शरद पूर्णिमा : तन, मन, धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ, पढ़ें इस दिन क्या करें, क्या नहीं ?
पृथ्वी के सबसे निकट रहेगा चन्द्रमा
शरद पूर्णिमा पर पृथ्वी पर विचरण करती माँ लक्ष्मी पूछती हैं- कौन जाग रहा है ?
शरद या रास या कुमार पूर्णिमा का चन्द्रमा होता है सोलह कलाओं से परिपूर्ण
राजेशपाठक (अवै. सम्पादक)
शरद पूर्णिमा की आपको शुभ-मंगल कामनाएं -राजेशपाठक (अवैतनिक संपादक)
- आप स्वयं किसी से विवाद न करें, विवाद से बचें,
- इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए,
- क्रोध न करें, यदि किसी कारणवश आए, तो नियंत्रण रखें,
- शरद पूर्णिमा के दिन घर में किसी भी तरह का झगड़ा या कलह नहीं होना चाहिए। इससे घर में दरिद्रता आती है।
🌓 चंद्रमा को वेद-पुराणों में मन के समान माना गया है- चंद्रमा मनसो जात:। वायु पुराण में चंद्रमा को जल का कारक बताया गया है। प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को औषधीश यानी औषधियों का स्वामी कहा गया है।
🌏 ब्रह्मपुराण के अनुसार- सोम या चंद्रमा से जो सुधामय तेज पृथ्वी पर गिरता है उसी से औषधियों की उत्पत्ति हुई और जब औषधी 16 कला संपूर्ण हो, तो अनुमान लगाइए उस दिन औषधियों को कितना बल मिलेगा।
🌏 शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं। ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन और भाद्रपद मास में शरीर में पित्त का जो संचय हो जाता है, शरद पूर्णिमा की शीतल धवल चांदनी में रखी खीर खाने से पित्त बाहर निकलता है। परन्तु इस खीर को एक विशेष विधि से बनाया जाता है। पूरी रात चांद की चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट यह खीर खाने से सभी रोग दूर होते हैं, शरीर निरोगी होता है।
🌏 शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। स्वयं सोलह कला संपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ी है यह पूर्णिमा। इस रात को अपनी राधा रानी और अन्य सखियों के साथ श्रीकृष्ण महारास रचाते हैं।
🌏 कहते हैं जब वृन्दावन में भगवान कृष्ण महारास रचा रहे थे तो चंद्रमा आसमान से सब देख रहा था और वह इतना भाव-विभोर हुआ कि उसने अपनी शीतलता के साथ पृथ्वी पर अमृत की वर्षा आरंभ कर दी।
🌓 गुजरात में शरद पूर्णिमा को लोग रास रचाते हैं और गरबा खेलते हैं। मणिपुर में भी श्रीकृष्ण भक्त रास रचाते हैं। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शरद पूर्णिमा की रात को महालक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है, इस पूर्णिमा को जो महालक्ष्मी का पूजन करते हैं और रातभर जागते हैं, उनकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
🌏 ओडिशा में शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। आदिदेव महादेव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म इसी पूर्णिमा को हुआ था। गौर वर्ण, आकर्षक, सुंदर कार्तिकेय की पूजा कुंवारी लड़कियां उनके जैसा पति पाने के लिए करती हैं।
🌏 शरद पूर्णिमा ऐसे महीने में आती है, जब वर्षा ऋतु अंतिम समय पर होती है। शरद ऋतु अपने बाल्यकाल में होती है और हेमंत ऋतु आरंभ हो चुकी होती है और इसी पूर्णिमा से कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है।
एक महीने में चंद्रमा जिन 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है, उनमें ये सबसे पहला आश्विन है और आश्विन नक्षत्र की पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) आरोग्यता देती है। सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा की रात्रि अति विशेष रात होती है, क्योंकि इस रात्रि चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट रहता है, अपनी समस्त 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है, पूर्ण रूप से चमकता या प्रकाशित होता है।
