला होता है। वट के वृक्ष को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। इस वृक्ष पर ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास माना गया है। इसी के समक्ष सावित्री और सत्यवान की कथा का श्रवण किया जाता है और पूजन, व्रत कथा श्रवण आदि के पश्चात व्रत संपन्न होता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा
ज्येष्ठ माह कि पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. इस दिन प्रात:काल समय पर पवित्र नदी या घर पर ही स्नान करने के पश्चात पूजा-पाठ किया जाता है. ब्राह्मण को भोजन कराना, गरीबों को दान करना और सत्यनारायण कथा श्रवण करना मुख्य कार्य होते हैं ये सभी इस पूर्णिमा के दिन किए जाने पर व्यक्ति के शुभ कर्मों में वृद्धि होती है. पौराणिक मान्यताओं अनुसार भी यह माह बहुत गर्म माह होता है ऐसे में इस माह में पूर्णिमा के दिन जल का दान अत्यंत उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है. इस दान के अलावा गरीबों को खाना खिलाने और वस्त्र इत्यादि वस्तुओं का दान देने का भी अक्षय फल मिलता है. ज्येष्ठ पूर्णमा के दिन संत कबीर का भी जन्म दिवस मनाया जाता है।
ज्येष्ठ में जन्मे व्यक्ति स्वभाव
ज्येष्ठ माह में जन्मे जातक के विषय में ज्योतिष ग्रंथों में बहुत सी बातें कहीं गई हैं. जैसे कि जिस व्यक्ति का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो, उस व्यक्ति को परदेश में रहना पडता है. उसे विदेश से लाभ मिल सकता है. अपने घर से दूर रहने की प्रवृत्ति भी देखी जा सकती है. ऎसा व्यक्ति शुद्ध विचार युक्त होता है. उसके मन में किसी के लिए किसी प्रकार का कोई बैर-भाव नहीं रहता है. इस योग से युक्त व्यक्ति धन से समृद्ध होता है. उसकी आयु दीर्घ होती है. बुद्धि को उतम कार्यों में लगाने की प्रवृति उसमें होती है।
जातक में गंभीरता होती है। वह क्रोध और कुछ हठ (जिद) अधिक करने वाला हो सकता है। परिश्रम से भाग्य का निर्माण करने वाला एवं जीवन के संघर्षों के प्रति जागरुक भी होता है। वह प्रयास करता है, कि अपने प्रयासों से दूसरों के लिए और स्वयं के लिए कुछ श्रेष्ठ हो सके।
विशेष- ज्येष्ठ माह के बारे धर्म-ग्रंथों में भी विशेष रुप से बहुत कुछ लिखा है। भारतीय सभ्यता के हर चीज के पीछे कोई न कोई महत्वपूर्ण बात छुपी हुई है। जो भी नियम आदि बताया गया है, उसके पिछ एक मजबूत तर्क का आधार भी रहता है। ऐसे में इस माह में गर्मी अपने चरम पर होती है और इस कारण पानी के महत्व को इस माह से जोड़ा गया है। इसी समय पर प्यासों को पानी पिलाने की और सेवा भाव की भावना पर बल दिया गया है।
ज्येष्ठ मास के विशेष दिन / पर्व
25 मई- नारद जयन्ती (वीणा दान), रोहिणी तपन काल (नौतपा) आरम्भ।
26 मई- संकष्ट चतुर्थी / एकदन्त व्रत।
ज्येष्ठ माह को सबसे गर्म माह की श्रेणी में रखा जाता है। इसे सामान्य बोल-चाल की भाषा में जेठ का महीना भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है बड़ा। इस महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है और सूरज की किरणें लोगों के पसीने छुड़ाती है। इस महीने सूर्यदेव अपने रौद्र रूप में होते हैं। इसलिए ज्येष्ठ का महीना सबसे अधिक गर्म एवं संकट भरा होता है। सनातन धर्म में ज्येष्ठ माह में जल के बचाव पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इसलिए इस महीने में जल का बहुत अधिक महत्व बताया गया है।
ज्येष्ठ महीने में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे व्रत रखे जाते हैं, जो प्रकृति में जल को बचाने का संदेश देते हैं। गंगा दशहरा में पवित्र नदियों की पूजा- अर्चना और निर्जला एकादशी में बिना पानी पिए रखा जाता है। सर्वाधिक गर्म महीना होने के कारण इस माह में सबसे अधिक ऎसी वस्तुओं के दान की बात कही जाती है जो ठंडक और छाया देने वाली होती हैं, जैसे- छाता, पंखा, पानी इत्यादि वस्तुओं का दान देने की आवश्यकता होती है।
