गुप्त नवरात्रि : तंत्र साधकों के साथ गृहस्थों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण, गुप्त नवरात्रि में है...


दस महाविद्या की साधना का विधान
चतुर्थी तिथि की वृद्धि होने के कारण है, जिससे गुप्त नवरात्रि 10 दिन
- सिद्धि-काल है गुप्त नवरात्रि, कैसे किसने खोजा ?
दस महाविद्या 
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-राजेशपाठक 
सनातन हिन्दू धर्म में नवरात्रि को अत्यंत शुभ दिनों में होते हैं। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि साल में चार बार आती है, जिनमे चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि प्रसिद्ध है,क्योंकि ये प्रकट नवरात्रि होती हैं। इसके अतिरिक्त अन्य दो गुप्त नवरात्रि- नवरात्रि माघ और आषाढ़ के महीने में आती है। गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा के भक्त माता की 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से ही साधना भी करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इस वर्ष आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि आषाढ़ पक्ष की प्रतिपदा तिथि संवत-2081 अर्थात शनिवार (6 जुलाई 2024) से प्रारंभ होगी और इसका समापन सोमवार 15 जुलाई को होगा। ऐसा इस वर्ष आषाढ़ महीने की चतुर्थी तिथि की वृद्धि होने के कारण है, जिससे गुप्त नवरात्रि 10 दिन रहेगी। मान्यता के अनुसार, तंत्र साधना करने वालों के लिए गुप्त नवरात्रि एक स्वर्णिम अवसर है।

आषाढ़ में पड़ने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि पर माता के भक्त 10 महाविद्याओं की पूजा-अर्चना गुप्त रूप से करते हैं, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। तांत्रिक, अघोरी आदि सहित महाकाल के भक्तों के लिए गुप्त नवरात्रि अत्यंत महत्वपूर्ण है। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक, अघोरी तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्त करते हैं। वहीं, गृहस्थ जीवन वालों को इस अवधि में मां दुर्गा की सामान्य रूप से पूजा करनी चाहिए। माना जाता है, गुप्त नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की पूजा उपासना करने से व्यक्ति के जीवन से संकट खत्म होते हैं।

 
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सनातन परंपरा में चार नवरात्रि- दो नवरात्रि प्रगट एवं दो गुप्त है। चैत्र मास और दशहरे पर आने वाली नवरात्रि प्रगट, आषाढ़ और माघ मास में आने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि मानी जाती है। छह जुलाई से प्रारंभ हो रही गुप्त नवरात्रि तंत्र-साधनाओं के लिए विशेष रूप से महत्व है। साधु-महात्मा एवं तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए गुप्त रूप से साधनाएं करते है। गुप्त नवरात्रि इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इसमें यह संयोग भी देखा जा रहा है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि मुहूर्त
आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 6 जुलाई 2024 (शनिवार) के दिन से प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि में घट स्थापना को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन (6 जुलाई) घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 5:11 बजे से 7:26 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में कलश स्थापन नहीं कर पाते हैं, तो अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11 बजे से 12 बजे तक कर लें। इन दो मुहूर्त में कलश स्थापन करना शुभ रहने वाला है। 
 
गुप्त नवरात्रि की पूजा-विधि
- माँ दुर्गा की विधि-विधान से पूजा-पाठ के साथ गुप्त नवरात्रि में कलश स्थापना का भी विशेष महत्व है, 
- कलश स्थापना करने के बाद माँ दुर्गा के समक्ष प्रातः सायं दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें,
- गुप्त नवरात्रि में पूजा के समय मां दुर्गा को लौन्ग और बताशे का भोग लगाएं.
- कलश स्थापना करते समय मां दुर्गा को लाल रंग के पुष्प और लाल रंग की चुनरी भी अर्पित करें.
- ऐसा करने से मां दुर्गा जल्दी प्रसन्न होती हैं, और आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखती हैं।
सुबह-शाम श्री दुर्गा चालीसा और श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ करें। दोनों समय की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाएं। माता को लाल रंग के पुष्प ही चढ़ाएं,
- माता के विशिष्ट मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे’ का सुबह-शाम 108 बार जप करें, 
-  गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा के बारे में किसी को न बताएं। 

