#Mahakumbh_2025_ : तीनों राजसी स्नान पर्वों पर प्रयागराज शहर में नौ दिन बंदी, इन दिनों...

...रहेगा सार्वजनिक अवकाश 
शहर में बाइक से लेकर साइकिल तक नहीं चल सकेंगे
प्रयागराज अर्द्ध-कुंभ 2019 का एक दृश्य (फाइल फोटो) #Dharm_Nagari_  

धर्म नगरी 
DNNews ब्यूरो (प्रयागराज) 
(वा.एप 8109107075 न्यूज़, महाकुंभ-2025 की कवरेज, सदस्यता, कॉपी बटवाने हेतु)

महाकुंभ 2025 में प्रत्येक राजसी (शाही) स्नान पर्व पर तीन दिन शहर में बंदी रहेगी। जिला प्रशासन ने तीनों राजसी स्नान पर्वों पर नौ दिन तक सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। इस दौरान शहर में एक भी वाहन नहीं चल सकेंगे, जिसके लिए शहर के लोगों से आह्वान किया जाएगा। साथ ही शहर व देहात के सभी स्कूल-कालेज व विश्वविद्यालय भी बंद रहेंगे। वही सरकारी कार्यालय खुलेंगे, जो महाकुंभ से संबंधित होंगे।

परंपरानुसार महाकुंभ में तीन राजसी स्नान पर्व- मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या व वसंत पंचमी हैं। इन शाही स्नान पर्वों पर लगभग 11 से 12 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। सबसे मुख्य पर्व- मौनी अमावस्या पर सर्वाधिक भीड़, लगभग छह करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में शहर में बंदी की घोषणा की गई है, जिससे श्रद्धालुओं को समस्या न हो।

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प्रयागराज महाकुंभ-2025 पर "धर्म नगरी" साधु-संतों, श्रद्धालुओं तीर्थ-यात्रियों, पर्यटकों, संस्थाओं आदि की सुविधा एवं जानकारी प्रदान करने हेतु "महाकुंभ विशेषांकों" प्रकाशित कर रहा है। इसके साथ महाकुंभ मेले हेतु "सूचना केंद्र, हेल्प-लाइन सेवा" शिविर का संचालन, प्रदर्शनी, तीर्थयात्रियों हेतु क्षेत्र में निःशुल्क चाय, दवा वितरण व पैर में थकान/पीड़ा से राहत देने मसाजर मशीन (शिविर में) आदि की सेवा प्रदान किया जाएगा। इन कार्यों में आप भी सहभागी बन सकते हैं। किसी प्रकार से स्वेच्छापूर्वक सहयोग करने हेतु कृपया निःसंकोच संपर्क करें +91-810 910 7075 मोबाइल / वाट्सएप ईमेल- prayagrajkumbh2025@gmail.com
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महाकुंभ के राजसी स्नान पर्व
• मकर संक्रांति राजसी स्नान पर्व 14 जनवरी 2025
• मौनी अमावस्या राजसी स्नान पर्व 29 जनवरी 2025
• वसंत पंचमी राजसी स्नान पर्व 03 फरवरी 2025

राजसी स्नान पर्व पर तथा एक दिन पहले और एक दिन बाद यह अवकाश होंगे। बाइक से लेकर साइकिल तक पर पाबंदी लगाई गई है। गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य सड़कों पर भी यह प्रतिबंध रहेगा। वाहन न निकालने के लिए पुलिस व प्रशासन शहर के लोगों से अनुरोध भी करेगा।

"महाकुंभ के राजसी स्नान पर्वों पर देश-विदेश से आने वाले 6 करोड़ों श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए बंदी की घोषणा की गई है। इससे शहर के लोगों को भी सहूलियत मिल सकेगी।" - विजय किरन आनंद, जिलाधिकारी महाकुंभ नगर। 

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महाकुंभ की कैसे निर्धारित होती है तिथियाँ  
महाकुंभ मेले का सनातन हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इस बार इसका आयोजन 13 जनवरी से प्रयागराज में हो रहा है। यह मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है, जो 12 वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है तो चलिए इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।

शास्त्रों में प्रयागराज को तीर्थ राज या 'तीर्थ स्थलों का राजा' भी कहा जाता है। मान्यतानुसार, पहला यज्ञ ब्रह्माजी द्वारा यहीं किया गया था। महाभारत समेत विभिन्न पुराणों में इसे धार्मिक प्रथाओं के लिए जाना जाने वाला एक पवित्र स्थल माना गया है। जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत पाने को लेकर लगभग 12 दिनों तक लड़ाई चली थी। देवताओं के बारह दिन मनुष्य के बारह सालों के समान होते हैं। यही कारण है, कि12 साल बाद महाकुंभ लगता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब बृहस्पति ग्रह, वृषभ राशि में हों और इस अवधि / दौरान सूर्य देव मकर राशि में आते हैं, तो कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है। इसी प्रकार, जब गुरु बृहस्पति, कुंभ राशि में हों और उस दौरान सूर्य देव मेष राशि में गोचर करते हैं, तब कुंभ हरिद्वार में आयोजित किया जाता है।
वहीं, जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में विराजमान हो, तो महाकुंभ नासिक में आयोजित होता है। जबकि बृहस्पति सिंह राशि में हों और सूर्य मेष राशि में हों, तो कुंभ का मेला उज्जैन में लगता है। 

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महाकुंभ शिविर में रहते हुए "धर्म नगरी" से जुड़े   
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