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ज्येष्ठ मास में क्या करें
✔ ज्येष्ठ के महीने में ठंडे रसीले फलों को दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। अभावग्रस्त लोगों में खरबूज, तरबूज और आम के फल बांटें,
✔ इस माह पंखा और मिट्टी का घड़ा दान करने से आपको विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है,
✔ ज्येष्ठ के महीने में गरीब लोगों के बीच में छाता और वस्त्रों का दान करना चाहिए।
✔ इस माह भगवान विष्णु का मानसिक जप करने का विशेष लाभ होता है।
✔ इस महीने में कुछ लोग शर्बत बांटने, प्याऊ के लगाने का काम करते हैं। ऐसा करने से आपके पूर्वज भी प्रसन्न होते हैं।
ज्येष्ठ मास में क्या न करें
➤ ज्येष्ठ के महीने में बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण हैं। धार्मिक कारणों से इसे अशुद्ध माना जाता है, जबकि वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार, इस महीने में बैंगन में कीड़े पड़ जाते हैं,
➤ ज्येष्ठ के महीने में घर के ज्येष्ठ पुत्र और पुत्री का विवाह नहीं करना चाहिए, क्योंकि (ऐसी प्रचलित मान्यता है) इसको करने से वैवाहिक जीवन सुखद नहीं होता,
➤ ज्येष्ठ मास में मांस-मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें।
जेठ माह में राशि अनुसार उपाय करने से साधक को दोगुना फल की प्राप्ति होती। साथ ही, सुख-समृद्धि में वृद्धि के योग बनते हैं-
मेष
ज्येष्ठ महीने में शुक्रवार के दिन लाल कपड़े में एक मुठ्ठी अलसी, हल्दी की गांठ के साथ बांधकर इसे तिजोरी में रख दें। मान्यतानुसार, इससे धन प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। परन्तु, स्मरण रहे, प्रत्येक शुक्रवार को अलसी का बीज बदलना है।
वृषभ
वृषभ राशि वाले ज्येष्ठ महीने के दौरान शंखपुष्पी पौधे की जड़ को गंगाजल से धोकर इस पर केसर का तिलक करें। इसके बाद तिजोरी में या जहां पैसा रखते हैं वहां रख दें। ऐसा करने से व्यापार दोगुनी रफ्तार से बढ़ेगा और आर्थिक स्थिति में स्थिरता देखने को मिलेगी।
मिथुन
इस माह में जल में गन्ने का रस मिलाकर स्नान करें। फिर पीपल के पेड़ में कच्चा दूध और जल चढ़ाना चाहिए। इससे सौभाग्य प्राप्ति होती है। इसके अलावा, बच्चे की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। यदि बच्चों को बोलने में समस्या है, तो उनकी वाणी में निखार आता है।
कर्क
ज्येष्ठ महीने में कर्क राशि के जातक घर में सत्यनारायण की पूजा कराएं, फिर हवन करके परिवार सुख-समृद्धि हेतु प्रार्थना करें। इससे बीमारियों से सुधार होगा, परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
ज्येष्ठ महीने में शुक्रवार के दिन लाल कपड़े में एक मुठ्ठी अलसी, हल्दी की गांठ के साथ बांधकर इसे तिजोरी में रख दें। मान्यतानुसार, इससे धन प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। परन्तु, स्मरण रहे, प्रत्येक शुक्रवार को अलसी का बीज बदलना है।
वृषभ
वृषभ राशि वाले ज्येष्ठ महीने के दौरान शंखपुष्पी पौधे की जड़ को गंगाजल से धोकर इस पर केसर का तिलक करें। इसके बाद तिजोरी में या जहां पैसा रखते हैं वहां रख दें। ऐसा करने से व्यापार दोगुनी रफ्तार से बढ़ेगा और आर्थिक स्थिति में स्थिरता देखने को मिलेगी।
मिथुन
इस माह में जल में गन्ने का रस मिलाकर स्नान करें। फिर पीपल के पेड़ में कच्चा दूध और जल चढ़ाना चाहिए। इससे सौभाग्य प्राप्ति होती है। इसके अलावा, बच्चे की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। यदि बच्चों को बोलने में समस्या है, तो उनकी वाणी में निखार आता है।
कर्क
