प्रयागराज में 45 दिन में दुनिया के 231 देशों की जनसंख्या से अधिक श्रद्धालुओं आए
अमेरिका की दोगुने से अधिक,
पाकिस्तान के ढाई गुना से अधिक
रूस की चार गुनी से अधिक जनसंख्या के बराबर श्रद्धालु प्रयागराज आए
(महाकुंभ स्मृति विशेषांक में कवरेज, शुभकामना देकर देशभर में कॉपी भिजवायें 8109107075-वा.एप ) प्रयागराज में 45 दिन में जुटे श्रद्धालुओं की संख्या दुनिया के 231 देशों की जनसंख्या से अधिक है। केवल भारत और चीन की जनसंख्या ही प्रयागराज पहुंचे लोगों की संख्या से ज्यादा रही। भारत की अनुमानित जनसंख्या 145 करोड़ है, वहीं चीन की अनुमानित जनसंख्या 141 करोड़ है। इसके बाद अमेरिका है, जहां की जनसंख्या केवल 34 करोड़ है। अर्थात, महाकुंभनगर में पहुंचे लोगों की तुलना में आधी।
महाकुंभ में अमेरिका की दोगुनी से ज्यादा, पाकिस्तान की ढाई गुना से अधिक और रूस की चार गुनी से ज्यादा जनसंख्या के बराबर श्रद्धालु यहां अब तक आ चुके हैं। यही नहीं, जापान की पांच गुना जनसंख्या, इंग्लैंड की 10 गुना से अधिक जनसंख्या और फ्रांस की 15 गुना से अधिक जनसंख्या ने यहां आकर त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाई है।
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आश्चर्यजनक ये, कि दुनिया में किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या अन्य आयोजनों में इतनी भीड़ नहीं जुटी है। उदाहरण के लिए सऊदी अरब में हर साल होने वाले हज में लगभग 25 लाख मुस्लिम मक्का में एकत्रित होते हैं। वहीं, इराक में हर साल होने वाले अरबईन में दो दिन में 2 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री जुटते हैं।
प्रयागराज में इस साल हुए महाकुंभ में कई रिकॉर्ड बने हैं। बीते 45 दिनों में 66 करोड़ से ज्यादा भक्तों ने महाकुंभनगरी पहुंचकर संगम में डुबकी लगाई है। अगर संख्या की दृष्टि से यह भारत की कुल जनसंख्या का 50 प्रतिशत से अधिक है। अर्थात, आधे से ज्यादा भारत इस बार महाकुंभ में डुबकी लगा चुका है। इस महाकुंभ में इस बार कई रिकॉर्ड भी बने हैं।
प्रयागराज में 45 दिन के अंदर पहुंची भीड़ का आंकड़ा करीब 66 करोड़ पार पहुंच रहा है। आंकड़ों को देखें, तो दुनिया के 234 देशों और रिहायशी द्वीपों के मुकाबले महाकुंभ नगरी में 30 दिन के अंदर ही भारत और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या के बराबर जमावड़ा हो चुका है। केवल भारत (जनसंख्या 1 अरब 45 करोड़) और चीन (जनसंख्या 1 अरब 41 करोड़) ही इस आंकड़े से आगे हैं। वहीं, अमेरिका (जनसंख्या 34 करोड़ 54 लाख), इंडोनेशिया (28 करोड़ 34 लाख) और पाकिस्तान (25 करोड़ 12 लाख) की जनसंख्या भी प्रयागराज में पहुंचे लोगों से कम ही रही है।
मौनी अमावस्या : एक दिन में सबसे बड़ा "जन समुद्र"
जर्मनी की जनसंख्या 8 करोड़ से ज्यादा है, मौनी अमावास्या के दिन उसकी जनसंख्या भी प्रयागराज पहुंची भीड़ से कम रही। इसके अलावा यूरोप के सभी देशों की जनसंख्या मौनी अमावस्या के शाही स्नान के लिए जुटी भीड़ से कम थी। जहां ब्रिटेन की जनसंख्या 6 करोड़ 91 लाख है, तो वहीं फ्रांस की जनसंख्या 6.65 करोड़ ही है। इतना ही नहीं अमेरिका के 54 देशों में केवल तीन देशों की जनसंख्या ही मौनी अमावस्या पर प्रयागराज से अधिक रही। इनमें अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको सम्मिलित हैं। जबकि कोलंबिया, अर्जेंटीना, कनाडा से लेकर उरुग्वे तक महाकुंभ में प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर लोगों की तुलना में कम रहे।
