अयोध्या : चार मिनट तक पड़ेंगी ललाट पर सूर्यदेव की किरणें, सर्वार्थ सिद्धि व पुष्य नक्षत्र में राम नवमी
रामनवमी मेले के भीड़ नियंत्रण हेतु महाकुंभ का अनुभव
धर्म नगरी / DN News
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राम नवमी (6 अप्रैल 2025 ) के दिन चैत्र नवरात्रि की महानवमी भी है, जिसमें मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। इस नवमी तिथि को अपराह्न 12 बजे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का आविर्भाव जन्म हुआ था, जिसे रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुण्य तिथियों में से एक माना गया है। रामलला के जन्मोत्सव पूरे देश में पूजा-पाठ, अनुष्ठान आरती के साथ-साथ शोभा यात्राएं भी निकाली जाती हैं।
कमिश्नर गौरव दयाल के अनुसार, महाकुंभ के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए किए गए नवाचारों से अनुभव लेते हुए भीड़ नियंत्रण और श्रद्धालुओं को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तैयारियां की गई हैं। श्रद्धालुओं को धूप व गर्मी से बचाने के लिए राम मंदिर व हनुमानगढ़ी दर्शन मार्ग सहित अयोध्या धाम के प्रमुख स्थलों पर छाया के लिए छाजन व दरी की व्यवस्था की गई है। साथ ही श्रद्धालुओं को शीतल पेयजल सभी प्रमुख स्थलों पर उपलब्ध पर रहे, यह भी सुनिश्चित कराया गया है।
अयोध्या मेला क्षेत्र को जोन व सेक्टर में बांटकर जोनल मजिस्ट्रेट, सेक्टर मजिस्ट्रेट व इनके काउंटर पार्ट पुलिस के राजपत्रित अधिकारियों की तैनात किया गया है। गर्मी को देखते हुए इन सभी अधिकारियों के पास व मेला क्षेत्र में बनाए गए सभी अस्थायी स्वास्थ्य केंद्रों पर ओआरएस की भी व्यवस्था की गई है।
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राम नवमी (6 अप्रैल 2025 ) के दिन चैत्र नवरात्रि की महानवमी भी है, जिसमें मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। इस नवमी तिथि को अपराह्न 12 बजे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का आविर्भाव जन्म हुआ था, जिसे रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुण्य तिथियों में से एक माना गया है। रामलला के जन्मोत्सव पूरे देश में पूजा-पाठ, अनुष्ठान आरती के साथ-साथ शोभा यात्राएं भी निकाली जाती हैं।
अयोध्या में राम नवमी का पर्व रविवार को पूरे धूमधाम से मनाया जाएगा, जिसका मुख्य आकर्षण सूर्य तिलक होगा। रामलला के दरबार में रामजन्मोत्सव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस बार रामनवमी को जब नवनिर्माणाधीन मंदिर में रामलला का जन्मोत्सव मनाया जाएगा, ठीक उसी समय सूर्य तिलक भी होगा। रवि योग, सर्वार्थसिद्धि योग और सुकर्मा जैसे तीन शुभ योग्यों में रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा। इस महत्वपूर्ण अवसर पर शनिवार को लगातार तीसरे दिन सूर्य तिलक का सफल ट्रायल किया गया।
शनिवार दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणों ने रामलला के मस्तक को आलोकित किया और यह प्रक्रिया लगभग चार मिनट तक चली। रविवार (रामनवमी) को भी सूर्य तिलक की यही प्रक्रिया चार मिनट तक चलेगी। इसके लिए मंदिर के ऊपरी तल पर रिफ्लेक्टर और लेंस स्थापित किए गए हैं, ताकि सूर्य की किरणें सटीक रूप से रामलला के ललाट पर पहुंच सकें।
शनिवार दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणों ने रामलला के मस्तक को आलोकित किया और यह प्रक्रिया लगभग चार मिनट तक चली। रविवार (रामनवमी) को भी सूर्य तिलक की यही प्रक्रिया चार मिनट तक चलेगी। इसके लिए मंदिर के ऊपरी तल पर रिफ्लेक्टर और लेंस स्थापित किए गए हैं, ताकि सूर्य की किरणें सटीक रूप से रामलला के ललाट पर पहुंच सकें।
