शारदीय नवरात्रि : नवरात्रि में होती है ग्रहों की अनुकूलता, माता के नौ स्वरूपों से 9 ग्रह होते हैं नियंत्रित, अतः...


...ग्रहों की शांति के लिए नियमित करें आराधना

नवरात्रि में-
- नवरात्रि के दिनों माँ दुर्गा स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आती हैं
- नवरात्रि में भक्ति के अनुरूप प्रतिफल अवश्य प्राप्त होता है
- जप-पाठ, हवन-पूजन, कन्या पूजन का विशेष महत्व है
- भक्त-श्रद्धालु अपने मन के अनुकूल पूजा करें, मंत्र नहीं आता तो मन से जुड़े
- नौ-दिन में हर प्रकार शुभ व नए कार्य किए जाते हैं
नवरात्रि में श्रद्धालु-भक्तों हेतु सबसे छोटा मंत्र हैं- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै (महालक्ष्मी, महाकाली, महा सरस्वती) का प्रतिदिन न्यूनतम 108 बार या क्षमतानुसार जाप करें।

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-राजेशपाठक (अवैतनिक संपादक)

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ इंद्र योग और हस्त नक्षत्र में हो रहा है। अश्विन मास के अमावस्या (2 अक्टूबर) को पितरों की विदाई के साथ पितृपक्ष का समापन की अगली तिथि- आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि के साथ नवरात्रि का शुभारम्भ होगा। प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाएगी। पूरे नौ दिन के नवरात्रि पड़ने के साथ ही शुभ संयोग भी बन रहा है।
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन- अश्विन शुक्ल प्रतिपदा (3 अक्टूबर) कलश स्थापना की जाएगी, जिसके लिए दो शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं। प्रतिपदा तिथि दो अक्टूबर को अर्द्ध-रात्रि के पश्चात 12:18 बजे से 4 अक्टूबर को ब्रह्म-मुहूर्त से पहले 2:58 बजे तक है। अतः उदयातिथि के आधार पर शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 3 अक्टूबर को है। गुरुवार (3 अक्टूबर 2024) को कलश स्थापना के लिए प्रातः में 1 घंटा 6 मिनट और दोपहर में 47 मिनट का शुभ मुहूर्त है।  

शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन के शुभ काल-मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 4:38 बजे से 05:27 बजे तक
अमृत काल- 8:45 बजे से 10:33 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 2:08 बजे से 2:55 बजे तक
निशिता मुहूर्त- रात 11:46 बजे से देर रात 12:34 बजे तक
शुभ चौघड़िया मुहूर्त-
शुभ-उत्तम मुहूर्त- प्रातः 6:15 बजे से 7:44 बजे तक
चर-सामान्य मुहूर्त- सुबह 10:41 बजे से 12:10 बजे तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त- दोपहर 12:10 बजे से 1:38 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त- दोपहर 1:38 बजे से 3:07 बजे तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त- शाम 4:36 बजे से 06:04 बजे तक

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नवरात्रि के नौ दिन को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस अवधि में पूर्ण श्रद्धा-भक्ति से आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना करने से जीवन और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। शारदीय नवरात्रि में कोई उपाय, अनुष्ठान या मंत्र जाप किया जाए, तो वह अवश्य फलित होता है। वहीं, कुछ कार्य ऐसे भी हैं जिनको  नवरात्रि में वर्जित होता है।  नवरात्रि के दिनों में दुर्गा जी को प्रसन्न करने व्रत, उपवास और पूजा का विधान है। कहते हैं, माता की भक्ति में भूल-चूक होने से वे रुष्ट हो जाती हैं। इसलिए किसी भी गलती करने से बचें और देवी जी की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करें।

नवरात्रि में यदि आपने अपने घर में कलश स्थापना किया है, माता की चौकी या अखंड ज्योति लगा रखी है, तो घर खाली न छोड़ें। घर में किसी न किसी व्यक्ति का होना बहुत आवश्यक है।
नवरात्रि पर्व पर मन को शांत और एकाग्र करने यदि संभव हो, नौ दिनों तक व्रत (अन्यथा प्रतिपदा, अष्टमी) रखते हुए देवी की साधना करनी चाहिए। व्रत रखने से मन की शुद्धि के साथ तन की साफ-सफाई भी हो जाती है। व्रत रखने से मन में हमेशा अच्छे विचार आते हैं।