प्रयागराज में इस साल हुए महाकुंभ में कई रिकॉर्ड बने हैं। बीते 45 दिनों में 66 करोड़ से ज्यादा भक्तों ने महाकुंभनगरी पहुंचकर संगम में डुबकी लगाई है। अगर संख्या की दृष्टि से यह भारत की कुल जनसंख्या का 50 प्रतिशत से अधिक है। अर्थात, आधे से ज्यादा भारत इस बार महाकुंभ में डुबकी लगा चुका है। इस महाकुंभ में इस बार कई रिकॉर्ड भी बने हैं।
प्रयागराज में 45 दिन के अंदर पहुंची भीड़ का आंकड़ा करीब 66 करोड़ पार पहुंच रहा है। आंकड़ों को देखें, तो दुनिया के 234 देशों और रिहायशी द्वीपों के मुकाबले महाकुंभ नगरी में 30 दिन के अंदर ही भारत और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या के बराबर जमावड़ा हो चुका है। केवल भारत (जनसंख्या 1 अरब 45 करोड़) और चीन (जनसंख्या 1 अरब 41 करोड़) ही इस आंकड़े से आगे हैं। वहीं, अमेरिका (जनसंख्या 34 करोड़ 54 लाख), इंडोनेशिया (28 करोड़ 34 लाख) और पाकिस्तान (25 करोड़ 12 लाख) की जनसंख्या भी प्रयागराज में पहुंचे लोगों से कम ही रही है।
मौनी अमावस्या : एक दिन में सबसे बड़ा "जन समुद्र"
मौनी अमावस्या प्रयागराज में मेला प्रशासन के अनुसार लगभग 7.6 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई, जो एक दिन में किसी एक जगह पर लोगों के एकत्र होने का रिकॉर्ड है। प्रयागराज की जनसंख्या करीब एक करोड़ है। यानी मौनी अमावस्या के दिन जिले में करीब 8.6 करोड़ लोग पहुंचे थे।
जर्मनी की जनसंख्या 8 करोड़ से ज्यादा है, मौनी अमावास्या के दिन उसकी जनसंख्या भी प्रयागराज पहुंची भीड़ से कम रही। इसके अलावा यूरोप के सभी देशों की जनसंख्या मौनी अमावस्या के शाही स्नान के लिए जुटी भीड़ से कम थी। जहां ब्रिटेन की जनसंख्या 6 करोड़ 91 लाख है, तो वहीं फ्रांस की जनसंख्या 6.65 करोड़ ही है। इतना ही नहीं अमेरिका के 54 देशों में केवल तीन देशों की जनसंख्या ही मौनी अमावस्या पर प्रयागराज से अधिक रही। इनमें अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको सम्मिलित हैं। जबकि कोलंबिया, अर्जेंटीना, कनाडा से लेकर उरुग्वे तक महाकुंभ में प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर लोगों की तुलना में कम रहे।
महाकुंभ पर और कौन से बड़े रिकॉर्ड
- महाकुंभ में कुल 45 दिन में 66 करोड़ से ज्यादा लोग पहुंचे। यानी हर दिन 1.5 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई।
- महाकुंभ के लिए प्रयागराज से 15 हजार से अधिक ट्रेनें चलीं। इनमें बैठकर करोड़ों लोग महाकुंभ पहुंचे।
- महाकुंभ में कुल 45 दिन में 66 करोड़ से ज्यादा लोग पहुंचे। यानी हर दिन 1.5 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई।
- महाकुंभ के लिए प्रयागराज से 15 हजार से अधिक ट्रेनें चलीं। इनमें बैठकर करोड़ों लोग महाकुंभ पहुंचे।
महाकुंभ में बने रिकॉर्ड, गिनीज बुक में हो सकते हैं
- 24 फरवरी के दिन करीब 15 हजार स्वच्छता कर्मियों ने 10 किलोमीटर क्षेत्र में एक साथ सफाई का रिकॉर्ड बनाया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड इसे लेकर 28 फरवरी को निर्णय दे सकता है।
