#ParisOlympics2024 : ओलंपियन मनु व उनके कोच राणा : दुनिया नतीजे देखती है, नियत नही !


प्रेरणा हैं पीटी ऊषा जिन्होंने...
1982 से 1994 तक एशियाई खेलों में जीते 14 स्वर्ण सहित 23 पदक    
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पेरिस ओलंपिक-2024 में पदक विजेता मनु भाकर के बगल में बैठे- जसपाल राणा
(धर्म नगरी / DN News) 
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टोक्यो ओलंपिक-2020 में जब मनु मेडल जीतने में नाकाम रह गई, तो खेल से जुड़े लोगों ने राणा के कोचिंग मेथड पर सवाल उठाए, इसके बाद मनु और कोच के बीच मनमुटाव इतना बढ़ा कि राणा ने स्वयं को मनु से अलग कर लिया (ऊपर चित्र में- मनु भाकर के बगल में बैठे व्यक्ति हैं जसपाल राणा)।

    तीन साल के दौरान मनु मेंटली इतना टूट चुकी थी, कि वो खेल छोड़ने के बारे में सोचने लगी। तीन साल बाद श्रीमद भगवत गीता में लिखी बातों ने मनु को दोबारा उत्साहित किया, तो उन्होंने अपने पुराने कोच को फोन किया और जसपाल भी सब भूल कर मनु के साथ मेहनत में लग गए।

जसपाल की आलोचना उनके जिस अजीब मेथड के लिए की जाती थी, वो ये था कि वो हर खेल से पहले एक टारगेट सेट करते है अपने प्लेयर्स के लिए, और प्लेयर उस टारगेट से जितने प्वाइंट दूर रह जाते है, उसकी सौ गुना रकम उसे दान करनी पड़ती है।
कई लोगों को जसपाल का ये तरीका नापसंद था, इसलिए जब टोक्यो ओलंपिक में मनु हारी तो उसके बाद जसपाल को कहीं नौकरी नहीं मिली।
    जसपाल अभी भी बेरोजगार है और उम्मीद कर रहे है कि शायद भारत लौटने पर उन्हे कोई नौकरी का ऑफर मिल जाए।
    जसपाल ने कोचिंग का तरीका नही बदला है, पर इसी तरीके से वो पिछले ओलंपिक के विलेन थे और इस ओलंपिक में हीरो ! क्योंकि ये दुनिया केवल नतीजे देखती है, नियत नही।
    इसलिए आप जो कर रहे है, अगर मंशा नियत साफ है, तो परिणाम नतीजा जो भी आए, बस चुपचाप करते रहिए, एक न एक दिन गाली देने वालो को ताली बजाने पर विवश मजबूर होना ही पड़ेगा।
#ParisOlympics2024 पेरिस ओलंपिक में #Indian 🇮🇳 निशानेबाज #ManuBhaker इतिहास पर इतिहास रच रही हैं दो पदक जीतकर अब वह तीसरे इवेंट- 25 मीटर पिस्टल के फाइनल में हैं। हम भारतीय उनके मेडल की हैट्रिक लगाने हेतु शुभ-मंगल कामना करते हैं -@DharmNagari
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गुरु शिष्य का सम्बन्ध (प्रेम) पवित्र व नि:स्वार्थ होता है लेकिन कुछ लोग इसपर भी ऊल-जुलून कमेंट करेंगे "रायचंद" अधिक है न #ManuBhakar अपने कोच से अलग रहकर डिप्रेशन में थी, फिर भगवत गीता से प्रेरणा मिली तब कमेंट नहीं किया होगा रायचंदों ने ! -@VhpAyodhya  #Shankaracharya (स्वयंभू)
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I am extremely overwhelmed by the support and wishes that have been coming in. Winning 2 bronze medals is a dream come true. This achievement is not just mine but belongs to everyone who has believed in me and supported me along the way. I couldn't have done it without the unwavering support of my family, Coach Jaspal Rana sir and everyone who stood by me, including the NRAI , TOPS , SAI, OGQ, Performax& especially Haryana government. With all my well-wishers. Competing and performing at the biggest stage for my country is a moment of immense pride and joy.
    Thank you all for being a part of this incredible journey and for standing by me through every step. Your encouragement means the world to me! A bittersweet end to my campaign in Paris but happy to contribute to #TeamINDIA's success. Jai Hind! 🇮🇳❤️ - Manu Bhaker

