#UttarPradesh : हंगामा क्यों, कानून तो 2006 में कांग्रेस सरकार में बना था, पूरे राज्य में कांवड़ मार्गों पर दुकानों पर...


....लिखने होंगे मालिकों के नाम, लागू हुआ...
- CM योगी का निर्देश, पुरे प्रदेश में मुजफ्फरनगर फॉर्मूला  
- #सोशल_मीडिया में प्रतिक्रिया 
                                            
धर्म नगरी / DN News 
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पवित्र सावन (22 जुलाई) आरंभ होने के साथ-साथ कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे राज्य में कांवड़ रूटों पर दुकानों पर लिखने के निर्देश जारी किए हैं। यह निर्णय हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी लागू होगी। निर्देश के पालन न होने पर कार्रवाई की बात कही गई है। 

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों पर नेमप्लेट वाला नियम अब पूरे प्रदेश में लागू होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों के मालिकों को नेमप्लेट लगाने का आदेश जारी किया है। आदेश में कहा है-  कांवड़ मार्गों पर खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानों पर संचालक मालिक का नाम और पहचान लिखना होगा. कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए ये फैसला लिया गया है. हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई की बात कही गई है। 

उल्लेखनीकी है, उक्त आदेश से पहले भाजपा ने मुजफ्फरनगर पुलिस के कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली सभी दुकानों पर मालिक और काम करने वाले लोगों का नाम लिखने वाले निर्देश का बचाव किया है. भाजपा के IT विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा- ‘भारत की ‘धर्मनिरपेक्षता’ इतनी कमजोर नहीं हो सकती है, कि सभी भोजनालयों को मालिक व श्रमिकों के नाम और संपर्क नंबर प्रदर्शित करने के लिए जारी एक समान आदेश इसे नुकसान पहुंचाए।’

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राजनितिक विरोध शुरू 
सरकार के निर्देश को लेकर सियासी संग्राम शुरू हो गया है. बीजेपी के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता केसी त्यागी ने कहा, कि मुजफ्फरनगर पुलिस के खाने-पीने वाले दुकानदारों का नाम प्रदर्शित करने से सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है. उन्होंने कहा कि धर्म और जाति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए. केसी त्यागी ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों से गुजरने वाली कांवड़ यात्रा में कभी सांप्रदायिक तनाव की कोई खबर नहीं आई. धर्म के आधार पर इस तरह का भेदभाव गलत है और इससे सांप्रदायिक विभाजन ही बढ़ेगा.

सपा ने ‘सामाजिक अपराध’ ही बता दिया !
प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश को ‘सामाजिक अपराध’ करार दिया है. उन्होंने अदालतों से इस मामले को खुद संज्ञान लेने का अनुरोध किया. अखिलेश ने एक्स पर लिखा, ‘…और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा?’ उन्होंने लिखा, ‘माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे. ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं। 

वहीं, कांग्रेस के मीडिया विभाग के पवन खेड़ा ने कहा, यह आदेश मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का सामान्यीकरण करने का प्रयास है। भारत की तहजीब को बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा पर अंकुश लगाना होगा. उन्होंने कहा है कि इसके पीछे की मंशा यह पता करना है कि हिंदू कौन है, मुसलमान कौन है।  

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#सोशल_मीडिया में प्रतिक्रिया 
हंगामा क्यों है बरपा ? नाम जो पूछ लिया है ? 
ये कानून तो 2006 में ही बन गया था। सरकार थी मनमोहन सिंह जी की। 
2011 में नियम बन गए कि सभी ढाबा और रेस्टोरेंट मालिकों को अपना नाम और लाइसेंस नंबर बड़े अक्षरों में लगाना होगा ताकि ग्राहक आसानी से देख सकें.. 
ये सभी प्रबुद्धजीवियों के ज्ञान चक्षु आज अचानक क्यों खुल गए हैं? 
2011 के नियम को सख़्ती से पालन ही तो करवाया जा रहा है।
सवाल ये है कि ये सेक्युलर चश्मा 13 साल बाद काहे लगाया जा रहा है? -@RubikaLiyaquat
 
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#कांवड़_यात्रा #kawadyatra2024
हम थूक मूत से कैसे बचे ?
#हिंदू जाग रहा है
अपने देश #भारत को बचाने के लिए
क्योंकि
इस देश में कभी रहने वाले मुसलमानों ने 1947 में अपने लिए पूरा पाकिस्तान ले लिया, उसे 1991 में इस्लामिक एस्टेट भी बना डाला
#Sadhu_Sant #कांवड़ #कांवड़यात्रा
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मुस्लिम लोग अपनी नेम प्लेट क्यों नहीं लगाना चाहते ? 
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है शिया और सुन्नी 
अब यह शिया और सुन्नी क्या है तो आईए जानते हैं इसके बारे में पैगंबर मुहम्मद के दामाद हजरत अली को मानने वाले शिया कहलाए और अबू बकर को मानने वाले सुन्नी। 
इसके बाद दोनों वर्गों के बीच अस्तित्व की लड़ाई शुरू हो गई। 
शिया मुसलमानों का दावा- खुदा ने अली को खुद उत्तराधिकारी चुना था। मोहम्मद साहब ने अपने इंतकाल से पहले इसे लिखित रूप में घोषित किया था।
सुन्नी मुसलमान का कहना- हम शिया मुसलमान के साथ नहीं खाते क्योंकि वह खाने में थू#कते हैं 
और सुन्नी मुसलमान का कहना है- असली मुसलमान हम हैं सिया को हम मुसलमान नहीं मानते 
आपकी इस पर क्या प्रतिक्रिया है, नीचे कमेंट बॉक्स में बताएं
The biggest reason behind why Muslims do not want to put their name plates is Shia and Sunni
Now what is this Shia and Sunni, so let's know about it
Those who believed in Prophet Muhammad's son-in-law Hazrat Ali were called Shia and those who believed in Abu Bakr were called Sunni. After this, a war of attrition started between the two groups. Shia Muslims claim that God himself chose Ali as ‍ successor. Prophet Muhammad had declared this in writing before his death.
Sunni Muslims say that we do not eat with Shia Muslims because they spit in the food
And Sunni Muslims say that we are the real Muslims and we do not consider Shia as Muslims.
What is your reaction on this, tell us in the comment box
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काफिर को मारेंगे भी और काफिर के नाम से दुकान खोलके रोटी भी कमाएंगे 
कैसे हैं ये लोग ? कितनी घटिया सोच है ?
बहुत सुंदर प्रावधान है सख्ती से लागू किया गया है ये भी अच्छा है संगम ढाबा अब "सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय हो गया है " किंतु क्या ये लोग थूक जेहाद बंद करेंगे ऐसा जनता जनार्दन कह रही है कि शायद नहीं क्योंकि भाई को चारा बनाना ही इनका उद्देश्य है। -रेखा शर्मा NOIDA UP 
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जब स्कूल में हिजाब पहन कर जाते हो तो अपनी जाती धर्म का मुद्दा बनाकर अनिवार्य बताते हो और जब दुकान पर वही नाम लिखने को क्या बोल दिया इसपर धर्म अनिवार्य नहीं है  -Sandeep Mishra (Nation First)
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पर आदेश तो सभी लोगो के लिए सिर्फ मुस्लिमो को ही आपत्ति क्यों और आप लोग सिर्फ उनका ही बचाव क्यों कर रहे हैं -Piyush Sharma 
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