पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक : घर को आग लगी, घर के चिरागों से

सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया 
अनुराधा त्रिवेदी*
धर्म नगरी / DN News
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दुनियाभर को आतंकवादी सप्लाई करने वाला देश पाकिस्तान अपने ही देश के सबसे बड़े प्रांत के विद्रोहियों द्वारा जाफर एक्सपे्रस का अपहरण करके यात्रियों समेत 500 सैन्य अफसरों को बंधक बना लिया। बलोच विद्रोहियों ने महिलाओं, बच्चों और नागरिकों को तो रिहा कर दिया, लेकिन बड़े सैन्य अफसरों सहित सैनिकों को बंधक बना लिया। इस खबर ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया। हुआ यूं, कि जाफर एक्पे्रस जो कि बलूचिस्तान के प्रांत क्वेटा से पेशावर तक जा रही थी, उसे बलोच विद्रोहियों ने ट्रेन पर विस्फोट करके ट्रेन को अपने कब्जे में ले लिया।

जाफर एक्सपे्रस 1631 किमी. की यात्रा 34 घंटे क्वेटा से पेशावर तक पूरी करती है। ये एकमात्र ट्रेन है, जो पेशावर से बलूचिस्तान तक (चूंकि वहाँ सबसे बड़ा सैन्य बेस है) सैनिकों को लेकर जाती है। किराये के हिसाब से इस ट्रेन का एसी स्लीपर का टिकट 13 से 19 हजार पाकिस्तान मुद्रा है। बलूचिस्तान को पाकिस्तान बहुत ज्यादा अहमियत देता है। यह देश का सबसे बड़ा प्रांत है और यहाँ तेल, गैस, खनिज और स्वर्ण भंडार है, जो पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है

ग्वादरपोर्ट, चीन-पाकिस्तान के इकोनॉमिक कॉरीडोर में बलूचिस्तान एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन बलोच नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन पाकिस्तान की सेना वहाँ लगातार कर रही है। हजारों नागरिक रहस्यमय ढंग से लापता हैं। सैकड़ों लोगों को गोलियाँ मार दी गई, जिसमें औरतें और बच्चें भी शामिल हैं। नागरिक अधिकार एक तरह से बलूचिस्तान में समाप्त है। बलूचिस्तान में न स्वास्थ्य सुविधा है, न शिक्षा है, न ही रोजगार है। पाकिस्तान सरकार ने चीन के साथ समझौता करके सारे प्राकृतिक संसाधनों पर एक तरह से चीन को अधिकार दे दिया है। परिणाम ये हुआ, कि पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर चीन के सैनिक भी बलोच नागरिकों को प्रताडि़त कर रहे हैं। बलूचिस्तान में भुखमरी है, गरीबी है और जिन्दगी के लिए जरूरी सुविधा भी नहीं है। पाकिस्तान सरकार ने कभी भी बलूचिस्तान में विकास की नींव ही नहीं रखी।

बलोचों की माँग पाकिस्तान से पृथक होना, प्राकृतिक संसाधनों पर उनका ही अधिकार होना और काफी हद तक भारत से मित्रता रखना, पाकिस्तानी सेना द्वारा लगातार बलोचों का दमन और प्रताडऩा ने उन्हें पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ खड़ा कर दिया। आज ये विद्रोह इस स्तर तक पहुंच गया, कि पूरी ट्रेन हाईजैन कर ली गई। ट्रेन में बलोच लड़ाके, सुसाइड बंबर्स का घेरा बनाये हुए हैं। ये आप्रेशन पाकिस्तानी सेना के लिए चुनौती बनता जा रहा है। बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के लड़ाकों ने महिलाओं और बच्चों को तो रिहा कर दिया, लेकिन पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को बंधक बना लिया है।

