मोदी 3.0 : मंत्रियों की कुल संख्या कुल लोकसभा के सदस्यों का 15% तक हो, अधिकम 81


मोदी की शपथ 9 को; 2 दिन मंत्रालयों पर मंथन

धर्म नगरी / DN News

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नरेंद्र मोदी 9 जून रविवार को तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे। सहयोगी दलों के नेता भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने इस पुष्टि की है कि शपथ ग्रहण 9 जून को होगा। इसके लिए पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को औपचारिक निमंत्रण पत्र तिथि सहित भेज दिया गया है। दो दिन मंत्रालयों के बंटवारे पर मंथन होगा। दो अहम घटक टीडीपी और जदयू में समन्वय का जिम्मा पीयूष गोयल व अश्विनी वैष्णव को सौंपा गया। 

सूत्रों का कहना है कि टीडीपी और जदयू की दस मंत्रालयों पर नजर है। इनमें गृह, रक्षा, वित्त और विदेश, राजमार्ग, वाणिज्य, रेलवे, कृषि, पेट्रोलियम, पावर आदि शामिल हैं। दोनों ने कहा, पूर्व में भी गृह, रक्षा और वित्त जैसे मंत्रालय घटक दलों को दिए गए हैं। भाजपा ने हामी भरते हुए तर्क रखा कि इन मंत्रालयों के अनुरूप कद्दावर नेता को जिम्मेदारी निभानी होती है। यदि चंद्रबाबू या नीतीश सीएम बनने की जगह इन मंत्रालयों की जिम्मेदारी लेना चाहें तो विचार किया जा सकता है। उनकी पार्टी के कोटे से किसी अन्य सांसद को यह जिम्मेदारी देना पद की गरिमा के अनुकूल नहीं रहेगा। इसे लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा के यहां मैराथन बैठक चली। इसमें अमित शाह व राजनाथ सिंह भी थे।

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लोकसभा चुनाव परिणाम-2024 के बाद से ही सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि मोदी 3.0 की कैबिनेट में कितने मंत्री होंगे ? इनमें से कितने सहयोगी दल की झोली में जाएंगे... और उन्हें किस तरह के मंत्रालय दिए जा सकते हैं? भास्कर ने एनडीए की पिछली पांचों सरकारों का विश्लेषण किया तो सामने आया कि 1999 में बहुमत से 90 सीटें पीछे रह गई अटल सरकार सहयोगियों के दम पर बनी थी, तब इन दलों को कैबिनेट में 25 पद यानी करीब 29% हिस्सेदारी मिली थी। इस बार 32 सीटें कम हैं, ऐसे में देखना है कि कैबिनेट में सहयोगियों को कितनी हिस्सेदारी मिलेगी...
  
ये है मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या का गणित
अटल 1.0 (1998 में)
भाजपा की कुल 161 सीटें थीं। शिवसेना, शिअद व अन्य मिलकर 187 तक ही पहुंचीं। 16 दिन में सरकार गिर गई। -कैबिनेट में कुल 14 मंत्री बनाए गए, जिनमें से एक (7%) मंत्री शिवसेना का।
-शिवसेना के सुरेश प्रभु 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक उद्योग मंत्री रहे थे। इस कैबिनेट में अटल ने अपने पास 33 मंत्रालय रखे थे।

अटल 2.0 
(1998 में)
भाजपा की 182 सीटें थीं। 11 सहयोगी दलों की 94 सीटें लेकर 276 पर पहुंची थी। • कैबिनेट में 86 मंत्री थे। 25 (29%) मंत्री सहयोगियों के। • 18 सीटों वाली एडीएमके को 7, 17 सीटों वाली राजद को 1 और 12 सीटों चाली समता पार्टी को 3,8 सीटों वाली शिअद को 2 मंत्री पद • नीतीश रेलवे मंत्री बने थे। टीडीपी साथ थी, पर बाहर से।

अटल 3.0 
(1999 में)
➯ भाजपा की 182 सीटें थीं। 11 सहयोगी दलों की 117 सीटें लेकर 299 पर पहुंची थी,
➯ कैबिनेट में 73 मंत्री थे। 18 (25%) मंत्री सहयोगियों के,
➯ 21 सीटों वाली जदयू को 3, 15 सीटों वाली शिवसेना को 4 और 12 सीटों वाली डीएमके को कैबिनेट में 4 वर्थ मिली थीं,
➯ नीतीश कृषि मंत्री, जॉर्ज को रक्षा। टीडीपी बाहर से साथ।
कैसी होगी मोदी 3.0 कैबिनेट ? भाजपा जब बहुमत से 33% सीटें कम थी, तब सहयोगियों को 29% मंत्री पद दिए थे... इस बार 11% सीटें कम है...

मोदी 1.0 
(2014 में)
✔ भाजपा 282 सीटों के साथ बहुमत लाई। 54 सीटों वाले 26 से ज्यादा सहयोगी दल एनडीए के साथ थे। कैबिनेट में 71 मंत्री थे। 5 (7%) पद सहयोगियों के थे,
✔ शिवसेना, शिअद, अपना दल, लोजपा और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को कैबिनेट में एक-एक सीट दी गई थी। स्वास्थ्य व भारी उद्योग जैसे मंत्रालय दिए गए थे।

मोदी 2.0 
(2019 में)
✔ भाजपा को 303 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत। 52 सीटों वाले 20 से ज्यादा सहयोगी दल एनडीए के पाले में थे। 
✔ कैबिनेट में 72 मंत्री थे। 2 (3%) पद सहयोगियों के थे,
✔ अपना दल को वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री और रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया को सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण राज्य मंत्री की जगह दी गई,

संविधान के अनुसार, मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए। यानी 81 से ज्यादा मंत्री नहीं हो सकते। 1998 की अटल सरकार में 86 मंत्री थे, उसी के बाद कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या सीमित की गई थी। हर मंत्री का संसद का सदस्य होना आवश्यक है। मंत्री बनने के 6 महीनों में व्यक्ति को संसद की सदस्यता हासिल करनी होती है।

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