ज्येष्ठ महीने में कर्क राशि के जातक घर में सत्यनारायण की पूजा कराएं, फिर हवन करके परिवार सुख-समृद्धि हेतु प्रार्थना करें। इससे बीमारियों से सुधार होगा, परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
सिंह
सिंह राशि के जातक ज्येष्ठ माह की रात जल में केसर मिलाकर मां लक्ष्मी का अभिषेक करें। मान्यतानुसार, इससे बिगड़े काम बन जाते हैं और शत्रु व विरोधी आप पर हावी नहीं होंगे।
कन्या
कन्या राशि के जातकों को इलायची को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए, जो आपके लिए शुभ रहेगा। रात में देवी लक्ष्मी को सिंघाड़े और नारियल का भोग लगाएं। इससे ऋण कर्ज की समस्या दूर होती है।
तुला
घर में तुला राशि वाले जातकों खीर का प्रसाद देवी लक्ष्मी को चढ़ाकर इसे सात कन्याओं में बांट देना चाहिए। ये उपाय नौकरी में चल रही समस्याओं को खत्म करने में सहायक होगा। साथ ही, इस उपाय से आय में वृद्धि के योग बनते हैं।
वृश्चिक
वृश्चिक राशि के लोगों को ज्येष्ठ मास पर्यन्त श्री विष्णु सहस्त्रनाम या फिर रात में माता लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे यश, कीर्ति और ऐश्वर्य प्राप्ति होती है।
धनु
इस महीने के दौरान कच्चे सूत के हल्दी में रंगकर बरगद के पेड़ पर लपेटें। 11 बार परिक्रमा करें और इस मंत्र का जाप करें-
ब्रह्मणा सहिंतां देवीं सावित्रीं लोकमातरम्।
सत्यव्रतं च सावित्रीं यमं चावाहयाम्यहम्।।
इससे वैवाहिक जीवन में खुशियां आएंगी और सुयोग्य वर प्राप्त होगा।
मकर
ग्रहों की पीड़ा से अनुकूलता पाने के लिए मकर राशि वालों को ज्येष्ठ मास के दौरान छाता, खड़ाऊ, लोहा, उड़द की दाल का दान करना चाहिए। साथ ही, काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। ऐसा करने से शनि की महादशा से बचा जा सकता है।
मकर
ग्रहों की पीड़ा से अनुकूलता पाने के लिए मकर राशि वालों को ज्येष्ठ मास के दौरान छाता, खड़ाऊ, लोहा, उड़द की दाल का दान करना चाहिए। साथ ही, काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। ऐसा करने से शनि की महादशा से बचा जा सकता है।
कुंभ
कुंभ राशि के जातक काले तिल को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए। बाद में तेल में सिकी पूड़ियां गरीबों में बांटना चाहिए। इससे मानसिक, शारीरिक और आर्थिक संकट दूर होता है।
मीन
ज्येष्ठ मास में मीन राशि के जातकों को आम के फल का दान करना चाहिए, राहगीरों को पानी भी पिलाना चाहिए। इससे वास्तु दोष से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति व सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
ज्येष्ठ माह के व्रत व त्यौहार
ज्येष्ठ मास के त्यौहारों में गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी, वटसावित्री व्रत, ज्येष्ठ पूर्णिमा, योगिनी एकादशी जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं. इन त्यौहारों का महत्व ही हमारे जीवन में एक नई चेतना और विकास देने वाला होता है. इस माह के दौरान तीर्थ स्थलों पर जाकर नदियों में स्नान करने और लोगों को ठंडा पानी इत्यादि बांटा जाता है. जग-जगह पर लोगों को पानी पिलाने के लिए मटकों इत्यादि की व्यवस्था भी की जाती है।
इस माह में मौसम का प्रकोप इतना अधिक प्रचंड रहता है, कि मनुष्य तो क्या जीव-जन्तु भी इस समय में गर्मी की अधिकता से व्याकुल हो जाते हैं। ऐसे में इस तपन को शांत करने के लिए ही पशु-पक्षिओं के लिए पानी इत्यादि की व्यवस्था की जाती है। लोग मीठा पानी इत्यादि चीजों को सभी में बांटते हैं।
गंगा दशहरा
गंगा दशहरा पृथ्वी पर पवित्र नदी गंगा के आगमन होने के उपलक्ष पर मनाया जाता है। इस त्यौहार के समय गंगा-पूजन और व्रत इत्यादि करने का विशेष महत्व रहा है। साथ ही गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. इस के साथ ही इस दिन जप-तप-दान का भी बहुत महत्व माना गया है। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।