बलूचिस्तान का बोलान जिला, क्वेटा और सीबी के बीच 100 किमी. से अधिक लंबा पहाड़ी इलाका है। इस इलाके में 17 सुरंग हैं, जिनसे होकर रेलवे पटरी गुजरती है। दुर्गम इलाका होने के कारण यहाँ ट्रेन की गति बहुत धीमी होती है। इसी वजह से बीएलए ने इस जगह को चुना। बीएलए ने दावा किया है, कि उसने पाकिस्तान के 30 जवानों को मार डाला है। पाकिस्तान मीडिया उसको तहरीके तालीबान (अफगानिस्तान) से भी जोडक़र देख रहा है। पाकिस्तान का सुरक्षा बल बंधकों की रिहाई के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है।

तेल और खनिज से समृद्ध बलूचिस्तान में सबसे ज्यादा बलूच लोग हैं और उनको पाकिस्तान सरकार द्वारा भेदभाव और शोषण का सामना करना पड़ता है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा, लेकिन सबसे कम आबादी वाला प्रांत है। बीएलए लगातार पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को निशाना बनाता है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहे चीनी नागरिकों पर भी हमलावर होता है। बलोच लिबरेशन आर्मी की स्थापना सन 2000 में हुई। पाकिस्तान ने इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित किया है। इसके अतिरिक्त अमेरिका, ब्रिटेन समेट कई पश्चिमी देशों ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। बीएलए का सुप्रीम कमांडर बशीर जेब है।

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सूत्र बताते हैं, कि ट्रेन में बड़ी संख्या में आईएसआई के एजेंट और पाकिस्तानी सेना के जवान हैं, जिन्हें बीएलए ने बंधक बनाया है। ‘बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होय’ ये कहावत आज पाकिस्तान पर चरितार्थ होती है। अपने देश में हिजबुल मुजाहिदीन, सलाउद्दीन, हाफिज सईद, ओसामा बिन लादेन जैसे दुर्दान्त संगठनों और आतंकियों को पालने वाला देश पाकिस्तान आज खुद अपने ही पाले आतंकियों का शिकार हो गया। जाहिर है, नजला, अफगानिस्तान और भारत पर गिरेगा। तब, जबकि पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के नागरिक भारत से कारगिल के ऐतिहासिक दरवाजे खोलने की मांग कर रहे हैं। भारत में विलय करने के लिए पीओके के लोग लगातार आंदोलन कर रहे हैं। संभवत: इस दिशा में भारत कोई सार्थक कदम भी उठाने वाला है, जैसा विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने अपनी बात में कहा है।

5 महीने पहले ही ट्रेन शुरू हुई
जाफर एक्सप्रेस (ट्रेन) क्वेटा और पेशावर के बीच लगभग 5 महीने पहले शुरू हुई थी। पाकिस्तानी रेलवे ने सुरक्षा कारणों से यहां परिचालन बंद किया था, जो अक्टूबर 2024 में बहाल हुआ। जब ट्रेन लगभग 400 यात्रियों को लेकर सुबह 9 बजे के करीब क्वेटा से पेशावर के लिए रवाना हुई, रास्ते में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ट्रेन पर गोलीबारी की और उसके बाद जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रेन को सुरंग नंबर-8 में हथियारबंद लोगों ने रोका और उस पर कब्जा कर लिया। इस हमले में ट्रेन के ड्राइवर को भी गोली लगी।

1970 के दशक में पहली बार सामने आया BLA
BLA खुद को बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वाला सशस्त्र समूह है। यह बलूचिस्तान में सक्रिय सबसे पुराना अलगाववादी समूह भी है। यह संगठन पहली बार 1970 के दशक में सामने आया। तब उन्होंने जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार के समय बलूचिस्तान सूबे में सशस्त्र विद्रोह शुरू किया, लेकिन सैन्य तानाशाह जिया उल हक की सत्ता पर कब्जे के बाद बलूच नेताओं के साथ वार्ता के बाद उन्होंने पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम कर लिया। इस कारण बलूचिस्तान में सशस्त्र विद्रोह खत्म हो गया और बलूच लिबरेशन आर्मी का अस्तित्व भी मिट गया। इसके कई बड़े नेताओं ने हथियार डाल दिए और मुख्यधारा में लौट आए।