पंचांग भेद और तिथि के घटने-बढ़ने के कारण इस बार आश्विन माह की पूर्णिमा अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दो दिनों तक रहेगी। अर्थात 16 और 17 अक्तूबर दोनों ही दिन रहेगी। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, बुधवार (16 अक्तूबर) को आश्विन माह की शरद पूर्णिमा शाम लगभग 8 बजे से आरंभ हो जाएगी, जो अगले दिन 17 अक्तूबर सायंकाल लगभग 5 बजे तक रहेगी। चूँकि, शरद पूर्णिमा का पर्व का संबंध रात्रि से है, इसलिए यह पर्व 16 अक्तूबर को ही मनाया जाएगा। 17 अक्तूबर को शाम 5 बजे के बाद नया हिंदू माह कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा की आरंभ हो जाएगा।
शरद पूर्णिमा का एक नाम कोजागरी पूर्णिमा भी है, अर्थात लक्ष्मी जी पूछती हैं- कौन जाग रहा है ? अश्विनी महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है इसलिए इस महीने का नाम अश्विनी पड़ा है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शारदीय नवरात्रि के पश्चात पड़ने वाली पूर्णिमा- शरद पूर्णिमा की तिथि सनातन हिंदू पंचाग में अत्यंत फलदायी एवं शुभ दिन होती है। इस दिन की श्रद्धा-भक्ति से की गई पूजा का शुभ फल भक्तों को अवश्य प्राप्त है।
ज्योतिर्विदों के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में रवि योग को बहुत ही शुभ योग माना जाता है। यह रवि योग प्रातः 6:23 बजे से शाम 7:18 बजे तक रहेगा।
ज्योतिर्विदों के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में रवि योग को बहुत ही शुभ योग माना जाता है। यह रवि योग प्रातः 6:23 बजे से शाम 7:18 बजे तक रहेगा।
शरद पूर्णिमा के दिन इस दिन धन, सुख-समृद्धि की देवी लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। प्राचीन मान्यता है, शरद पूर्णिमा पर पूजा करने से घर में सौभाग्य एवं समृद्धि आती है। इस मान्यता के पीछे हमारे त्रिकालदर्शी ऋषियों एवं विद्वान पूर्वजों के पीछे का रहस्य जिसे आज वैज्ञानिक बताते हैं, जान गए थे, कि केवल शरद पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट भी। चंद्रमा की किरणों से इस पूर्णिमा को अमृत बरसता है।
चंद्रमा की किरणों के प्रभाव से खीर का अमृत रस घुल जाता है। खीर को कांच, मिट्टी या चांदी के बर्तन में ही रखें। अन्य धातुओं का प्रयोग न करें। खीर देशी गाय के दूध से बनाना ही सर्वश्रेष्ठ है। खीर को महीन कपड़े से ढककर रात में खुले आकाश (चांदनी रात) में रखते हैं, जिससे चंद्रमा के प्रकाश का विशेष प्रभाव खीर पर पड़ता है। फिर इसे अगली दिन सुबह प्रसाद स्वरुप खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है। शारद पूर्णिमा को मंदिर के दर्शन करने से मन शांत होगा। शरद पूर्णिमा आध्यात्मिक विकास के लिए एक अच्छा अवसर है।
शरद पूर्णिमा तिथि
अश्विन पूर्णिमा तिथि : आरंभ बुधवार (16 अक्टूबर) रात्रि 8:40 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त : गुरुवार (17 अक्टूबर) सायं 4:55 बजे
शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। चन्द्रोदय का समय 5:05 बजे
शरद पूर्णिमा को ये करें
चंद्रमा को जल चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें,
माता लक्ष्मी की पूजा करें एवं सुखी-समृद्धि हेतु लिए प्रार्थना करें,
घर में दीपक जलाएं, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आएगी,
देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें
धार्मिक ग्रंथ पढ़ें
निर्धन हिन्दुओं को दान करें।
शरद पूर्णिमा को ये न करें
- नकारात्मक विचारों को अपने मन में न आने दें, अश्विन पूर्णिमा तिथि : आरंभ बुधवार (16 अक्टूबर) रात्रि 8:40 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त : गुरुवार (17 अक्टूबर) सायं 4:55 बजे
शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। चन्द्रोदय का समय 5:05 बजे