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'पयोली एक्सप्रेस' पीटी उषा...
        क्या आप जानते हैं कि भारत की धरती पर ऐसी भी बेटी जन्मी है जिसने अपनी रफ्तार से दुनियाभर को हैरान कर दिया ? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं 'पयोली एक्सप्रेस' पीटी उषा की, जिनकी कहानी वास्तव में आपके, हमारे लिए और हमारे बच्चों के लिए प्रेरणादायक है।
        27 जून 1964 को केरल के कोझीकोड जिले में जन्मी पिलावुलकंडी थेकेपराम्बिल उषा का जीवन साधारण था, लेकिन उनके सपने आसमान छूने वाले थे। बचपन से ही उनके पैरों में जैसे चपलता का जादू था। वे दौड़ने में इतनी माहिर थीं कि जल्द ही उनकी रफ्तार ने उन्हें सबकी नजरों में ला दिया।
पीटी उषा ने 1982 से 1994 तक के एशियाई खेलों में हिस्सा लेकर 23 पदक अपने नाम किए, जिनमें से 14 स्वर्ण पदक थे। क्या आपको पता है, 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में उन्होंने 400 मीटर बाधा दौड़ में चौथा स्थान प्राप्त किया ? हाँ, एक सेकंड के सौवें भाग के अंतर से वे पदक से चूक गईं, लेकिन उनका प्रदर्शन इतना शानदार था, कि आज भी वह पल भारतीय खेल इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।
        1984 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित गया और 1985 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। ये पुरस्कार उनकी अद्भुत परिश्रम और अटूट समर्पण का सम्मान थे। अपनी सफलता की कहानी को यहीं नहीं रोका। पीटी उषा ने "उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स" की स्थापना की, जहाँ वे आज भी युवा एथलीट्स को प्रशिक्षण देती हैं। वे उन्हें सिखाती हैं कि कैसे कड़ी मेहनत और समर्पण से अपने सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है।
पीटी उषा की कहानी संघर्ष, समर्पण और सफलता की एक अद्वितीय मिसाल है। उनकी जीवन यात्रा हमें सिखाती है- चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, अगर संकल्प इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं होता। 
पीटी उषा, आपकी रफ्तार और उत्साह हम सब के लिए प्रेरणा का स्रोत है। प्रणाम है आपको ! 

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पेरिस ओलंपिक 2024...
http://www.dharmnagari.com/2024/07/Paris-Olympics-2024-Women-Archery-team-may-bring-1st-medal.html

जाने 1952-53 से अब तक, प्रति वर्ष कितना रहा भारत का वार्षिक बजट 
http://www.dharmnagari.com/2024/07/Union-Budget-2024-FM-Nirmala-Sitharaman-speech-Live-update-reactions.html

ऐसे ही धर्मांतरण होता रहा, तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी हो जायेगी "अल्पसंख्यक" हाईकोर्ट 
http://www.dharmnagari.com/2024/07/If-conversion-continues-like-this-then-majority-population-of-India-will-become-a-minority-HC.html

हिन्दू न रोएं बेरोजगारी का रोना...! 
http://www.dharmnagari.com/2022/06/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-day-14-June.html

संविधान धर्मांतरण की अनुमति नहीं देता : हाईकोर्ट
http://www.dharmnagari.com/2024/07/Constitution-do-not-conversion-High-Court-Allahabad.html
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