पाकिस्तान में कारगिल युद्ध के बाद तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया। इसके बाद मुशर्रफ के इशारे पर वर्ष 2000 में बलूचिस्तान हाईकोर्ट के जस्टिस नवाब मिरी की हत्या कर दी गई। पाकिस्तानी सेना ने मुशर्रफ के कहने पर इस केस में बलूच नेता खैर बक्श मिरी को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से BLA एक बार फिर सक्रिय हो गई। वहीं, कुछ विशेषज्ञ दावा करते हैं, कि आज के BLA की आधिकारिक स्थापना 2020 में हुई। इसके बाद से BLA ने बलूचिस्तान के विभिन्न इलाकों में सरकारी प्रतिष्ठानों और सुरक्षाबलों पर हमला करना शुरू कर दिया। इस समूह में शामिल ज्यादातर लड़ाके मैरी और बुगती जनजाति से थे। ये जनजातियां क्षेत्रीय स्वायत्तता पाने अब भी पाकिस्तान सरकार से लड़ रही हैं।

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बुगती की हत्या ने बिगाड़ा माहौल

सरदार अकबर खान बुगती बलूचिस्तान के सबसे बड़े नेता रहे हैं। वह बलूचिस्तान सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री भी थे। उन्हें बलूच लिबरेशन आर्मी के सबसे वरिष्ठ लोगों में से एक माना जाता था। 26 अगस्त 2006 को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने उनकी हत्या कर दी। इसके बाद नवाब खैर बख्श मिरी के बेटे नवाबजादा बालाच मिरी को BLA का प्रमुख बनाया गया। नवंबर 2007 में पाकिस्तानी सेना ने बालाच मिरी की भी हत्या कर दी। इसी साल पाकिस्तान ने बीएलए को प्रतिबंधित समूह घोषित कर दिया। इसके बाद उनके भाई हीरबयार मिरी को बलूच लिबरेशन आर्मी की कमान सौंपी गई, लेकिन ब्रिटेन में रहने वाले हीरबयार ने कभी भी इस संगठन का मुखिया होने के दावे को स्वीकार नहीं किया। ऐसे में BLA की कमान असलम बलोच के हाथ में आ गई। BLA बलूचिस्तान में विदेशी प्रभाव, खासकर चीन का विरोध करती है। उनका स्पष्ट मानना है, बलूचिस्तान से संसाधनों पर पहला हक वहां के लोगों का है और भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उन्हें जबरदस्ती पाकिस्तान में शामिल किया गया, जबकि वो खुद को एक आजाद मुल्क के तौर पर देखना चाहते थे। ऐसा नहीं हो सका, इसलिए इस प्रांत के लोगों का पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना के साथ संघर्ष चलता रहता है। बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तानी सेना पर कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। इन हमलों में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सुरक्षाबल हताहत भी हुए हैं। 
*वरिष्ठ पत्रकार, भोपाल 

#सोशल_मीडिया से...
जाफर एक्सप्रेस के एक यात्री ने खुलासा किया कि बलूच लड़ाकों ने सभी महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग बलूच नागरिकों को रिहा कर दिया। A passenger on the Jaffar Express revealed that the Baloch fighters released all the women, children and elderly Baloch civilians.
यह पाकिस्तानी सेना के झूठे दावे को बेनकाब करता है कि महिलाओं और बच्चों को बंधक बनाया गया या सेना ने बचाया। This exposes the false claims of the Pakistan Army that women and children were taken hostage or rescued by the Army. 
सुनें- 

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पाकिस्तान के कई हिस्सों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। वैश्विक शर्मिंदगी से निपटने का यह पाकिस्तानी सेना का तरीका है। 7 घंटे हो चुके हैं और अभी भी पाकिस्तानी सेना अपहृत ट्रेन यात्रियों तक पहुँचने या उन्हें बचाने में असमर्थ रही है, जिनमें से ज़्यादातर पाकिस्तानी सैनिक हैं। The internet has been shut down in many parts of Pakistan. This is the Pakistani army's way of dealing with global embarrassment. It's been 7 hours and still the Pakistani army has been unable to reach or rescue the hijacked train passengers, most of whom are Pakistani soldiers.
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