सूर्य की रश्मियां लेंस के माध्यम से दूसरे तल के मिरर पर पहुंचेंगी। फिर इन किरणों का टीका 75 मिलीमीटर के आकार में रामलला के ललाट पर दैदीप्तिमान होगा। यह प्रक्रिया सूर्य की गति और दिशा पर निर्भर करेंगी। सूर्य तिलक के साथ-साथ रामलला का अभिषेक, श्रृंगार और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का लाइव प्रसारण किया जाएगा, जिससे देश-दुनिया के भक्त इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन सकें।
अभिषेक व आरती
रामनवमी पर सुबह छह बजे से दर्शन का क्रम शुरू हो जाएगा, जो रात 11 बजे तक लगातार जारी रहेगा। इस अवधि में रामलला का अभिषेक, श्रृंगार, राग-भोग, आरती और दर्शन का क्रम एक साथ चलेगा। रामनवमी को दोपहर ठीक 12 बजे रामलला के जन्म की आरती होगी, जिसमें उन्हें पांच प्रकार की पंजीरी और 56 भोग अर्पित किए जाएंगे।
इससे पहले रामलला का पंचामृत अभिषेक होगा और फिर उनका श्रृंगार होगा। उन्हें सोना-चांदी जड़ित पीतांबरी पहनाई जाएगी, और उन्हें हीरे, मोती, सोने-चांदी के विभिन्न आभूषणों से सजाया जाएगा। कलाकार सोहर और बधाई गाकर इस पावन अवसर को और भी शुभ बना देंगे। रामनवमी के अवसर पर राममंदिर में भव्य फूल-बंगला झांकी सजाया जा रही है। पूरा मंदिर शाम होते ही विशेष प्रकार की लाइटिंग से जगमगाएगा।
रामनवमी मेला व श्रीराम जन्मोत्सव पर अयोध्या आ रहे श्रद्धालुओं के सुगम दर्शन व अन्य व्यवस्थाओं के लिए प्रशासन की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की समस्या न हो, इसको ध्यान में रखते हुए सभी प्रबंध किए गए हैं। रामनवमी मेला क्षेत्र को जोन और सेक्टरों में विभाजित करते हुए मजिस्ट्रेट व पुलिस अधिकारियों को तैनाती किया गया है।
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अयोध्या मेला क्षेत्र को जोन व सेक्टर में बांटकर जोनल मजिस्ट्रेट, सेक्टर मजिस्ट्रेट व इनके काउंटर पार्ट पुलिस के राजपत्रित अधिकारियों की तैनात किया गया है। गर्मी को देखते हुए इन सभी अधिकारियों के पास व मेला क्षेत्र में बनाए गए सभी अस्थायी स्वास्थ्य केंद्रों पर ओआरएस की भी व्यवस्था की गई है।
अयोध्या धाम के मेला क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की ओर से 14 स्थानों पर अस्थायी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाते हुए वहां पर पर्याप्त संख्या में चिकित्सकों की तैनाती की गई है। सात स्थानों पर 108 एम्बुलेंस की भी व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई है, जिससे कि आकस्मिक स्थिति में इनका तत्काल उपयोग किया जा सके। मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था के लिए नगर निगम की ओर से सफाई कर्मियों की टीम तैनात करते हुए सुबह, दोपहर व शाम को नियमित सफाई के लिए निर्देशित किया गया है।
की पूजा विधि और महत्व के बारे में जानते हैं...
श्रीराम नवमी पूजा विधि
राम नवमी की पूजा के लिए सुबह ही स्नान करें
अब एक चौकी लेकर उसपर भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें (मूर्ति न हो तो चित्र)
अब भगवान राम को चंदन लगाकर उन्हें फूल, अक्षत, धूप अर्पित करें
शुद्ध देसी घी से दीप जलाकर प्रभु को मिठाई व फलों का भोग लगाएं
अब श्रीरामचरितमानस, सुंदरकांड या रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें
उक्त अवधि में आप चाहें तो भगवान राम के मंत्रों का भी जाप करें, इससे मन में सकारात्मक भाव बना रहता है
अब प्रभु की आरती करें और पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे।
श्रीराम आरती
श्रीराम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम हृदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांति गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पुनी पुनी मुदित मन मंदिर चली।।
सोरठा
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
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