कलश या स्थापना  
🌷 चांदी, तांबे या पीतल के लोटे पर हरा नार‍ियल, आम के पत्‍ते, पानी, स‍िक्‍के, म‍िट्टी, लाल रंग का    
     नया बिना धुला लाल कपड़ा, नौ अलग तरह का अन्‍न एक बड़े मिट्टी के पात्र में रखें,
🌷अब कलश पर हल्‍दी लगाएं और इसमें पानी भरें। कुछ स‍िक्‍के इसमें डालें और आम के पत्‍ते इस तरह लगाएं इनका एक स‍िरा पानी को छुए और पत्‍तों का बाकी ह‍िस्‍सा कलश से थोड़ा बाहर रहे, 
🌷 पत्‍तों के बीच में कलश के मुंह पर नारियल रखें और कलश पर चंदन, हल्‍दी और कुमकुम लगाएं,
🌷 म‍िट्टी के पात्र में कलश को रखें और इसके आसपास मिट्टी फैला दें। 
🌷 नौ तरह के अनाज को इस म‍िट्टी में दबाएं और ऊपर से थोड़ा पानी डाल दें। इससे अनाज के बीज अंकुर‍ित होंगे। 
🌷 कलश को लाल कपड़े से थोड़ा ढक दें और ताजे फूलों की माला इस पर चढ़ाएं। 
🌷 अब पूरी श्रद्धा से व्रत रखने का संकल्‍प लेते हुए पंचोपचार पूजा करें। इसके ल‍िए आपको घी, त‍िल या सरसों के तेल का दीया जलाना होगा। फ‍िर कलश पर धूप जलाकर फूल, पान, सुपारी, केले, नार‍ियल, हल्‍दी, कुमकुम और एक स‍िक्‍का अर्प‍ित करें। 
🌷 अंत में खीर या कोई और मीठी चीज का नेवैद्य चढ़ाएं। अंत में अंबे -गौरी की आरती करने के बाद प्रसाद के तौर पर नेवैद्य को बांटें।  

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गुप्त नवरात्रि में वर्जित है ये कार्य  
गुप्त नवरात्रि की अवधि में इन्हे करने से बचें
⇒ गुप्त नवरात्रि में किसी को बाल, नाखून आदि नहीं काटने चाहिए। मान्यतानुसार, ऐसा करना अशुभ माना जाता है,

⇒ गुप्त नवरात्रि पर्यन्त काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। काले कपड़े पहनने से जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है और साथ ही माता दुर्गा भी रुष्ट हो सकती हैं,

⇒ नवरात्रि की अवधि में चमड़े से बनी वस्तुओं का उपयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। मान्यता है, ऐसा करने से माता दुर्गा रुष्ट हो सकती हैं, जिससे आपके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है,

⇒ गुप्त नवरात्रि में मन को शुद्ध रखना अति आवश्यक होता है। अतः किसी भी प्रकार के विवादों से दूर रहना चाहिए, जिससे ध्यान लगाकर मां दुर्गा की पूजा आराधना की जा सके,

⇒ ऐसा माना जाता है, गुप्त नवरात्रि पर्यन्त बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपके जीवन पर शुभ प्रभाव पड़ता है। कुश की चटाई पर शैया करना सर्वोत्तम बताया  गया है। माता-पिता की सेवा और आदर सत्कार करें।

दस महाविद्या की साधना 
गुप्त नवरात्रि पर नवदुर्गा के स्थान पर देवी की 10 महाविद्याओं की साधना का विधान है। देवी की दस महाविद्याओं की महाशक्तियां हैं- माँ काली, माँ तारा, माँ त्रिपुर, माँ भुनेश्वरी, माँ छिन्नमस्तिके, माँ त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माँ बगलामुखी, माँ मातंगी और माँ कमला। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में गई साधना जन्मकुंडली के समस्त दोषों को दूर करने वाली और धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाली होती है।
मान्यता है, कि गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या की पूजा से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी होती है और उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। 

गुप्त नवरात्रि में देवी शक्ति के 32 नामों का जाप, ‘दुर्गा सप्तशती’, ‘देवी महात्म्य’ और ‘श्रीमद्-देवी भागवत’ जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना सभी समस्याओं को समाप्त करता है, जीवन में शांति प्राप्त करने में प्रभावी है। पूजा में मंत्र जप के साथ ही ध्यान भी करेंगे, तो नकारात्मकता और अशांति दूर हो जाती है,