गंगा नदी को भारत में एक बहुत ही पवित्र नदी के रुप में पूजा जाता है। जन्म से मृत्य तक के सभी कर्मों में गंगा की महत्ता सभी के समक्ष उल्लेखनीय भी रही है। जब माँ गंगा धरती पर आती हैं, तो वह दिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी का था, इसलिए गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के दिन को ही गंगा दशहरा के नाम से मनाया जाता है।
निर्जला एकादशी
ज्येष्ठ मास का एक अन्य महत्वपूर्ण त्यौहार निर्जला एकादशी है, जो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन होता है। इस एकादशी के दिन व्रत एवं पूजा-पाठ करने का नियम भी रहता है। इस दिन देश भर में लोगों को, राहगीरों को मीठा पानी पिलाया जाता है, जिसे कुछ स्थानों पर छबील भी कहा जाता है। इस एकादशी के दिन भी तीर्थ-स्थलों पर स्नान करने का विशेष महत्व रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन किए गए जप-तप और दान का कई गुना फल मिलता है।
ज्येष्ठ मास के त्यौहारों में गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी, वटसावित्री व्रत, ज्येष्ठ पूर्णिमा, योगिनी एकादशी जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं. इन त्यौहारों का महत्व ही हमारे जीवन में एक नई चेतना और विकास देने वाला होता है. इस माह के दौरान तीर्थ स्थलों पर जाकर नदियों में स्नान करने और लोगों को ठंडा पानी इत्यादि बांटा जाता है. जग-जगह पर लोगों को पानी पिलाने के लिए मटकों इत्यादि की व्यवस्था भी की जाती है।
इस माह में मौसम का प्रकोप इतना अधिक प्रचंड रहता है, कि मनुष्य तो क्या जीव-जन्तु भी इस समय में गर्मी की अधिकता से व्याकुल हो जाते हैं। ऐसे में इस तपन को शांत करने के लिए ही पशु-पक्षिओं के लिए पानी इत्यादि की व्यवस्था की जाती है। लोग मीठा पानी इत्यादि चीजों को सभी में बांटते हैं।
गंगा दशहरा
गंगा दशहरा पृथ्वी पर पवित्र नदी गंगा के आगमन होने के उपलक्ष पर मनाया जाता है। इस त्यौहार के समय गंगा-पूजन और व्रत इत्यादि करने का विशेष महत्व रहा है। साथ ही गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. इस के साथ ही इस दिन जप-तप-दान का भी बहुत महत्व माना गया है। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।
गंगा नदी को भारत में एक बहुत ही पवित्र नदी के रुप में पूजा जाता है। जन्म से मृत्य तक के सभी कर्मों में गंगा की महत्ता सभी के समक्ष उल्लेखनीय भी रही है। जब माँ गंगा धरती पर आती हैं, तो वह दिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी का था, इसलिए गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के दिन को ही गंगा दशहरा के नाम से मनाया जाता है।
निर्जला एकादशी
ज्येष्ठ मास का एक अन्य महत्वपूर्ण त्यौहार निर्जला एकादशी है, जो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन होता है। इस एकादशी के दिन व्रत एवं पूजा-पाठ करने का नियम भी रहता है। इस दिन देश भर में लोगों को, राहगीरों को मीठा पानी पिलाया जाता है, जिसे कुछ स्थानों पर छबील भी कहा जाता है। इस एकादशी के दिन भी तीर्थ-स्थलों पर स्नान करने का विशेष महत्व रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन किए गए जप-तप और दान का कई गुना फल मिलता है।
वट-सावित्री व्रत
ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रुप में मनाया जाता है. ये व्रत सौभाग्य की वृद्धि करने वाला होता है। वट के वृक्ष को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। इस वृक्ष पर ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास माना गया है। इसी के समक्ष सावित्री और सत्यवान की कथा का श्रवण किया जाता है और पूजन, व्रत कथा श्रवण आदि के पश्चात व्रत संपन्न होता है।