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चमत्कारी है "सिद्ध कुंजिका स्तोत्र", इसके पाठ से दूर होती हैं समस्याएं... 
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देवीजी की विशेष पूजा श्रृंगार- 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दिनों मां दुर्गा स्वर्गलोक से उतरकर 9 दिनों तक पृथ्वी पर आती हैं। इस कारण से नवरात्रि के नौ दिन तक देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने का विधान होता है। नवरात्रि पर व्यक्ति को नौ दिनों तक मां का विशेष श्रृंगार, भोग और पूजा सामग्री अर्पित करना चाहिए।

नवरात्रि से पहले अपने घर की और पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें, माता उसी स्थान पर वास करती हैं एवं प्रसन्न होती हैं, जहां साफ-सफाई और सात्विकता पूरा ध्यान रखा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं। घर, कार्यालय, दुकान, प्रतिष्ठान, फैक्ट्री के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं। सनातन धर्म में स्वास्तिक का बहुत अधिक महत्व है, जो मंगलकारी और शुभता प्रदान करता है। देवी माँ कृपा प्राप्त करने के लिए नवरात्रि के प्रतिदिन मंदिर जाकर देवी की उपासना और दर्शन करना चाहिए, यथा संभव दान भी करें। इसके साथ इनका भी ध्यान रखें-

 कभी किसी कन्या का अपमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना गया है। (वैसे तो वर्षभर किसी कन्या का अपमान नहीं करना चाहिए।) यही कारण है, कि नवरात्रि में कन्या-पूजन कर लोग पुण्य की प्राप्ति करते हैं। ऐसे में नवरात्रि पर्यन्त किसी भी कन्या या महिला के प्रति असम्मान का भाव न आने दें। नवरात्रि में किसी भी कन्या का अपमान होने से मां दुर्गा रुष्ट हो सकती हैं।
 नवरात्रि में सात्विक भोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के दिनों प्याज, लहसुन और मांस मदिरा का सेवन न करें। नौ दिनों तक पूर्ण सात्विक आहार लेना चाहिए।
 व्रत करने वाले को नवरात्रि के पवित्र दिनों में अपना समय व्यर्थ की बातों में न लगाकर,
धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए। इन दिनों श्रीदुर्गा चालीसा या श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत शुभफलदायी होता है। पाठ करते समय मंत्रों के शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखना आवश्यक है, अतः यदि संस्कृत में पाठ करने में कठिनाई हो, तो हिंदी में भी पाठ किया जा सकता है। 
 नवरात्रि पर यथासंभव दाढ़ी, नाखून और बाल कटवाने से बचना चाहिए / नहीं कटवाना चाहिए। नवरात्रि के इन नौ दिनों तक दिन में सोने से बचें।

शारदीय नवरात्रि 2024 : नौ स्वरुप
प्रतिपदा तिथि पर कलश या घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर (गुरुवार) प्रातः 6:15 बजे से 7:22 बजे तक रहेगा। इस एक घंटा 6 मिनट काल के पश्चात अपराह्न में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक रहेगा। घटस्थापना के साथ देवी के प्रथम स्वरूप- माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। माता के स्वरुप के अनुसार उनका प्रभाव इस प्रकार है- 

माँ शैलपुत्री की पूजा से शक्ति की प्राप्ति होती है,
देवी के द्वितीय स्वरूप- माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से मान-सम्मान,  
माँ चंद्रघंटा की पूजा से एकाग्रता, 
माँ कूष्मांडा से मन में दया का भाव आता है, 
माँ स्कंदमाता की आराधना से सफलता, 
माँ कात्यायनी की आराधना से बाधाएं दूर होती हैं
माँ कालरात्रि की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है, 
माँ महागौरी की पूजा से सुख-समृद्धि और 
माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने पर मनोकामना पूरी होती है।

सुनें माँ दुर्गा के नौ रूपों की महिमा-
Link
https://www.youtube.com/watch?v=hF0jNOgRw5U
यूट्यूब चैनल  
https://www.youtube.com/@dharmnagarinews4447

या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थितः... 
माँ दुर्गा की वंदना : स्वर वीरेंद्रकृष्ण भद्र जी के स्वर में (अवधि- 6.45 मिनट)  

तिथि एवं देवी का स्वरुप- 
3 अक्टूबर (गुरुवार) पहला दिन - प्रतिपदा, घटस्थापना, मां शैलपुत्री पूजा
4 अक्टूबर (शुक्रवार) दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
5 अक्टूबर (शनिवार) तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा पूजा
6 अक्टूबर (रविवार) चौथा दिन- मां कुष्मांडा पूजा, विनायक चतुर्थी, उपांग ललिता व्रत
7 अक्टूबर (सोमवार) पांचवां दिन- पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा
8 अक्टूबर (मंगलवार) छठा दिन- षष्ठी, माता कात्यायनी पूजा
9 अक्टूबर (बुधवार) सातवां दिन- सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा
10 अक्टूबर (गुरुवार) आठवां दिन- दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा, महानवमी
11 अक्टूबर (शुक्रवार) नौवां दिन- महानवमी, शारदीय नवरात्रि का पारण
12 अक्टूबर (शनिवार) दसवां दिन- दशमी, दुर्गा विसर्जन और विजयादशमी (दशहरा)