✔ गुप्त नवरात्रि पर देवी दुर्गा की साधना करते समय व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करना चाहिए, किसी भी कन्या को सताना या किसी भी प्रकार से दुःखी नहीं करना चाहिए। इस अवधि में किसी के प्रति क्रोध, काम भावना बिल्कुल नहीं लाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर माता के व्रत का पुण्यफल नहीं प्राप्त होता है,

✔ गुप्त नवरात्रि के व्रत को करने के लिए जो भी संकल्प लें उसे जरूर पूरा करें। देवी की साधना को हमेशा एक निश्चित समय पर एक निश्चित स्थान पर करें,

✔ देवी पूजा से जुड़ा गुप्त नवरात्रि का व्रत कष्टों को दूर करने और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए रखा जाता है। माता के इस व्रत का पुण्यफल पाने के लिए देवी पूजा में लाल रंग के पुष्प, लाल चुनरी, रोली, और श्रृंगार की सामग्री अवश्य चढ़ाएं। यदि ये चीजें संभव न हो पाएं तो कम से कम उनके मंत्र का जप पूरी श्रद्धा और भाव के साथ करें,

✔ गुप्त नवरात्रि के व्रत में बड़े नियम-संंयम का पालन करना पड़ता है, बल्कि इसका ध्यान भोजन आदि में विशेषरूप से करना चाहिए। नवरात्रि के व्रत में केवल फलहारी भोजन करना चाहिए और तामसिक भोजन से दूर ही रहना चाहिए,

✔ गुप्त नवरात्रि पर न केवल जप-तप का बल्कि दान का भी सत्यधिक महत्व है। अतः आपसे जितना संभव हो सके, प्रतिदिन अथवा अष्टमी या नवमी वाले दिन कन्या को भोजन, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें। मान्यता है, दान करने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और उसके कष्ट दूर होते हैं,

✔ गुप्त नवरात्रि की साधना सदैव गुप्त रूप से करना चाहिए।  शक्ति की साधना के इस महापर्व में भूलकर भी अपनी पूजा का प्रदर्शन या गुणगान न करें। मान्यता है कि इस व्रत का प्रदर्शन करने पर पुण्य फल नहीं प्राप्त होता है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में देवी पूजा जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, व्यक्ति की कामना उतनी ही जल्दी पूरी होती है,

✔ नवरात्रि में खाली समय में अपना समय व्यर्थ की चीजों पर न गवाएं और न ही किसी की आलोचना या अपमान करें. गुप्त नवरात्रि पर भूलकर कभी किसी कन्या या सुहागिन महिला कष्ट पहुंचाएं.
गुप्त नवरात्रि की पूजा के दौरान भूलकर भी चमड़े की चीज का इस्तेमाल न करें और व्रत के दौरान दाढ़ी, बाल न कटवाएं. गुप्त नवरात्रि की पूजा में काले कपड़े पहनने की गलती भी न करें.

गुप्त नवरात्रि ये उपाय भी कर सकते हैं
घर में अगर कोई बीमार है, तो उसके स्वस्थ होने की कामना करते हुए माँ दुर्गा को लाल फूल अर्पित करें,  

गुप्त नवरात्रि में घर में सोने, चांदी का सिक्का अवश्य लेकर आएं. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है,

जिन लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर है या सही नहीं है, उन्हें गुप्त नवरात्रि में 9 दिनों तक माता को गुग्गल की सुगंधित धूप अर्पित करनी चाहिए,

गुप्त नवरात्रि के दौरान घर में मोर पंख लाना शुभ माना जाता है। 
(डिस्क्लेमर- यह लेख कर्मकांड विशेषज्ञ, ज्योतिर्विद, ग्रंथों एवं मान्यताओं के आधार पर है। तथापि, आप किसी अनुभवी कर्मकांडी या ज्योतिष से मार्गदर्शन ले सकते हैं। किसी में पाठ, मंत्र-जप के पश्चात आदिशक्ति देवी से क्षमा अवश्य मांगे, ऐसी भावना एवं प्रार्थना करते हुए- "उच्चारण" या किसी त्रुटि हुई हो, तो माता क्षमा करना और अपनी कृपा बनाएं रखना।) 

सिद्धि-काल है गुप्त नवरात्रि, कैसे किसने खोजा ? 
शास्त्रों के अनुसार दस महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए ऋषि विश्वामित्र और ऋषि वशिष्ठ ने बहुत प्रयास किए, परन्तु उनके हाथ सिद्धि नहीं लगी। वृहद काल गणना और ध्यान की स्थिति में उन्हें यह ज्ञान हुआ, कि केवल गुप्त नवरात्रों में शक्ति के इन स्वरूपों को सिद्ध किया जा सकता है। 
    