चंद्रमा को जल चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें,
माता लक्ष्मी की पूजा करें एवं सुखी-समृद्धि हेतु लिए प्रार्थना करें,
घर में दीपक जलाएं, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आएगी,
देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें
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निर्धन हिन्दुओं को दान करें।
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- आप स्वयं किसी से विवाद न करें, विवाद से बचें,
- इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए,
- क्रोध न करें, यदि किसी कारणवश आए, तो नियंत्रण रखें,
- शरद पूर्णिमा के दिन घर में किसी भी तरह का झगड़ा या कलह नहीं होना चाहिए। इससे घर में दरिद्रता आती है।
इन पर ध्यान रखें-
- शरद पूर्णिमा के दिन भूलकर भी तामसिक (मांस आदि) भोजन न करें,
- शरद पूर्णिमा के दिन भूलकर भी तामसिक (मांस आदि) भोजन न करें,
- इस दिन लहसुन और प्याज का सेवन भी वर्जित है,
शरद पूर्णिमा को काले रंग का प्रयोग न करें, काले कपड़े भी न पहने। चमकीले वस्त्र पहनना सर्वश्रेष्ठ होगा,
शरद पूर्णिमा को कुछ चीजों का दान करना शुभ होता है, परन्तु इस दिन कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिनका दान नहीं करना चाहिए-
शरद पूर्णिमा को कुछ चीजों का दान करना शुभ होता है, परन्तु इस दिन कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिनका दान नहीं करना चाहिए-
- इस दिन भूलकर भी नमक का दान नहीं करना चाहिए। सनातन हिन्दू धर्म में नमक को नकारात्मक ऊर्जा (positive energy) का प्रतीक माना गया है। ऐसे में इस दिन नमक दान करने से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- इस दिन दही का दान भी नहीं करना चाहिए। मान्यता है, इस दिन दही दान का काम करना शुभ नहीं होता एवं इससे जीवन में निष्ठुरता (harshness) और खटास बढ़ती है
- शरद पूर्णिमा को चावल और गुढ़ का भी दान किया जा सकता है।
- शरद पूर्णिमा को चावल और गुढ़ का भी दान किया जा सकता है।
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प्रयागराज महाकुंभ-2025 में "सूचना केंद्र, हेल्प-लाइन सेवा" शिविर के संचालन एवं "धर्म नगरी" के विशेष अंकों के नियमित प्रकाशन के साथ धर्मनिष्ठ व राष्ट्रवादी साधु-संतों धर्माचार्यं आदि को मीडिया-पीआर से जुडी सेवा देने हेतु एक बड़े प्रोजेक्ट / सेवा-कार्य कर रहे हैं। यह धार्मिक सेवा कार्य बड़ा है, जिसके लिए मेला आरंभ (13 जनवरी 2025) होने से पूर्व 4000 हेक्टेयर मेला क्षेत्र में व्यापक सर्वे-संपर्क किया जाना हैं। अतः इस कार्य हमें आर्थिक सहयोग के साथ अथवा प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी हेतु इच्छुक धर्मनिष्ठ संत, सम्पन्न-सक्षम व्यक्ति कृपया निःसंकोच संपर्क करें +91-8109107075 वाट्सएप
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🌓 चंद्रमा को वेद-पुराणों में मन के समान माना गया है- चंद्रमा मनसो जात:। वायु पुराण में चंद्रमा को जल का कारक बताया गया है। प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को औषधीश यानी औषधियों का स्वामी कहा गया है।
🌏 ब्रह्मपुराण के अनुसार- सोम या चंद्रमा से जो सुधामय तेज पृथ्वी पर गिरता है उसी से औषधियों की उत्पत्ति हुई और जब औषधी 16 कला संपूर्ण हो, तो अनुमान लगाइए उस दिन औषधियों को कितना बल मिलेगा।
🌏 शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं। ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन और भाद्रपद मास में शरीर में पित्त का जो संचय हो जाता है, शरद पूर्णिमा की शीतल धवल चांदनी में रखी खीर खाने से पित्त बाहर निकलता है। परन्तु इस खीर को एक विशेष विधि से बनाया जाता है। पूरी रात चांद की चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट यह खीर खाने से सभी रोग दूर होते हैं, शरीर निरोगी होता है।