प्रथमं  शैलपुत्री  च, द्वितीयं  ब्रह्मचारिणी। 
तृतीयं चन्द्रघण्टेति, कूष्माण्डेति चतुर्थकम्। 
पंचमं स्कन्दमातेति, षष्ठं कात्यायनीति च। 
सप्तमं कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमम्। 
नवमं सिद्धिदात्री च, नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

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नौ दिनों में देवी दुर्गा के स्वरूपों की पूजा की जाती है। माता के नौ स्वरूपों का अलग-अलग महत्व, श्रृंगार, विशेषताएं होती हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, माता के प्रत्येक स्वरूप में ग्रह का नियंत्रण होता है। अतः उनके अलग-अलग स्वरूपों की पूजा से संबंधित ग्रह के दोष दूर होते हैं- #Dharm_Nagari_

देखें- 

मां शैलपुत्री-
माँ शैलपुत्री दुर्गा जी के नौ स्वरूपों का पहला स्वरूप है। शैलपुत्री का स्वरुप चंद्रमा को दर्शाता है। इसलिए इनकी पूजा से जातक के चंद्रमा से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी-
माता दुर्गा के द्वितीय स्वरूप- मां ब्रह्मचारिणी को मंगल ग्रह को नियंत्रित करने वाला माना जाता है। अतः इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति के मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं।
माँ चंद्रघंटा-
आदिशक्ति दुर्गा जी के तीसरे स्वरूप माँ चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। शुक्र से पीड़ित जातकों को देवी के इस स्वरूप की पूजा करना शुभ होता है।
माँ कूष्माण्डा
चौथा स्वरूप देवी कुष्मांडा सूर्य से संबंधित होता है। किसी जातक को सूर्य से संबंधित परेशानियां या सूर्य दोषों से मुक्त होना है तो मां कुष्मांडा की पूजा फलदायी होती है।
माँ स्कंदमाता
नवरात्रि के पांचवें दिन का स्वरूप देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इसलिए इस दिन पूजा करने से व्यक्ति के बुध ग्रह के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है। 
देखें/सुनें- देवी स्कंदमाता 
 
माँ कात्यायनी
छठे दिन देवी दुर्गा के माँ कात्यायनी स्वरुप वृहस्पति से संबंधि त है, अतः उनको पूजने से वृहस्पति के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
माँ कालरात्रि
सातवें दिन माँ कालरात्रि के स्वरूप की पूजा करने से शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
माँ महागौरी
आठवें स्वरूप माता महागौरी की पूजा से राहु से संबंधित बुरे प्रभावों को कम करते हैं, क्योंकि माँ का यह स्वरूप राहु को नियंत्रित करता है।
माँ सिद्धिदात्री
माता का नौवा स्वरूप देवी सिद्धिदात्री का है, जो केतु को नियंत्रित करती हैं। देवी सिद्धिदात्री की पूजा से केतु के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
(Disclaimer: उक्त जानकारियां ज्योतिर्विदों, कर्मकांडी विद्वानों, धार्मिक आस्था एवं लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। )
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अंत में हिन्दुओं से एक निवेदन-
आप नवरात्रि में फल खरीद रहे हों, घर के लिए सब्जी या कोई भी खाने वाली वस्तु, "थूक और मूत" मिलाकर बेचने वाले से या बनाने वाले (होटल एस्टोरेन्ट ढाबा आदि में) से कभी न लें, इन लोगों को पहचाने वाले अपने आस-पास के हिन्दुओं को भी बताएं, उन्हें समझाए। कोई भी हिन्दू पर्व-त्यौहार आदि हो, किसी भी वस्तु की खरीददारी केवल हिन्दू त्यौहार मनाने वालों से, देवी-देवताओं का अपमान न करने वालों से, हिन्दुओं को काटने-मारने या जिहाद कर हिन्दू लड़कियों का जीवन बर्बाद करने वाले और उनके माँ-बाप को जीवनभर का कष्ट और अपमान न देने वालों से ही लें। आपसे हम विनम्रतापूर्वक आग्रह कर रहे हैं, जिसे आप स्वीकार करें एवं ऐसा करने का इस शारदीय नवरात्रि में संकल्प लें _/\_ -राष्ट्रवादी पत्रकार राजेश                 


 

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