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ज्येष्ठ माह कि पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. इस दिन प्रात:काल समय पर पवित्र नदी या घर पर ही स्नान करने के पश्चात पूजा-पाठ किया जाता है. ब्राह्मण को भोजन कराना, गरीबों को दान करना और सत्यनारायण कथा श्रवण करना मुख्य कार्य होते हैं ये सभी इस पूर्णिमा के दिन किए जाने पर व्यक्ति के शुभ कर्मों में वृद्धि होती है. पौराणिक मान्यताओं अनुसार भी यह माह बहुत गर्म माह होता है ऐसे में इस माह में पूर्णिमा के दिन जल का दान अत्यंत उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है. इस दान के अलावा गरीबों को खाना खिलाने और वस्त्र इत्यादि वस्तुओं का दान देने का भी अक्षय फल मिलता है. ज्येष्ठ पूर्णमा के दिन संत कबीर का भी जन्म दिवस मनाया जाता है।
ज्येष्ठ में जन्मे व्यक्ति स्वभाव
ज्येष्ठ माह में जन्मे जातक के विषय में ज्योतिष ग्रंथों में बहुत सी बातें कहीं गई हैं. जैसे कि जिस व्यक्ति का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो, उस व्यक्ति को परदेश में रहना पडता है. उसे विदेश से लाभ मिल सकता है. अपने घर से दूर रहने की प्रवृत्ति भी देखी जा सकती है. ऎसा व्यक्ति शुद्ध विचार युक्त होता है. उसके मन में किसी के लिए किसी प्रकार का कोई बैर-भाव नहीं रहता है. इस योग से युक्त व्यक्ति धन से समृद्ध होता है. उसकी आयु दीर्घ होती है. बुद्धि को उतम कार्यों में लगाने की प्रवृति उसमें होती है।
जातक में गंभीरता होती है। वह क्रोध और कुछ हठ (जिद) अधिक करने वाला हो सकता है। परिश्रम से भाग्य का निर्माण करने वाला एवं जीवन के संघर्षों के प्रति जागरुक भी होता है। वह प्रयास करता है, कि अपने प्रयासों से दूसरों के लिए और स्वयं के लिए कुछ श्रेष्ठ हो सके।
विशेष- ज्येष्ठ माह के बारे धर्म-ग्रंथों में भी विशेष रुप से बहुत कुछ लिखा है। भारतीय सभ्यता के हर चीज के पीछे कोई न कोई महत्वपूर्ण बात छुपी हुई है। जो भी नियम आदि बताया गया है, उसके पिछ एक मजबूत तर्क का आधार भी रहता है। ऐसे में इस माह में गर्मी अपने चरम पर होती है और इस कारण पानी के महत्व को इस माह से जोड़ा गया है। इसी समय पर प्यासों को पानी पिलाने की और सेवा भाव की भावना पर बल दिया गया है।
ज्येष्ठ मास के विशेष दिन / पर्व
25 मई- नारद जयन्ती (वीणा दान), रोहिणी तपन काल (नौतपा) आरम्भ।
26 मई- संकष्ट चतुर्थी / एकदन्त व्रत।
28 मई- बड़ा या बुढ़वा मंगल।
30 मई- कालाष्टमी
01 जून- गुरु उदय पूर्व 05:49 से।
02 जून- अपरा एकादशी व्रत (स्मात)।
03 जून- अपरा एकादशी व्रत (वैष्णव-निम्बार्क), मधुसूदन द्वादशी।
04 जून- भौम प्रदोष व्रत, बुढवा मंगल, मासिक शिवरात्री व्रत, सावित्री व्रत आरम्भ।
05 जून- सावित्री चौदस (बंगाल), फलहारिणी कालिका पूजा, विश्व पर्यावरण दिवस।
06 जून- शनैश्चर जयन्ती, देव-पितृ कार्ये ज्येष्ठ (भावुका) अमावस्या, वट सावित्री व्रत पूर्ण।
30 मई- कालाष्टमी
01 जून- गुरु उदय पूर्व 05:49 से।
02 जून- अपरा एकादशी व्रत (स्मात)।
03 जून- अपरा एकादशी व्रत (वैष्णव-निम्बार्क), मधुसूदन द्वादशी।
04 जून- भौम प्रदोष व्रत, बुढवा मंगल, मासिक शिवरात्री व्रत, सावित्री व्रत आरम्भ।
05 जून- सावित्री चौदस (बंगाल), फलहारिणी कालिका पूजा, विश्व पर्यावरण दिवस।
06 जून- शनैश्चर जयन्ती, देव-पितृ कार्ये ज्येष्ठ (भावुका) अमावस्या, वट सावित्री व्रत पूर्ण।
11 जून- तीसरा बड़ा मंगल
16 जून- गंगा दशहरा
18 जून- निर्जला एकादशी, चौथा बड़ा मंगल
22 जून- ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
ज्येष्ठ मास में करें विशेष उपाय
इस माह में कुछ खास उपाय है जरूर करना चाहिए। मान्यता है इससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और धन की कमी नहीं रहती है। तो आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