            गुप्त नवरात्रों में दशमहाविद्याओं की साधना कर ऋषि विश्वामित्र अद्भुत शक्तियों के स्वामी बन गए। उनकी सिद्धियों की प्रबलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक नई सृष्टि की रचना तक कर डाली थी। इसी तरह, लंकापति रावण के पुत्र मेघनाद ने अतुलनीय शक्तियां प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्र में साधना की थी। शुक्राचार्य ने मेघनाद को परामर्श दिया था कि गुप्त नवरात्रों में अपनी कुल देवी निकुम्बाला कि साधना करके वह अजेय बनाने वाली शक्तियों का स्वामी बन सकता है मेघनाद ने ऐसा ही किया और शक्तियां हासिल की। राम, रावण युद्ध के समय केवल मेघनाद ने ही भगवान राम सहित लक्ष्मण जी को नागपाश में बांध कर मृत्यु के द्वार तक पहुंचा दिया था।

            ऐसी मान्यता है, यदि नास्तिक भी इस समय मंत्र साधना कर ले तो उसका भी फल सफलता के रूप में अवश्य ही मिलता है। यही इस गुप्त नवरात्र की महिमा है। यदि आप मंत्र साधना, शक्ति साधना करना चाहते हैं और काम-काज की उलझनों के कारण साधना के नियमों का पालन नहीं कर पाते तो यह समय आपके लिए माता की कृपा लेकर आता है। 

            गुप्त नवरात्रों में साधना के लिए आवश्यक न्यूनतम नियमों का पालन करते हुए मां शक्ति की मंत्र साधना कीजिए। गुप्त नवरात्र की साधना सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। गुप्त नवरात्र के बारे में यह कहा जाता है कि इस कालखंड में की गई साधना निश्चित ही फलवती होती है। इस समय की जाने वाली साधना को गुप्त बनाए रखना बहुत आवश्यक है। अपना मंत्र और देवी का स्वरुप गुप्त बनाए रखें। गुप्त नवरात्र में शक्ति साधना का संपादन आसानी से घर में ही किया जा सकता है।

            इस महाविद्याओं की साधना के लिए यह सर्वोत्तम समय होता है। गुप्त व चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ अवसर होता है। धार्मिक दृष्टि से हम सभी जानते हैं कि नवरात्र देवी स्मरण से शक्ति साधना की शुभ घड़ी है। वास्तव  में, इस शक्ति साधना के पीछे छुपा व्यावहारिक पक्ष यह है कि नवरात्र का समय मौसम के बदलाव का होता है। 

        आयुर्वेद के अनुसार, इस बदलाव से जहां शरीर में वात, पित्त, कफ में दोष पैदा होते हैं, वहीं बाहरी वातावरण में रोगाणु जो अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। सुखी-स्वस्थ जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत जरूरी है। नवरात्र के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाने गए संयम और अनुशासन तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं। जिससे इंसान निरोगी होकर लंबी आयु और सुख प्राप्त करता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्र में प्रमुख रूप से भगवान शंकर व देवी शक्ति की आराधना की जाती है।

            देवी दुर्गा शक्ति का साक्षात स्वरूप है। दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है। यह दमन या अंत होता है शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का। ये सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं। यही कारण है कि देवी दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना के विशेष काल में जाप शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है। सभी 'नवरात्र' शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप और उपवास का प्रतीक है- 'नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते । 

            देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित हैं। नवरात्र के नौ दिनों तक समूचा परिवेश श्रद्धा व भक्ति, संगीत के रंग से सराबोर हो उठता है। धार्मिक आस्था के साथ नवरात्र भक्तों को एकता, सौहार्द, भाईचारे के सूत्र में बांधकर उनमें सद्भावना पैदा करता है शाक्त ग्रंथो में गुप्त नवरात्रों का बड़ा ही माहात्म्य गाया गया है। मानव के समस्त रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई साधनाकाल नहीं हैं। श्री, वर्चस्व, आयु, आरोग्य और धन प्राप्ति के साथ ही शत्रु संहार के लिए गुप्त नवरात्र में अनेक प्रकार के अनुष्ठान व व्रत-उपवास के विधान शास्त्रों में मिलते हैं। इन अनुष्ठानों के प्रभाव से मानव को सहज ही सुख व अक्षय ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 