🌏 शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। स्वयं सोलह कला संपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ी है यह पूर्णिमा। इस रात को अपनी राधा रानी और अन्य सखियों के साथ श्रीकृष्ण महारास रचाते हैं।
🌏 कहते हैं जब वृन्दावन में भगवान कृष्ण महारास रचा रहे थे तो चंद्रमा आसमान से सब देख रहा था और वह इतना भाव-विभोर हुआ कि उसने अपनी शीतलता के साथ पृथ्वी पर अमृत की वर्षा आरंभ कर दी।
🌓 गुजरात में शरद पूर्णिमा को लोग रास रचाते हैं और गरबा खेलते हैं। मणिपुर में भी श्रीकृष्ण भक्त रास रचाते हैं। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शरद पूर्णिमा की रात को महालक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है, इस पूर्णिमा को जो महालक्ष्मी का पूजन करते हैं और रातभर जागते हैं, उनकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
🌏 ओडिशा में शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। आदिदेव महादेव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म इसी पूर्णिमा को हुआ था। गौर वर्ण, आकर्षक, सुंदर कार्तिकेय की पूजा कुंवारी लड़कियां उनके जैसा पति पाने के लिए करती हैं।
🌏 शरद पूर्णिमा ऐसे महीने में आती है, जब वर्षा ऋतु अंतिम समय पर होती है। शरद ऋतु अपने बाल्यकाल में होती है और हेमंत ऋतु आरंभ हो चुकी होती है और इसी पूर्णिमा से कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है।
शरद पूर्णिमा से जुडी एक मान्यता के अनुसार, माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था, इसीलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। ऐसी भी मान्यता है, कि शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु संग पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों से पूछती हैं कौन जाग रहा है। इस कारण से इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर पूजा-पाठ करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। वहीं, एक अन्य मान्यतानुसार शरद पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण गोपियों संग वृंदावन में रात को महारास रचाया था।
शरद पूर्णिमा : पूजा और स्नान का महत्व
शरद पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और पूजा-पाठ करने की परंपरा है। मान्यता है, जो भी शरद पूर्णिमा पर गंगा स्नान करता है, उसके ऊपर भगवान की विशेष कृपा रहती है। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी के साथ-साथ चन्द्रमा की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए। शरद पूर्णिमा पर सुबह सूर्य और रात को चन्द्र देव की पूजा अर्चना करें, इसके साथ ही रात को लक्ष्मीजी की षोडशोपचार विधि से पूजा, श्रीसूक्त का पाठ, कनकधारा स्त्रोत, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें। इससे मां लक्ष्मी आपके घर को धन-धान्य से भर देंगी।
शरद पूर्णिमा : पूजा और स्नान का महत्व
शरद पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और पूजा-पाठ करने की परंपरा है। मान्यता है, जो भी शरद पूर्णिमा पर गंगा स्नान करता है, उसके ऊपर भगवान की विशेष कृपा रहती है। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी के साथ-साथ चन्द्रमा की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए। शरद पूर्णिमा पर सुबह सूर्य और रात को चन्द्र देव की पूजा अर्चना करें, इसके साथ ही रात को लक्ष्मीजी की षोडशोपचार विधि से पूजा, श्रीसूक्त का पाठ, कनकधारा स्त्रोत, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें। इससे मां लक्ष्मी आपके घर को धन-धान्य से भर देंगी।
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