नकारात्मक ऊर्जा से बचने हेतु
इस मास प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि निवृत्त होकर हनुमान जी के मंदिर जाकर उन्हें तुलसी के पत्तों की माला पहनाएं। इसके साथ, हलवा-पूरी अथवा किसी अन्य मिष्ठान का भोग भी लगाएं। उनके स्वरूप के सामने आसन बिछाकर बैठ जाएं, फिर हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और सुन्दरकाण्ड का विधि-विधान से पाठ करें।
मंगल दोष से मुक्ति हेतु
जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें ज्येष्ठ के महीने में मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए इससे संबंधित चीजें जैसे- तांबा, गुड का दान करना चाहिए।
नौकरी में पदोन्नति हेतु
ज्येष्ठ के महीने में सूर्य देवता का प्रकाश काफी तेज रहता है। ऐसे में, इस पूरे महीने सूर्यदेव को अर्घ्य देने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है और नौकरी में पदोन्नति भी प्राप्त होती है।
समस्याओं से छुटकारा पाने हेतु
ग्रह दोषों से छुटकारा पाने के लिए ज्येष्ठ के महीने में पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था जरूर करें। इससे आपके जीवन में चल रहे उतार-चढ़ाव से छुटकारा पाया जा सकता है और आपको कभी भी धन की समस्या नहीं होगी।
सुख-समृद्धि के लिए
ज्येष्ठ महीने में प्रतिदिन प्रातः शीघ्र उठकर, स्नान आदि के पश्चात तांबे के लोटे से सूर्य को जल देना चाहिए। इसके साथ ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। जल चढ़ाते समय सूर्य को सीधे न देखें। लोटे से जो जल की धार गिरती है, उसमें से सूर्य देव के दर्शन करने चाहिए। ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ज्येष्ठ मास में करें विशेष उपाय
इस माह में कुछ खास उपाय है जरूर करना चाहिए। मान्यता है इससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और धन की कमी नहीं रहती है। तो आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
नकारात्मक ऊर्जा से बचने हेतु
इस मास प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि निवृत्त होकर हनुमान जी के मंदिर जाकर उन्हें तुलसी के पत्तों की माला पहनाएं। इसके साथ, हलवा-पूरी अथवा किसी अन्य मिष्ठान का भोग भी लगाएं। उनके स्वरूप के सामने आसन बिछाकर बैठ जाएं, फिर हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और सुन्दरकाण्ड का विधि-विधान से पाठ करें।
मंगल दोष से मुक्ति हेतु
जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें ज्येष्ठ के महीने में मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए इससे संबंधित चीजें जैसे- तांबा, गुड का दान करना चाहिए।
नौकरी में पदोन्नति हेतु
ज्येष्ठ के महीने में सूर्य देवता का प्रकाश काफी तेज रहता है। ऐसे में, इस पूरे महीने सूर्यदेव को अर्घ्य देने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है और नौकरी में पदोन्नति भी प्राप्त होती है।
समस्याओं से छुटकारा पाने हेतु
ग्रह दोषों से छुटकारा पाने के लिए ज्येष्ठ के महीने में पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था जरूर करें। इससे आपके जीवन में चल रहे उतार-चढ़ाव से छुटकारा पाया जा सकता है और आपको कभी भी धन की समस्या नहीं होगी।
सुख-समृद्धि के लिए
ज्येष्ठ महीने में प्रतिदिन प्रातः शीघ्र उठकर, स्नान आदि के पश्चात तांबे के लोटे से सूर्य को जल देना चाहिए। इसके साथ ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। जल चढ़ाते समय सूर्य को सीधे न देखें। लोटे से जो जल की धार गिरती है, उसमें से सूर्य देव के दर्शन करने चाहिए। ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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