            "दुर्गावरिवस्या" नामक ग्रंथ में स्पष्ट लिखा है- साल में दो बार आने वाले गुप्त नवरात्रों में माघ में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र मानव को न केवल आध्यात्मिक बल ही प्रदान करते हैं, बल्कि इन दिनों में संयम-नियम व श्रद्धा के साथ माता दुर्गा की उपासना करने वाले व्यक्ति को अनेक सुख व साम्राज्य भी प्राप्त होते हैं। "शिवसंहिता" के अनुसार ये नवरात्र भगवान शंकर और आदिशक्ति मां पार्वती की उपासना के लिए भी श्रेष्ठ हैं। गुप्त नवरात्रों के साधना-काल में मां शक्ति का जप, तप, ध्यान करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं नष्ट होने लगती हैं।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। 
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

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श्रीफल (नारियल)
सनातन हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा में नारियल का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. नारियल के कई ऐसे उपाय हैं, जिनको करने से आपको धन, कारोबार में वृद्धि, संतान सुख, साढ़ेसाती-ढैय्या से राहत मिल सकती है। सनातन धर्म में नारियल का विशेष स्थान है. बिना नारियल के देवी देवताओं की पूजा अधूरी मानी जाती है। नारियल व्यक्ति के जीवन से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को दूर करने में भी सक्षम है। साथ ही, दुर्भाग्य को दूर करके शुभ और सौभाग्य दिलाने वाले नारियल के और भी कई लाभ हैं। 
साढ़े साती-ढैय्या, व्यापर, संतान-सुख आदि के उपाय में प्रभावी है श्रीफल
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा में नारियल का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। नारियल के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जब पृथ्वी पर अवतार लिया तो वो अपने साथ धन की देवी मां लक्ष्मी, नारियल का पेड़ एवं कामधेनु गाय लेकर आए थे। 
वैसे शनिदेव की ढैय्या या साढ़े-साती दोष से अगर आप पीड़ित चल रहे हों, तो इससे इसके प्रभाव को कम करने / प्रभाव से बचने आप सात शनिवार तक किसी पवित्र नदी में पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ ‘ॐ रामदूताय नम:’ मंत्र जपते हुए नारियल प्रवाहित करें। ऐसा करने से शनिदेव की साढ़े साती एवं ढैय्या का नकारात्मक प्रभाव का असर लगभग समाप्त हो जाता है।  

पेड़ भी होता है शुभ
सनातन परंपरा में नारियल के पेड़ को अत्यंत शुभ माना गया है। मां शक्ति की साधना में श्रीफल का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। मान्यता है, जिस फल के आगे श्री यानी लक्ष्मी जी का नाम जुड़ा हो, उसके पेड़ को लेकर यह जिस घर में यह लगा होता है, वहां पर धन की देवी का सदा वास बना रहता है। 

➤ लंबे समय से संतान सुख से वंचित हैं, तो इसके लिए एक आसान उपाय है. नवरात्रि में आप नारियल का यह सरल एवं प्रभावी उपाय जरूर करें। सबसे पहले नवरात्रि के 9 दिन तक 11 तंत्रोक्त नारियल को लेकर उस पर ‘ॐ श्रीं पुत्र लक्ष्म्यै नमः’ मंत्र की एक माला नित्य जप करें। इसके पश्चात दुर्गा नवमी को किसी तालाब या नदी में विसर्जित कर दें। ऐसा करने से देवी मां के आशीर्वाद से आपको शुभ फल मिलेगा,

➤ अगर घर को आए दिन किसी की नजर लग जाती है, घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का खतरा बना रहता है। ऐसे में लाल कपड़े में नारियल को सिलकर गणेशजी की पूजा में चढ़ाएं एवं उसके बाद में उसे मुख्य द्वार पर भीतर की तरफ टांग दें। इस उपाय को करने से नारियल के शुभ प्रभाव से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी। बार-बार बुरी नजर या बलाओं का खतरा टल जाएगा,

➤ कठिन परिश्रम एवं प्रयास के बाद भी व्यापार कारोबार का घाटा नहीं रुक रहा है, तो इससे बचने के लिए गुरुवार के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा में पीले पुष्प, पीली मिठाई एवं एक पीले कपड़े में नारियल लपेट कर चढ़ा दीजिए। ऐसा करने से कारोबार में चमत्कारिक रूप से फल दिखाई देने लगेंगे। 
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