- 14 फरवरी को नदी स्वच्छता का रिकॉर्ड बना गया था। उस दिन 300 कर्मचारियों ने नदी की सफाई का रिकॉर्ड बनाया था। गिनीज बुक ने इसे रिकॉर्ड में सम्मिलित किया है। इससे पहले 2019 के अर्धकुंभ में 10 हजार सफाई कर्मचारियों ने संगम तथा अन्य स्थानों पर एक साथ स्वच्छता अभियान चलाने का रिकॉर्ड बनाया था।
- पेटिंग का रिकॉर्ड
मेले में मंगलवार को हैंड प्रिंटिंग पेंटिंग का भी कीर्तिमान बना। 10,109 हजार लोगों ने महज आठ घंटे में अपने पंजे का छापा लगाकर महाकुंभ के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने के साथ विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। मेला प्रशासन ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा जो कुंभ 2019 में बनाया गया था।
अर्द्धकुंभ- 2019 में 7,500 लोगों के हैंड प्रिंट लेने का रिकॉर्ड बना था, जो महाकुंभ 2025 में टूट गया। हैंड प्रिंटिंग पेंटिंग का नया कीर्तिमान बनाने के लिए गंगा पंडाल में कैनवास लगाया था। इसके लिए सुबह 10 से शाम छह बजे तक का समय निर्धारित किया गया था, जिसे लेकर लोगों में बहुत उत्साह दिखा।
- बसों के सबसे बड़े संचालन का रिकॉर्ड
महाकुंभ मेला के आखिरी दिन 700 शटल बसों के एक साथ संचालन का भी विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा। यहां बसों की परेड कराई जाएगी। मेला प्रशासन इसके माध्यम से अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेगा। कुंभ 2019 में 500 बसों के संचालन का रिकॉर्ड बनाया था। इस तरह एक दिन में सर्वाधिक बसों का संचालन कर नया रिकॉर्ड बनाए जाने की तैयारी है।
- 24 फरवरी के दिन करीब 15 हजार स्वच्छता कर्मियों ने 10 किलोमीटर क्षेत्र में एक साथ सफाई का रिकॉर्ड बनाया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड इसे लेकर 28 फरवरी को निर्णय दे सकता है।
- 14 फरवरी को नदी स्वच्छता का रिकॉर्ड बना गया था। उस दिन 300 कर्मचारियों ने नदी की सफाई का रिकॉर्ड बनाया था। गिनीज बुक ने इसे रिकॉर्ड में सम्मिलित किया है। इससे पहले 2019 के अर्धकुंभ में 10 हजार सफाई कर्मचारियों ने संगम तथा अन्य स्थानों पर एक साथ स्वच्छता अभियान चलाने का रिकॉर्ड बनाया था।
- पेटिंग का रिकॉर्ड
मेले में मंगलवार को हैंड प्रिंटिंग पेंटिंग का भी कीर्तिमान बना। 10,109 हजार लोगों ने महज आठ घंटे में अपने पंजे का छापा लगाकर महाकुंभ के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने के साथ विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। मेला प्रशासन ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा जो कुंभ 2019 में बनाया गया था।
अर्द्धकुंभ- 2019 में 7,500 लोगों के हैंड प्रिंट लेने का रिकॉर्ड बना था, जो महाकुंभ 2025 में टूट गया। हैंड प्रिंटिंग पेंटिंग का नया कीर्तिमान बनाने के लिए गंगा पंडाल में कैनवास लगाया था। इसके लिए सुबह 10 से शाम छह बजे तक का समय निर्धारित किया गया था, जिसे लेकर लोगों में बहुत उत्साह दिखा।
- बसों के सबसे बड़े संचालन का रिकॉर्ड
महाकुंभ मेला के आखिरी दिन 700 शटल बसों के एक साथ संचालन का भी विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा। यहां बसों की परेड कराई जाएगी। मेला प्रशासन इसके माध्यम से अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेगा। कुंभ 2019 में 500 बसों के संचालन का रिकॉर्ड बनाया था। इस तरह एक दिन में सर्वाधिक बसों का संचालन कर नया रिकॉर्ड बनाए जाने की तैयारी है।
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